Monday 12 May 2014

मुझे रण्डी बनना है-1 - Mujhe Randi Banana Hai

मुझे रण्डी बनना है-1 - Mujhe Randi Banana Hai

बीते दिनों की बात है, मैं हमेशा की तरह ट्रेन में सफ़र कर रहा था, बारिश के कारण ट्रेन में भीड़ नहीं थी। एक डिब्बे में सिर्फ 5-6 लोग अलग अलग बैठे थे। मैं छुप-छुप कर सेक्सी कहानयों वाली किताब पढ़ रहा था और उस पर मैंने एक कवर चढ़ा रखा था जिससे किसी को पता न चले। मेरे बाजू वाली सीट खाली थी।

मैंने किताब बंद करके सीट पर रखी और बाथरूम की तरफ चला गया।उतने में मुगलसराय स्टेशन आया, ट्रेन रुकी, तब मुझे बाथरूम में ही किसी यात्री के ट्रेन में चढ़ने की आवाज सुनाई दी। वापस आकर मैंने देखा कि एक आदमी मेरे बाजू वाली सीट पर बैठा है, साथ में एक औरत भी थी।

साली क्या सेक्सी लग रही थी ! मेरी किताब पढ़ रहा था वो और उसमें से कुछ नंगी तस्वीरें अपनी बीवी को दिखा रहा था। मैं शर्म के मारे पानी पानी हो गया, सोचा कि क्या समझ बैठेगा मेरे बारे में ! उसने मुस्कुरा कर कहा- यह आपकी है? इससे बढ़िया मैं अपनी सच्ची कहानी सुनाता हूँ, सच्ची कहानी सुनोगे तो पागल हो जाओगे, जो अभी-अभी 2 हफ्ते भुगती है।

उसने अपने बारे में बताया कि :

यह मेरी बीवी सुनीता है और मेरा नाम है सुजीत..

उसने अपना कहानी का दौर शुरू किया.

सुजीत- अभी अभी मैं और सुनीता कुल्लू-मनाली, शिमला और आखिर में दिल्ली घूमने के लिए गये थे और शिमला में बहुत खर्च हुआ, सोचा कि दिल्ली में सस्ते में घूमेंगे, सस्ता खाएंगे और सस्ते होटल में रहेंगे पर दिल्ली उतरते ही जेब कट गई। सोचा कि अब कैसे होगा ? कैसे भी करके घूमना ही है।मैंने शर्म के मारे किसी से या अपने घर से पैसे नहीं मंगवाए। सोचा कि मेरा मजाक बन जाएगा। तभी मेरे दिमाग में एक शैतानी बात आई कि दुनिया में एक ही चीज कहीं पर भी बिक सकती है, वो है औरत का जिस्म, उसके लिये ग्राहक सामने आ ही जाते हैं।

वो आगे कुछ बोलता, उसके पहले उसकी बीवी सुनीता बोली- औरत का जिस्म ऐसा है कि कोई रोक नहीं कमाने के लिए ! सब भूखे ही होते हैं, इसलिए मैंने उनको कहा कि कोई जगह ढूँढो जहाँ यह सब चलता हो। तुम्हें ताज्जुब होगा मगर मैं जबसे जवान हुई तबसे मुझे रंडियों के बारे में जानने का शौक था। मुझे कुछ दिनों के लिये रंडी बनकर जी कर देखना था, समाज का डर था और अपने शहर में तो यह मुमकिन नहीं था। मैं जब अपने शहर में घूमने निकलती तो रंडियों के कोठे के पास आते ही नीचे अजीब सी खुजली शुरू होती और मैं सोचती थी कि ये रंडियाँ क्या करती होगी मर्द को अंदर ले जाकर? तभी मेरे साथ वाली सहेली ने मुझे समझाया था कि अंदर ले जाकर मर्द के सुसू करने की चीज को औरत अपने सुसू करने की जगह में लेती है, इसे चोदना कहते हैं, पर कहते हैं यह सब गंदा हैं। मैं तो पागल हो गई थी यह सुनकर ! सच कहूँ तो शादी तक मैंने कभी नहीं चुदवाया, पहली रात मैंने सुजीत को यह बता दिया और शादी के बाद इनसे बहुत चुदवाया पर वो तड़प शांत नहीं हुई और मैं मौका ढूंढ्ने लगी। मैंने शादी के बाद इनको यह बात बताई तो ये बोले- यह मुमकिन नहीं ! और फिर यह मौका हाथ आया।

सुजीत- और मुझे स्टेशन पर ही जी.बी. रोड का एक दलाल मिल गया उसे मैंने दबी आवाज में पूछा कि ऐसी कोई जगह दिखाओ कि जहाँ जिस्मफरोशी बेरोकटोक चलती हो। मैंने अपने विचार उसे बताये तो वो ले गया एक कोठे पर.. दलाल ने मेरी पहचान कराई वहाँ की मालकिन से ! वो बेफिक्र थी, बड़ी सेक्सी थी, 40 की होगी।

दलाल- मौसी, यह देखो, एक आदमी कुछ अजीब काम से आया है।

मौसी- यहाँ पर एक ही काम होता है चोदने का। तुम क्या दूसरा काम लेकर आये हो?

सुजीत- मौसी, मेरी एक समस्या है और वो तुम सुलझा सकती हो।

मौसी- क्या ? ठीक से बात करो।

सुजीत- मौसी कोई कोने में चलते हैं जहाँ तुमसे मैं खुलकर बात कर सकूँ।

मौसी मुझे ऊपर वाले कमरे में ले गई, वहाँ रंडियाँ तैयार हो रही थी। उसका कोठा किसी होटल से काम नहीं था, साफ़ सुथरा था और 6-7 कमरे थे जिसमें बड़े पलंग थे और दीवारों पर ग्राहकों को उकसाने वाली नंगी तस्वीरें थी।

मौसी- ए लड़कियो ! चलो बाहर जाओ ! मुझे इससे ख़ास बात करनी है।

सभी चली गई, एक लड़की खड़ी रही।

मौसी- जाहिदा, तू क्यों खड़ी है? जा 2-4 ग्राहक पकड़ !

जाहिदा- मौसी, तू इसे लेने वाली है क्या? मुझे दे न यह कस्टमर.. साला बहोत मस्त है रे।

मौसी- चल हरामी ! तू जा ! मुझे कुछ बात करनी है !

वो चली गई, जाते जाते मुझे एक गन्दा इशारा कर गई।

मौसी- हाँ, अब बोलो !

सुजीत- मौसी, मैं और मेरी बीवी घूमने निकले थे और दिल्ली आने पर जेब कट गई, पराये शहर में कोई पैसे नहीं देगा और घर से नहीं मंगवाना चाहता हूँ।

मौसी- तो क्या मैं पैसे दूँ तुझे? मैं नहीं देती पैसे ! उसके बदले अपनी बीवी को ले आ, दो दिन धंधा करवा और जो कमाया है उससे घर चले जाना।

सुजीत- हाँ मौसी हाँ ! तुमने बस मेरे मुंह की बात छीन ली ! मैं यही तो कहने आया हूँ और तेरे दलाल को भी बताया था।

मौसी- उस भड़वे ने कुछ नहीं कहा। तुझे यहाँ छोड़ कर चला गया शाम को दलाली लेने आएगा साला।

सुजीत- मौसी, मेरी बीवी की ख्वाहिश भी है कि एक बार रंडी की तरह जी लूँ !

मौसी- क्या बात करता है? ऐसा कभी होता है क्या? क्या उसे पसंद है?

मैं- अरे उसकी तो यह इच्छा है और उसने ही मौके का लाभ उठाना है।

मौसी- अरे इस धंधे में आई हुई तो यहाँ से छूटने की कोशिश करती है। ऐसा तो मैंने कभी नहीं देखा कि किसी आम जिंदगी जीने वाली औरत को रंडी बन कर देखना है?

सुजीत- हाँ मौसी, उसने कई बार यह बताया था और समाज के डर से अपने शहर में तो नहीं कर सकते।

मौसी- हाँ ले आ उसको ! देखूँ तो सही कितना दम है उसमें? धंधे के लायक है भी क्या? छाती छोटी नहीं चलेगी, कोई पसंद नहीं करेगा मेरे यहाँ।

सुजीत- अरे मौसी, तू एक बार देख ले ! मौसी तेरी इन रंडियों को पीछे छोड़ देगी।

मौसी- यह बात है तो जल्दी से ले आ ! आज ही उसे रंडी होने का मज़ा देती हूँ, बनने का मज़ा देती हूँ ! तेरी बातों से लगता है कि जितने दिन रहेगी, रंडी बनकर कस्टमर को चूस लेगी साली !

तुरंत मैं स्टेशन पर पहुँचा, सुनीता ने चाय-नाश्ता कर लिया था, मेरी राह देख रही थी। मैंने उसे मौसी के कोठे के बारे में और मौसी के बारे में कहा। वो तो खुश हुई। मैंने उसे बुरका पहनने कहा।.फिर रिक्शे में बैठ कर मैं और सुनीता मौसी के जी.बी. रोड वाले कोठे पर पहुँचे।

मैंने सुनीता को बुरका पहनाया था.. आजू-बाजू की औरतें धंधे पर खड़ी थी और ग्राहक का इन्तजार कर रही थी, वो कुछ अजीब नजरों से हमें देख रही थी, सोच रही होंगी कि और एक औरत रंडी बन गई क्या?

हमने अपना सामान उतारा और कोठे के अन्दर चल दिए।

मौसी ने उसका बुरका उठाया, तुरंत पूरा बुरका निकालने कहा और उसकी छाती दबाकर देखी और गांड पर थपथपाया।

मौसी ने खुश होकर कहा- साली मस्त रांड बनेगी !

सुनीता- मैं सिर्फ 4-5 दिन के लिए आई हूँ, मुझे भी यह जिंदगी जी कर देखनी है।

मौसी- अच्छा चलो, थोड़ा फ्रेश हो जाओ और कुछ खा लो तुम दोनों !

मौसी ने होटल से बढ़िया खाना मंगवाया, खाते खाते बातें होने लगी।

मौसी- साली, तुझे यह रंडी बन कर जीने का कैसे सूझा?

सुनीता- जब से मेरी एम सी चालू हुई। एक बार मैंने पड़ोस में मिया बीवी को लिपट कर सोये हुए देखा और हमारे शहर में भी रंडी बाज़ार है, उसे देखकर यह लालसा हुई। मैंने सहेली से सुना तो था ही कि चोदना क्या है? मुझे अनजान लोगों से खूब चुदवाना है और आम जिंदगी में यह नहीं कर सकती और सुजीत को भी नई-नई औरतों के साथ चोदना अच्छा लगता है।

मौसी- साले, तुम दोनों रांड और भड़वे ही हो ! मज़ा आएगा ! सुनो हर ग्राहक पर मुझे 200 रु. कमीशन देना होगा और तू ग्राहक से 500 रु. से कम मत लेना। मेरे यहाँ सब रईस आते हैं। जाहिदा, इसे ले जाकर सब सिखा दे।

जाहिदा- चलो दीदी, सब सिखाती हूँ।

और दोनों ऊपर चली गई, मैं मौसी के पास बैठा था।

मौसी- क्या नाम है रे ? तेरा और तेरी बीवी का?

मैं- सुजीत और बीवी का सुनीता।

मौसी- मैं तुम्हें राजू बुलाऊंगी जिससे तेरी पहचान छिपी रहे।

सुजीत- हाँ यह भी सच है।

मौसी- तेरी बीवी को सीमा बुलाऊंगी।

मैं- चलेगा !

मौसी- कोई गड़बड़ नहीं चाहिए, नहीं तो मार-मार कर भुरता बना दूँगी और बिना औरत जाना पड़ेगा।

मैं- क्या मौसी? मैं और बीवी खुद आये और तुम्हें विश्वास नहीं है?

मौसी- ठीक है, यहाँ गाली गलोच तो चलती रहती है, वो भी सहना पड़ेगा।

मैं- क्या मौसी, मुझे मालूम है, गाली बगैर कोठे की इज्जत नहीं ! हमें तो बस मजा करना है और पैसे कमा कर दिल्ली देख कर घर लौटना है।

मौसी- यह हुई न बात ! चल तुझे भी चोदने का मज़ा चखा देती हूँ।

मौसी ने एक सेक्सी मगर थोड़ी सांवली लड़की को बुलाया और :

मौसी- ए सुशी ! ये देखा जो नई रांड आई है, उसका भड़वा है यह ! जब तक जाहिदा उसको तैयार कराती है तब तक तू इसको चढ़वा। पूरा मजा दे !

मैं- क्या मौसी? अभी बनी नहीं, उसके पहले उसे रांड मत बोल ! अच्छा नहीं लगता।

मौसी- अरे अभी एकाध घण्टे में बन जायेगी, ऐसे रंडीपन करेगी कि घर जाना नहीं चाहेगी। तुझे मालूम है कितनी भी गाली खायेगी पर धंधा नहीं छोड़ेगी ! बिना मेहनत पैसे मिलते हैं. बाहर की जिंदगी में? कोई मुफ्त में चोद लेगा और तुझसे यह बात छुपी रहेगी। उससे बेहतर है कि तेरे सामने उसके अरमान पूरे हों !

सुशी ने नखरीले अंदाज में मुझे बाहों में लपेटा और मेरे कमर पर हाथ डाल कर ले गई। उसने बिन बांह का नीला ब्लाउज और नीली साड़ी पहनी थी।

सुशी- चलो राजा जी, अब तुम्हें भी मज़ा दे दें ! एड्स तो नहीं न हुआ?

मैं- न, नहीं, क्यों?

सुशी- मैं तुमसे बिना निरोध के चुदवाना चाहती हूँ ! देखो, आज सब तरह से मजे करवा दूँगी ! तुम क्या दोगे? तुम्हारी बीवी अब हम जैसे धंधा करेगी तो वो हमारी दीदी और आप उनके मर्द हो इसलिए आप हमारे जीजाजी !

मैं- चलो पहले देखने दो कि क्या कर सकती हो ? मेरी साली जी !

कमरे जाती ही वो मेरे गोद में बैठ गई और उसने मुझे चूम लिया। उसने एक एक करके मेरे सारे कपड़े उतार दिए और खुद कपड़ों में मेरी गोद में बैठ गई।

लव ट्रैंगल - Love Trangle

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कोटा की डॉक्टर - kota-ki-doctor

कोटा की डॉक्टर - kota-ki-doctor

मेरा नाम रिंकू है, मेरी उम्र २३ साल है, मैं कोटा राजस्थान का रहने वाला हूँ, मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ।

यह कहानी मेरी आपबीती है जिसे में अन्तर्वासना डाट कॉम के जरिये आप लोगों तक पहुँचा रहा हूँ।

मेरी चाची की डिलीवरी होनी थी, वो अस्पताल में भर्ती थी। मैं और मेरी मम्मी चाची के पास अस्पताल में थे।

शाम का समय था, मेरी मम्मी ने मुझे खाना लाने के लिए कहा। मैं होटल से खाना लेकर आ गया और हम खाना खाने में व्यस्त हो गए।

इतनी देर में एक नर्स अन्दर आई और बोली- आपको एक जरूरी फॉर्म भरना है, आपको डॉक्टर ने बुलाया है।

मेरी मम्मी ने मुझे डॉक्टर के पास जाने के लिए कहा।

जैसे ही मैं डॉक्टर के कमरे में गया तो सामने के लेडी डॉक्टर को देखकर मेरे तो होश उड़ गए ! क्या मस्त फिगर थी उसकी और उम्र लगभग 27 साल !

मैंने कहा- आपने बुलाया डॉक्टर?

उसने कहा- फॉर्म पर हस्ताक्षर के लिए बुलाया है।

मैंने कहा- क्यों? कैसा फ़ॉर्म है?

तो उसने मुझे समझाया- डिलीवरी के समय यदि कोई समस्या हो गई तो इसके जिम्मेदार हम नहीं है।

मैंने बिना कुछ सोचे साइन कर दिए और साथ ही मैंने पूछा- डिलीवरी में खर्चा कितना आ जाएगा?

उसने कहा- दस से बारह हजार !

मैंने कहा- जितना कम में हो जाये उतना बेहतर है !

उसने कहा- काम तो फ्री में भी हो जायेगा।

मैंने कहा- यह कैसे हो सकता है?

उसने कहा- हो सकता है ! लेकिन यह बात हम दोनों के बीच ही रहनी चाहिए।

मैंने कहा- ठीक है !

उसने मेरा मोबाइल नंबर माँगा तो मैंने अपना मोबाइल नंबर दे दिया।

डिलीवरी के बाद हम घर जा चुके थे, दो दिन बाद मेरे मोबाइल पर फ़ोन आया- मैं ईशा बोल रही हूँ !

मैं समझ चुका था कि यह उसी डॉक्टर का फ़ोन है।

उसने कहा- आज दिन में ठीक एक बजे मेरे घर पर आ जाना !

उसने अपना पता बताया और मैं ठीक एक बजे उसके घर चला गया।

उसने दरवाजा खोला तो मेरी तबीयत मस्त हो गई, वो बड़ी सेक्सी लग रही थी।

जैसे ही मैं घर के अन्दर गया तो देखा कि घर अन्दर से सजा हुआ था, मैंने कहा- यह क्या है?

तो वो बोली- आज मेरा जन्मदिन है !

मैंने उसे विश किया और काम पूछा तो उसने कहा- मैंने तुम्हारे साथ में जन्मदिन मनाना है !

मैंने कहा- आप मुझे पहले ही बता देती तो मैं आपके लिए उपहार ले आता !

उसने कहा- वो तो मैं अपनी पसंद से लूँगी !

मैंने कहा- आपको जो चाहिए वो मैं आपको देने के लिए तैयार हूँ !

मैंने पूछा- आपको क्या चाहिए?

तो उसने कहा- लण्ड !

सुन कर मैं चौंक गया, मैंने कहा- वो तो मेरे पास एक ही है ! वो मैं आपको कैसे दे सकता हूँ?

उसने कहा- नाटक मत करो और जल्दी तैयार हो जाओ !

मैं बहुत खुश था।

उसने कहा- अपने कपड़े उतारो !

मैंने अपने कपड़े उतार दिए, उसने मेरा खड़ा लण्ड हाथ में पकड़ा और कहा- आज से यह लण्ड और इस लण्ड का मालिक मेरे गुलाम है !

अचानक उसने मुझे गाल पर एक चांटा मारा और बोली- मादरचोद केक लेकर आ !

मैं नंगा ही केक लेने चला तो मैंने पूछा- केक है कहाँ?

उसने कहा- तेरी माँ की चूत में ! मादरचोद, फ्रिज में रखा है !

मैं केक लेकर आया और उसे मेज पर रख दिया। उसने अपना मोबाइल उठाया और कॉल किया। वो बोली- केक काटने का समय हो गया है, जल्दी आ जाओ !

तभी पीछे का एक दरवाज़ा खुला और एक साथ छः औरतें अन्दर आ गई जिनकी उम्र लगभग २५ से ३० साल की थी।

मुझे शर्म आ रही थी।

उनमें से एक बोली- ईशा, इंतजाम तो बहुत अच्छा किया है !

ईशा बोली चलो प्रोग्राम जल्दी शुरू करते हैं !

ईशा ने केक काटा और चाक़ू से केक मेरे लण्ड पर लगाकर लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी।

फिर ईशा ने मुझसे कहा- नयना को केक खिलाओ !

मैंने एक केक का टुकड़ा लिया और अपने लण्ड पर मसल दिया। अब मैं तो नयना को जानता नहीं था तो मैं उन छः में से एक औरत के पास गया तो उसने मुझे उल्टा किया और मेरे चूतडों पर दो चांटे रसीद कर दिए। तब मैं दूसरी के पास गया तो उसने भी वैसा ही किया। अब मैं तीसरी के पास गया तो उसने भी वैसा ही किया।

लेकिन में जैसे ही चौथी के पास गया तो उसने झट से मेरा लण्ड चाटकर साफ़ कर दिया और नयना अपने कपड़े उतारकर अलग बैठ गई।

इसी तरह से मैंने सबको बारी बारी से केक खिलाया और एक एक करके सब नंगी हो गई और मिलकर डांस करने लगी।

ईशा भी नंगी हो गई और सोफे पर लेट गई।

उसके बाद एक औरत बोली- आज ईशा का जन्मदिन है इसलिए आज सिर्फ ईशा ही चुदेगी और बाकी हम अपने अपने तरीके से मजे करेंगी!

इतने में ईशा ने ढेर सारा केक अपनी चूत में लगा लिया, मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रखा और चाटने लग गया, फिर अपना लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया। उधर बाकी औरतें एक दूसरे की फ़ुद्दी में उंगलियाँ घुसा कर मजे दे रही थी।

अचानक से एक औरत मेरे पास आई और उसने अपना मुँह खोल लिया। मैंने अपना लण्ड चूत से निकालकर उसके मुँह में डाल दिया। इधर ईशा उल्टी लेट गई और केक की क्रीम को अपनी गांड में लगाने लगी। मैं सब समझ चुका था, मैंने लण्ड उसकी गाण्ड के छेद पर टिकाया और जोर से धक्का मारा।

एक ही बार में पूरा लण्ड अन्दर !

वो जोर से चिल्ला उठी। मुझे मजा आ रहा था, जैसे ही मैंने अपना लण्ड गाण्ड से निकाला तो फटाफट एक औरत ने अपने मुँह में लपक लिया और चूसने लगी। फिर उसने वापस लण्ड को ईशा की चूत पर टिका दिया तो मैंने धक्का मारा तो लण्ड सरकता हुआ चूत के अन्दर !

पन्द्रह मिनट बाद ईशा स्खलित हो चुकी थी।

मैंने भी जोर लगाकर अपना पूरा पानी चूत के अन्दर छोड़ दिया। थोड़ी देर बाद मैंने अपना लण्ड निकाला तो ईशा की चूत से नदी बह रही थी। उसकी सब सहेलियों ने उसकी चूत का पानी पिया और उसके बाद हम सब नंगे सोफे पर बैठ गए।

ईशा मुझसे बोलने लगी- ये सब मेरी सहेलियाँ हैं। आज इनकी चुदाई नहीं हुई है, अगली बार तुम्हें इन सबकी भी चुदाई करनी है।

मैंने पूछा- मैडम ये औरतें आपके पास कहाँ से आती हैं?

वो बोली- मैं एक लेडी डॉक्टर हूँ, इलाज के समय औरत की चूत और गाण्ड देखकर पता लगा लेती हूँ कि उसने कितनों का लण्ड खाया है। बस फिर उसे भी अपनी पार्टी में शामिल कर लेती हूँ फिर सबने मुझे एक एक हज़ार रुपए दिए और बोली- अब हम भी तुम्हें अपने घर बुलाकर चुदाई करवाएँगी।

इतने में ईशा बोली- कोटा की एक महिला है जो इलाज के लिए मेरे अस्पताल आई थी। उसके पति की कमजोरी के कारण उसके कोई संतान नहीं है, उसका नाम मीनाक्षी है और यह उसका मोबाइल नंबर है। तुम्हें उसके घर जाना है और उसके पेट में बच्चा डालना है। तुम पैसे की चिंता मत करना।

मैंने कहा- ठीक है !

इतने में ईशा की एक सहेली बोली- मेरी भी एक सहेली है जिसका बिना चुदाई के पेट नहीं भरता है, उसका नाम हिना है और यह उसका मोबाइल नंबर है, उसके घर जाकर उसकी भी अच्छे तरीके से चुदाई कर देना।

उस दिन के बाद कोटा, राजस्थान की बहुत सी महिलाएँ और लड़कियाँ मुझे अपने घर बुलाती हैं और तरह तरह से चुदाई करवाती हैं।

मुझे मेल करें !

हम लड़कियाँ लड़कियाँ - Ham Ladkiya Ladkiya

आज मैं आपको तब की एक घटना के बारे में बताने जा रहा हूँ जब मैं बारहवीं में पढ़ता था।

हमारे कॉलेज में एक मैडम थी आशा जैन नाम था उनका ! वो हमें गणित पढ़ाती थी, वैसे मैं गणित में कमजोर था पर घर वालों के दबाव से मैंने नॉन मैडिकल में दाखिला ले लिया था।

तो चलिए दोस्तो, कहानी की तरफ चलते हैं !

आशा मैडम बहुत ही सुन्दर थी उनकी उम्र करीब तीस साल की थी और उनका फिगर तो कमाल का था, सच में 34-32-36 का लगता था। वो अपने पति से अलग रहती थी दोनों में तलाक हो चुका था। मेरे घर के पास में ही एक लड़की रहती थी करमजीत कौर, उसकी उम्र 18 साल थी, वो सिख परिवार से थी। हमारे उनके परिवार से अछे सम्बन्ध थे। करमजीत भी हमारे ही स्कूल में थी पढ़ती थी। स्कूल टाइम के बाद करमजीत मैडम आशा जैन के घर पर ट्यूशन पढ़ने जाती थी। मैडम सिर्फ लड़कियों को ही ट्यूशन पढ़ाती थी।

एक दिन स्कूल के छुट्टी होने से कुछ देर पहले बारिश का सा मौसम था, मौसम खराब था तो कुछ देर पहले ही स्कूल की छुट्टी कर दी गई। स्कूल से लगभग सभी लोग जा चुके थे पर बारिश शुरु हो जाने की वजह से कुछ बच्चे फंस गए थे। आशा मैडम का घर स्कूल के पास ही था तो प्रिंसिपल सर ने आशा मैडम को स्कूल के ऑफिस की चाभी दे और कहा- आप तभी जाना जब सभी बच्चे चले जाएँ।

तो करमजीत आशा मैडम के पास ट्यूशन पढ़ती थी तो वो भी घर नहीं गई। स्कूल के सभी बच्चे घर चले गए थे, सिर्फ करमजीत और आशा मैडम रह गई थी।

स्कूल के पास ही मेरे चाचा जी का घर था मैं उनके घर चला गया था। जब वापस जाने लगा तो देखा कि स्कूल के गेट में ताला नहीं लगा है, मैंने सोचा सभी लोग तो चले गए हैं फिर अन्दर कौन है? फिर मुझे याद आया कि प्रिंसिपल सर ने आशा मैडम को कहा था स्कूल बंद करके जाने के लिए !

मैंने सोचा कि शायद मैडम भूल गई होगी गेट का ताला लगाना। मैंने स्कूल के दरवाजे को धक्का दिया पर दरवाजा शायद अन्दर से बंद था, खुला नहीं !

फिर मुझे शक हुआ कि मैडम अभी अपने घर गई नहीं है।

हमारे स्कूल के पीछे मैदान है जहाँ बच्चे खेलते हैं और उसकी दीवार ज्यादा ऊँची नहीं है, मैं स्कूल के पीछे गया और दीवार फांद कर स्कूल के पिछले गेट से स्कूल के अन्दर चला गया।

मैंने इधर-उधर देखा, मुझे मैडम कहीं दिखी नहीं। फिर मैं ऑफिस के पास गया तो मैंने देखा कि ऑफिस अन्दर से बंद था और अन्दर से कुछ आवाजें आ रही थी।

मैं हैरान हुआ कि आखिर आवाजें क्यों आ रही हैं? कौन है अन्दर? ऑफिस के साथ ही रिसेप्शन-रूम है, वहाँ से ऑफिस के पेपर लेने-देने के लिए छोटी सी खिड़की बनी है। मैं धीरे से रिसेप्शन-रूम में चला गया और उस छोटी खिड़की से छुप कर अन्दर का नजारा देखने लगा।

आशा मैडम करमजीत के होंठों को चूम रही थी, चूस रही थी जैसे इंगलिश फिल्मों में करते हैं और मैडम बीच-बीच में करमजीत के वस्तिस्थल पर भी हाथ फ़िरा रही थी ऊपर से और करमजीत के वक्ष पर भी !

रह रह कर करमजीत के मुँह से आह निकल जाती ! जब आशा मैडम करमजीत के मम्मे दबाती, करमजीत कहती- मैडम छोड़ दो मुझे ! मुझे अच्छा नहीं लग रहा यह सब !

पर मैडम कह रही थी- कुछ नहीं होता करमजीत ! मेरा भी बहुत दिल करता है ! मैं तो बस तुम लड़कियों के साथ ही थोड़ा मज़ा कर लेती हूँ। लड़के तो सिर्फ खुद मज़ा लेते हैं और बाहर जाकर हमारी इधर-उधर गा कर इज्जत ख़राब करते हैं ! इससे तो अच्छा है कि हम आपस में ही मज़े करें और किसी को पता नहीं नहीं चले !

और मैडम ने धीरे-धीरे करमजीत की कमीज़ को ऊपर उठा कर उतार दिया और अब करमजीत सिर्फ ब्रा में थी।

करमजीत ने काले रंग की ब्रा पहनी थी, उसकी चूचियाँ ज्यादा बड़ी नहीं तो फिर भी 30 इन्च के करीब होंगी।

मैडम उसकी चूचियाँ दबाने लगी और दबाते दबाते ब्रा भी खोल कर चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगी। करमजीत सिसकारी ले रही थी, आशा मैडम उसके चुचूक चूस रही थी और चूत के ऊपर भी हाथ फेर रही थी।

करमजीत पूरी उत्तेजित हो चुकी थी पर अपनी अध्यापिका के सामने अभी भी शरमा रही थी !

तभी मैडम ने करमजीत की सलवार भी नीचे सरका दी, करमजीत की पैंटी जो नीले रंग की थी। आगे से गीली सी दिख रही थी। मैडम ने करमजीत की पैंटी भी उतार दी। हालांकि करमजीत ने काफ़ी जद्दोजहद की कि मैडम उसकी पैंटी ना उतार पाएँ लेकिन आशा ने पैन्टी उतार कर ही दम लिया और अब करमजीत के घुटने पकड़ कर उसकी जांघों को फ़ैलाने का यत्न कर रही थी।

इसी कोशिश में आशा अपना सर उसकी जांघों के बीच ले गई और लम्बे लम्बे सांस भर कर कुंवारी योनि उठ रही मादक गंध का आनन्द लेने लगी।

मैडम ने अपनी एक उंगली करमजीत की योनि में डालने की कोशिश की मगर उसका योनिपटल आड़े आ गया, मैडम बोली- तू तो अभी तक अनचुदी है? तू कैसे बच गई इस स्कूल के मुश्टण्डों से?

और यह कहते कहते मैडम ने वो उंगली अपने मुँह में लेकर चाट ली।

तब मैडम उसकी चूत के पास जाकर मुँह लगा कर चूत को चाटने लगी।

करमजीत के मुँह से उह्ह्ह्हह्ह आह्ह्ह्हह्ह की आवाजे आने लगी थी। करमजीत की चूत में हल्के बाल थे फिर भी चूत बहुत अच्छी लग रही थी। मैडम चूत चाटे जा रही थी और अपने चूचे दबा रही थी।

अब करमजीत भी पूरे पूरा जोश में चुकी थी, वो भी मैडम की चूचियाँ सहलाने लगी।

फिर मैडम में अपने भी पूरा कपड़े उतार कर पूरी नंगी हो गई। बाहर बारिश तेज की पड़ने लगी थी, अन्दर करमजीत और मैडम मस्त थी, सोच रहे होंगी कि वे पूरे स्कूल में अकेली हैं पर मैं सब कुछ छुप कर देख रहा था।

अब करमजीत को मैडम ने कहा- करमजीत, तू मेरे मोम्मे चूस ! दबा जोर जोर से !

करमजीत जोर जोर से मैडम के मोम्मे चूसने, दबाने लगी तो मैडम के मुझ से भी सिसकारियाँ निकलने लगी- उह्ह्ह्ह आःह्ह्ह उईईईए !

दोनों अपनी मस्ती में मस्त थी, फिर आशा मैडम करमजीत की चूत चाटने लगी, करमजीत मजे से सिसकार रही थी और गांड उठा उठा कर चूत चटवा रही थी।

तभी करमजीत की चूत से ढेर सारा पानी निकलने लगा और वो ढीली पड़ गई। पर आशा अभी भी पिली पड़ी थी।

जब करमजीत ने मैडम को अपनी योनि से हटा दिया तो आशा ने उसे कहा- करमजीत, अब तू मेरी चूत चाट !

करमजीत ने मना किया पर मैडम के जोर देने पर वो चाटने लगी। मैडम भी मजे से चटवा रही थी चूत- सीईईई आईई जोर से चाट ! मैडम कह रही थी और ऊपर नीचे गांड उछाल रही थी।

मैडम भी थोड़ी देर बाद झर गई। फिर दोनों साथ ही सोफे पर आराम करने लगी आशा मैडम फिर से करमजीत के नंगे बदन को चूमने लगी और उसकी चूचियों के चुचूक चूसने लगी। अब करमजीत भी खुल गई थी मैडम से और वो भी मैडम के वक्ष पर हाथ फ़िरा रही थी, चूचे दबा रही थी।

फ़िर दोनों एक दूसरे को चूमने लगी और एक दूसरी की चूत में उंगली करने लगी, सिसकारने भी लेने लगी।

मैं यह सब देखता रहा, फिर दोनों एक दूसरी की चूत चाटने लगी। फिर आशा मैडम ने करमजीत को कहा- करमजीत, बहुत हो गया ! चल अब यह मार्कर(मोटा पैन) मेरी चूत में डाल कर अन्दर-बाहर कर !

करमजीत ने मार्कर अपने हाथ में लिया और धीरे से मैडम की चूत के अन्दर घुसा कर आगे-पीछे करने लगी और आशा मैडम ऊऊ ऊऊई ईई आअई ईईईई उफ्फ्फ फ्फ्फ् कर रही थी और करमजीत की चूचियों को कभी भी जोर से दबा देती जिससे करमजीत भी मजे में आ जाती। ऐसे ही करमजीत ने मैडम की चूत के अन्दर करीब दस मिनट तक मार्कर अन्दर-बाहर करती रही और मैडम ऊऊऊईई आई ईईईए उफ्फ करती रही और फिर करमजीत का हाथ पकड़ कर खुद ही जोर जोर से मार्कर अन्दर बाहर करवाने लगी। और आशा

कुछ देर बाद मैडम ने फिर से ढेर हो गई और उन्होंने राहत की सांस ली।

करमजीत ने पूछा- मैडम थक गई?

आशा मैडम ने कहा- हाँ करमजीत, मैं थक गई पर अभी तुम्हारा काम तो बाकी है ! करती हूँ अभी !

थोड़ी देर बाद मैडम जोश में आई और करमजीत के नन्हें स्तनों को जोर से चूसने लगी, करम जीत के मुँह से फिर सिसकारियाँ निकलने लगी- उईईए मैडम उफ्फ्फ सीईई !

फिर आशा मैडम करमजीत की चूत के दाने को सहलाने लगी जिससे करमजीत ऊपर, दाएँ-बाएँ उछल पड़ती और धीरे धीरे उंगली उसकी चूत के अन्दर ले गई।

करमजीत की चीख सी निकल पड़ी, पता नहीं दर्द से या आनन्द से !

शायद उसने कभी सेक्स नहीं किया था !

करमजीत के मुँह से जोर से आवाज हुई तो मैडम ने करमजीत के मुँह पर अपना मुँह रख लिया और चुम्बन करने लगी। करमजीत की योनि से खून निकलने लगा था करमजीत की झिल्ली फ़ट गई थी शायद।

थोड़ी देर मैडम ने उंगली वैसे ही करमजीत की चूत में रखी और उसे चूमती रही। करमजीत जब कुछ सामान्य हुई तो मैडम ने उंगली अन्दर-बाहर करने लगी। अब करमजीत को भी मजा आने लगा था। करमजीत उई ईई ईई ईए आह्ह्ह कर-कर के मैडम से उंगली अन्दर-बाहर करवा रही थी और खुद ही अपने मम्मे दबा-दबा कर मजे ले रही थी। फिर थोड़ी देर बाद करमजीत भी चरमसीमा पर पहुँच गई और मैडम का हाथ पकड़ लिया और जोर जोर से चूत के अन्दर करवाने लगी और फिर मैडम की उंगली को अपने अन्दर ही दबा लिया और झर गई।

आशा मैडम की उंगली खून और करमजीत के योनिरस से भीगी हुई थी। फिर थोड़ा आराम करने के बाद मैडम और करमजीत ने अपने कपड़े पहने, अपने आप को ठीक किया और घर जाने के लिए बाहर देखने लगी पर बारिश हो रही थी।

फिर दोनों बैठ गई, बातें करने लगी।

आशा मैडम ने पूछा- करमजीत, कैसा लगा?

करमजीत मुस्कुरा कर बोली- मैडम, बहुत मजा आया ! आपने सच कहा कि अगर यही हम किसी लड़के के साथ करते या करवाते तो वो किसी न किसी को जरूर बता देता ! इससे अच्छा तो यही है की हम लड़कियाँ लड़कियाँ ही सेक्स करें और मज़े लूटें ! इज्जत भी बची रहेगी और मज़े तो मिलेंगे ही। सच मैडम बहुत मजा आया !

आशा ने में करमजीत को गले लगा लिया और बातें करने लगी। फिर बारिश कम हो गई और दोनों घर चलने की तैयारी करने लगी तो मैं भी धीरे से बाहर निकल गया और अपने घर चला गया।

तो दोस्तों कैसी लगी यह मेरी आशा मैडम और करमजीत की कथा?

किसी सेक्सी लड़की से कम नहीं - Sexy Ladki Se Kam Nahi

किसी सेक्सी लड़की से कम नहीं - Sexy Ladki Se Kam Nahi

मेरा नाम ईशा शर्मा है, वैसे तो मैं एक लड़का हूँ पर मुझे यही नाम ज्यादा अच्छा लगता है। मेरी उम्र 21 साल की है और मैं बंगलौर में अपनी इंजीनियरिंग कर रहा हूँ। मैं काफी गोरा हूँ, मेरा वजन 56 किलो है, मैं काफी चिकना हूँ और मेरी टाँगें और गाण्ड तो एकदम लड़कियों जैसी ही है। मैं जानता हूँ कि आप यही सोच रहे होंगे कि मैं एक गे हूँ पर यह सच नहीं है। ऐसे तो मेरी ज़िन्दगी के बहुत सारे किस्से हैं, चलो कुछ तो सुनाया जाए।

मैं वैसे तो एक साधारण लड़का बनकर ही रहता हूँ पर कभी कभी जब मैं अकेला होता हूँ तो मुझे लगता है कि मैं एक लड़की हूँ। वैसे तो मैं कई सालों से अपने आपको को ऐसा मानता था पर यह बात मेरे इन्जीनियरिंग के पहले साल की है जब मेरा दाखिला बंगलौर में हो गया तो मेरे पापा ने मुझे जयपुर से बंगलौर भेज दिया। मैं कॉलेज से बाहर एक कमरा लेकर अकेला रहता था। असल में वो एक अपार्टमेन्ट था। यहाँ आकर मैं अकेला रहने लगा, तभी से मुझे कुछ ऐसा करने का मन कर रहा था पर मैं किसी वजह से रुका हुआ था।

वो बात मैं आप लोगों को बाद में बताऊँगा अगर मेरी यह कहानी आपको पसंद आई तो ही।

तो एक दिन जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैं अपने पास वाले रिलायंस फ्रेश स्टोर पर गया और वहाँ से एक वीट की हेयररिमूवर क्रीम ले लाया बड़े आकार की।

अपने अपार्टमेन्ट में आकर मैंने अपना कमरा बंद किया और अपने सारे कपड़े उतार दिए। फिर मैंने क्रीम निकाली और अपनी टांगों पर लगाई जैसे उसमें बताया हुआ था। पाँच मिनट में जब मैंने क्रीम उतने हिस्से में से हटाई तो मेरी टाँगें एकदम लड़कियों जैसी चमक रही थी पर उतनी क्रीम से मैं सिर्फ अपनी एक टांग का कुछ हिस्सा ही पूरा कर पाया था। फिर मुझ से रहा नहीं गया, मैंने तुरन्त अपने कपड़े पहने और मैं वापस जाकर और दो पैक क्रीम के और ले लिए। लेकिन अब तक तो मैं बेताब हो गया था और मेरा मन लड़कियों के कपडे पहनने को करने लगा तो मेरे अन्दर की लड़की पूरी तरह से ज़िंदा हो गई।

अब आगे मैं अपने आपको लड़की मान कर ही कहानी लिखूँगा।

मैं वहाँ से तुरन्त ब्रिगेड रोड के लिए चल पड़ी बस से। एक घंटे में मैं वहाँ पहुँची। वहाँ पहुँच कर मैं सीधी तिब्बत मार्केट में घुस गई। वहाँ पर ब्रा और पैंटी काफी सही रेट पर मिलती हैं। पहले तो मुझे बहुत शर्म आ रही थी, फिर मैं हिम्मत करके एक दुकान से तीन पैंटी और एक ब्रा खरीद कर ले आई। मेरा मन बहुत कर रहा था उन्हें पहनने का। जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैं वहाँ पर एक मॉल में चली गई, वहाँ जाकर मैं सीधी जैंट्स बाथरूम में चली गई।

क्या करूँ? हूँ तो लड़का ही ना सबकी नज़र में !

वहाँ बाथरूम में मैंने अपने उतार कर ब्रा और पैंटी पहन ली। वो इतनी प्यारी फीलिंग थी कि मुझसे रहा नहीं गया, मैंने थोड़ा सा दरवाजा खोल कर देखा तो पूरा बाथरूम खाली था। मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में बाहर आई, सामने दर्पण में अपने आपको देखा तो सच कहूँ किसी सेक्सी लड़की की याद आ गई।

एकदम गोरी-गोरी टाँगें, (एक पर बाल बचे थे पर मेरे ज्यादा बाल नहीं थे, लेकिन दूसरी टांग तो एकदम लड़कियों जैसी लग रही थी।)

पूरे बाथरूम में उस वक़्त कोई नहीं था सामने के दर्पण में मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में अपने आपको काफ़ी देर तक देखती रही। फिर अचानक मुझे किसी के आने की आवाज आई। एक बार तो मुझे लगा कि ऐसे ही खड़ी रहती हूँ, जो भी आएगा उसका लण्ड अपने मुँह में ले लूंगी पर मुझे लगा शायद गार्ड भी हो सकता है तो मैं तुरंत बाथरूम में वापस घुस गई। वहाँ मैंने जींस और टीशर्ट पहनी ब्रा और पैंटी के ऊपर ही, और तुरन्त बाहर निकल कर घर के लिए बस पकड़ ली। रास्ते में आते हुए मैंने कुछ बैंगन भी ले लिए छोटे छोटे क्यूंकि मेरी गाण्ड बहुत ही कसी है।

घर आते ही इस बार पहले मैंने अपनी दोनों टांगों और अपनी गाण्ड के सारे बाल हटा दिए। मेरे पेट पर तो तब बहुत ही कम बाल थे। उसके बाद मैं नहाने के लिए बाथरूम में गई। नहाते हुए मेरी गोरी गोरी टाँगें मुझे बहुत सेक्सी लग रही थी। बाहर आकर मैंने बॉडी क्रीम लगाई और तुरंत ब्रा और पैंटी पहन ली। ब्रा पैडेड थी ! उस वक़्त अगर कोई भी लड़का मुझे देख ले तो कोई नहीं कह सकता था कि मैं लड़की नहीं हूँ, एकदम गोरी-गोरी पतली लड़कियों जैसी टाँगे, एकदम पतली लड़कियों जैसी कमर, और कमर पर लाल रंग की ब्रा और नीचे गुलाबी पैंटी !

उस वक़्त रात के बारह बज चुके थे।

मुझसे रहा नहीं गया, मैं ब्रा और पैंटी में ही बाहर सड़क पर आ गई। मुझे इतना अच्छा लग रहा था कि मैं बता नहीं सकती। बस मन कर रहा था कि कोई लड़का आये और मेरी कुंवारी गाण्ड में अपना लंड डाल दे ! पर डर लगता था क्यूंकि मैं कुंवारी थी और मैंने सुना था कि गाण्ड मरवाने में बहुत दर्द होता है। फिर मैं अपने कमरे से एक पतला वाला बैंगन उठा लाई और बाहर जहाँ मेरी पड़ोसियों की बाइक खड़ी थी, वहाँ चली गई। उस वक़्त अगर अपार्टमेन्ट से कोई आ जाए तो पता नहीं क्या होगा, यह सोच कर मुझे डर लग रहा था पर मजा भी आ रहा था।

मैं अपने साथ तेल की बोतल भी लाई थी क्यूंकि मुझे लगा था कि बहुत दर्द होगा। फिर मैं बाइक पर बैठ गई और अपनी पैंटी थोड़ी नीचे कर दी और अपनी गाण्ड को बाइक के हैंडल से रगड़ने लगी यह सोच कर कि यह एक लण्ड है।

तब तक मेरी गाण्ड में जैसे आग लग चुकी थी, फिर मुझ से रहा नहीं गया तो मैंने तेल लगा कर एक ऊँगली गाण्ड में घुसा दी, बहुत दर्द हुआ पर कुछ देर में बहुत मजा आने लगा। फिर मुझ से रहा नहीं गया मैंने दूसरी उंगली डालने की कोशिश की तो बहुत जलन होने लगी। मैं तुरंत कुत्ते वाली अवस्था में आ गई, गाण्ड थोड़ी ऊपर की और तेल की बोतल का मुँह अपनी गाण्ड में लगाया और बोतल उलट दी। उसके बाद तो ऐसा लगा कि बहुत चिकनी हो गई है मेरी गाण्ड।

मैं अपनी गाण्ड मसलने लगी, मुझ से रहा नहीं गया तो मैंने अपनी दोनों उंगलियाँ अपनी गाण्ड में डाल ली और अन्दर-बाहरकरने लगी …आ आआ आआआ क्या बताऊँ क्या लग रहा था !

फिर मैंने अपनी दोनों उंगलियाँ निकाल ली और एक बैंगन को नीची रखा और उस पर बैठ कर आधे से ज्यादा बैंगन अनदर ले लिया- आआआ आआआ जैसे तन बदन में आग लग गई !

मैं मस्ती में ऊपर-नीचे होने लगी फिर मेरा हाथ अपने लण्ड पर चला गया। मैं मस्ती में आगे पीछे होकर एक हाथ से बैंगन गाण्ड में अन्दर बाहर कर रही थी और दूसरे हाथ से लण्ड हिला रही थी।

कुछ ही देर में मैं झड़ गई।

उसके बाद और मैं वहाँ नहीं रह सकती थी, कोई भी आ सकता था। मैंने वापस पैंटी पहनी और बाहर सड़क पर जाकर उस पार डिब्बे में बैंगन डालने चली गई।

आप यकीन नहीं करेंगे पर उस वक़्त मैं किसी सेक्सी लड़की से कम नहीं लग रही थी…..

मुझे वो रात अब तक याद है !

अगर आपको मेरी कहानी पसंद आई तो मैं अपनी पहली सेक्स की कहानी भी लिखूंगी वरना शायद नहीं…..

बाय लव यू आल…

एक्टिंग स्कूल -

हेलो दोस्तो, आपको श्रेया का नमस्कार… फिर से आपके सामने पेश है एक लण्ड कठोरी फ़ुद्दी पिपासु कहानी !

यह कथा है मेरी सहेली जूली की ….

हम दोनों प्लस टू पास करके वूड्स एक्टिंग स्कूल में जाया करती थी।

बहुत दिनों से जूली नहीं आई, मालूम चला कि वो बीमार है तो मैं उसे मिलने चली गई।

मैं : जूली, तू कहाँ रहती है यार आजकल? एक्टिंग स्कूल भी नहीं आ रही?

जूली : कुछ नहीं यार ! बस अब नहीं जाना, वहाँ अच्छे लोग नहीं हैं !

मैं : क्यूँ? अब क्या हुआ … पिछले बार की तरह अब किसी ने तुम्हें छेड़ दिया?

जूली : इस बार तो उससे भी बुरा हुआ ..

मैं : अब यह मत कहना किसी ने तुम्हें चोद दिया?

जूली : बस ऐसे ही समझ लो … याद है उमराव जान वाला रोल? जो तुम्हें मिलने वाला था?

मैं : हाँ ! पर वो तो सर ने तुम्हें दे दिया था … मुझे तुम पर बहुत गुस्सा भी आया था… लेकिन हुआ क्या मेरी रानी?

जूली : तुम्हें तो पता है कि उस कहानी में कुछ डाकू उमराव जान को उठा कर ले जाते हैं?

मैं : हाँ ! और उसके साथ ज़बरदस्ती करते हैं … तो वो तो एक्टिंग है न यार?

जूली : हाँ एक्टिंग तो थी … सर का मूड ऑफ था ! उन्हें इस शो से बहुत उम्मीद थी, तो हमें देर रात तक प्रैक्टिस करनी थी।

मैं : अच्छा फिर ज़रा विस्तार से बता मेरी जानेमन !

जूली : देख मजाक उड़ाना है तो फिर जा … मत सुन !

मैं : अच्छा अच्छा सॉरी …बोलो भी अब?

जूली …. मैं देर रात तक वहीं थी, विक्की सुमित और करन डाकू बने थे .. वो मुझे उठा कर ले जाते हैं पीछे के मैदान में !

मैदान का दृश्य :

विक्की : देख यार जूली ! यह तो एक्टिंग है ! बस रिलैक्स रहना ! हम कौन सा तेरा रेप कर देंगे?

जूली : देखो, ज्यादा होशियार मत बनो ! मुझे तुम लड़कों का अच्छे से पता है !

सुमित : फिर बेहतर होगा कि तुम जाओ और किसी और को मौका दो… श्रेया तुमसे तो बहुत अच्छी एक्टिंग करती है !

जूली : ऐसी बात नहीं है, मैं बेहतर हूँ ….दिखने में भी और एक्टिंग में भी !

करन : ओ के ! देखते हैं … आगे के दृश्य में बिल्लू यानि सुमित ऊपर चढ़ कर तुम्हें मारेगा !

जूली : ठीक है ! पर मुझे ज्यादा छूना-वूना पसंद नहीं ….संभल कर !

सुमित : ऊपर चढ़ कर … (एक्टिंग) चल, अपने कपड़े उतार ! वरना ?

जूली : (एक्टिंग) तुम मेरे सारे गहने ले लो पर मुझे छोड़ दो !

विक्की : (एक्टिंग) गहने नहीं ! हमें तुम्हारी जवानी चाहिए !

सुमित : (एक्टिंग) यह ऐसे नहीं मानेगी… ले चलो इसे !

वो मुझे बगल के छोटे से कमरे में ले गए और मेरे लाख मना करने पर भी मेरे कपड़े उतार दिए… मैं सिर्फ ब्रा पैंटी में रह गई थी !

मैं : देखो, मुझे जाने दो ! मुझे पता है कि यह एक्टिंग नहीं है … वरना सर को बोल दूँगी !

करन : देखो जूली, सर ने ही हमें कहा है ऐसा करने को ! वरना तुम स्टेज पर खुल नहीं पाओगी !

मैं : जाने दो मुझे ! वरना मैं शोर मचाऊँगी।

तभी खान सर आ गए …

खान सर : शोर करना है तो फिर जाओ … जूली अगर मेरा यह शो फ्लॉप गया मैं सड़क पर आ जाऊँगा …

मैंने झट से अपने कपड़ों को उठाया और अपना वक्ष को ढका।

मैं : सर आप श्रेया को रख लीजिये .. मुझे कोई शौक नहीं ऐसा गन्दा शो करने का !

खान सर : कौन से मेरे शिष्य तुम्हारी इज्ज़त उतार रहे हैं? और तुम्हारे अंकल से ही पूछ कर हम तुम्हारे साथ ऐसा कर रहे हैं ! यकीन नहीं है तो पूछ लो ! ..करन बेटा, ज़रा इसके अंकल को फ़ोन लगाना …

अंकल : हेलो..

मैं : अंकल, ये लोग मेरे साथ …?

अंकल : अरे बेटा, यह तो एक्टिंग है … वास्तविक जीवन में हिरोइनें बनने के लिए लड़कियाँ न जाने क्या-क्या करती हैं !

मैं : मुझे नहीं करना यह सब …! मैं घर आ रही हूँ !

अंकल : ख़बरदार जो इस शो को छोड़ा तो .. देख बेटी, तेरी माँ बीमार है … दवाई दारू का पैसा कहाँ से आयेगा?

मैं : इसका मतलब मैं अपना शरीर बेच दूँ …आप मेरे दलाल हैं क्या?

अंकल : नीच … यह एक्टिंग है खान अंकल के चलते हमारा घर चलता है ! तेरा बाप तो तेरे पैदा होते ही किसी और के साथ भाग गया था …वो इस एक्टिंग के पूरी पन्द्रह हज़ार दे रहा है और देव साहब भी आ रहे है शो देखने ..हो सकता है तुम्हें छोटा मोटा फिल्म में रोल मिल जाये और हमारी किस्मत चमक जाये?

मैं : लेकिन अंकल ….

अंकल : देख बेटी तेरे ही तो सहपाठी है … एक्टिंग ही तो करनी है और कौन सा असली शो में तेरे कपड़े खुलेंगे .. यह प्रैक्टिस तो सिर्फ़ इसलिए कि तू शो में खुलकर एक्टिंग कर सके… अब चलो दो दिन तक मन लगा कर खान अंकल से एक्टिंग सीखो … बाय

खान सर : चलो अब तुम सुमित इसे ज़मीन में गिराकर एक ज़ोरदार किस करो !

सुमित मुझे जमीन पर लिटा कर मेरे गालों को चूमता है …

खान सर : साले किस मतलब जानता है…? होंठों पर दे चुम्बन … ठहर, मैं दिखाता हूँ ..

खान सर ने मेरी जांघों को पकड़ा और मेरे होंठों से होंठों को मिलकर मुझे चूमा …

एक एक करके तीनों ने उसी तरह प्रैक्टिस की .. सब मिलकर मुझसे सुख भोग रहे थे …

सर ने सुमित से कहा- अपने कपड़े खोलकर और सिर्फ अंडरवीयर पहन कर इसके ऊपर चढ़ कर घस्से मारो !

सुमित ने वही किया … मेरी जांघों को फैलाया और घस्से मारने लगा …

सर : ऐ कभी लड़की नहीं चोदी क्या ..? पता नहीं घस्से कैसे मारे जाते हैं …?

सुमित : नहीं सर ! अब तक मौका नहीं मिला … आज पहली बार किसी लड़की को इतने कम कपड़ों में देख रहे हैं !

विक्की : सर मैंने भी नहीं किया … और न ही करन ने किया !

सर : तुम तीनों की उम्र लगभग क्या होगी ?

विक्की : सर, इक्कीस साल !

सर : और तेरी लड़की ?

मैं : (अपनी जांघें सिकोड़ते हुए) सर, बीस साल !

सर : कमाल की बात है कि अब तक तुम सबने यौन भोग नहीं चखा …? चल तू अब है तो कम से कम इनको सारे कपड़े खोलकर तो दिखा … पीछे घूम ! पहले तेरी ब्रा उतारता हूँ …

मैंने वैसा ही किया … सर ने मेरी ब्रा उतार दी … और मेरे मम्मों पर हाथ फेरते गुए बोले- … एक एक करके छुओ !

मेरे बदन में जैसे एक बिजली सी दौड़ गई !

विक्की : सर कितना मुलायम चीज़ है …. चूसने को दिल कर रहा है !

सुमित (मेरे चुचूक अपनी उंगलियों में दबाते हुए) : सर अगर इसके अंगूर इतने प्यारे हैं फिर बुर कितनी अच्छी होगी !!

मेरी जांघों के बीच सरसराहट सी होने लगी थी …

सर ने मुझे खड़ा किया और मेरी पैंटी मुझसे पूछे बिना खोल दी … मैंने अपना चेहरा हाथों से छुपा लिया उस समय मुझे बहुत गन्दा लग रहा था, विक्की सुमित और करन ने एक एक कर मेरी बुर को छुआ और मुझसे एक बार सेक्स करने को कहा …

सर : तुम्हारी बुर तो कुंवारी लगती है? क्या आज तक कभी सेक्स नहीं किया?

मैं : नहीं सर … (मैंने झट से अपनी पैंटी और ब्रा पहन ली)

सर : चलो अब तुम तीनों अपने कमरे में जाओ .. क्या कहा सुना नहीं? यह कुंवारी बुर है … तुम जैसे नौसीखवा के हाथ लग गई तो फिर इस बुर का बुरा हाल हो जायेगा !

सुमित : मतलब सर?

सर : मतलब के बच्चे … नथ उतरना मामूली बात नहीं … बड़े ध्यान से कुंवारी बुर को मारा जाता है … चलो अब तुम तीनों अपने कमरे जाओ और आराम करो ..जूली को थैंक्यू बोलो जिसने अपने हुस्न और आबरु को तुम्हें दिखाया ….

तीनों चले गए … मैं भी पास वाले कमरे में जाने लगी … मेरा बुरा हाल था .. मेरे बुर से रस की धार बह रही थी ! न जाने क्या हो गया था मुझे … काश सर मान गए होते ! मुझे भी चुदने का पागलपन हो गया था … बावली हो गई थी .. मैंने फैसला कर लिया था आधी रात को मैं तीनों के पास अपनी काया-मर्दन के लिए जाऊँगी पर सर की बात खटक रही थी … नथ वाली बात …

तभी सर मेरे पीछे आ कर खड़े हो गए …

सर : क्यूँ बेटे, क्या हुआ …? पीछे से तुम बिल्कुल गीली हो गई हो … रिस रहा है क्या?

मैं : सर अब क्या छुपाना .. बहुत बेचैनी हो रही है …

सर : कोई बात नहीं ! होती है … आ जा … मेरे पास आ जा …

सर ने धीरे धीरे मेरे दोनों अधोवस्त्र दोबारा उतार दिए और अपने भी … मैंने पहली बार लण्ड देखा ! मोटा भूरा और आगे लाल टोपा … सर की उम्र कोई रही होगी कोई पचास की और कहाँ मैं अनछुई कच्ची कलि ?

सर : बेबी, इसे मुँह में लो .. चूसो …

मुझे एक बार चूसने के बाद उलटी आ गई ….तो मैंने मना कर दिया …

पर सर ने बड़े प्यार से मेरी बुर चाटी तो उसे कोई परेशानी नहीं हुई .. मैं मदहोश हो रही थी !

सर ने मेरी एक टांग उठाई ,,, मेरे गोलों, गोल गाण्ड को मला और एक ही झटके में लण्ड का भाला मेरी योनि में भोंक दिया …

सर : बस सांस लेती रहो ऊँचा ऊँचा ! और जाने दो और अन्दर ! अभी तो आधा सफ़र बाकी है …!

मैं : मैं मर जाऊँगी ! सर, निकाल दो …

सर : कुछ नहीं होता ! बस घस्से मारने दो … बहुत हसीन हो तुम … जवान कमसिन …

मैं : आह और मारो न घस्से सर ! नथ उतार ही दो … उनको भी बुला लो ना तीनों को ! … उनको भी मज़ा लेने दो …

सर यह सुनकर बहुत हे गुस्से में आ गए ….: क्यूँ बूढ़ा हो गया हूँ क्या मैं? … अरी, उनके जैसे कितनों के बराबर हूँ मैं आज भी … और तुझे बहुत गर्मी छाई हुई है ना? अभी बताता हूँ ….

सर ने मुझे उल्टा किया और झुका दिया … इससे पहले मैं कुछ समझती, सर ने मेरी गाण्ड में लण्ड डाल दिया।

मैं : आह सर ! नहीं इस…स एईई अह अह मैं मर जाऊँगी !

सर : यह ले साली ! यह ले … आज रात भर तेरी गांड मरूँगा … ठीक से चलने लायक नहीं रहेगी …

मैंने देखा कि मेरे गाण्ड और बुर दोनों से खून की एक धारा मेरी जांघों के बीच बह रही थी, मेरे मम्मों को सर निचोड़ रहे थे … दर्द के मारे बिहोशी छा रही थी … मेरी चीखें सुनकर तीनों करन, विक्की और सुमित आ गए …

सुमित ने किसी तरह सर को धकेला … विक्की ने जल्दी से मेरी बुण्ड और बुर को साफ़ करके मलहम लगाया और करन ने मुझे कपड़े पहनाये …

तीनों ने सर को बहुत पीटा और कभी भी एक्टिंग चूल नहीं आने की बात की और मुझे मेरे घर सही सलामत पहुँचा दिया।

जिन लोग को मैं बुरा समझी, वो कितने अच्छे निकले और अपने अंकल और खान सर को जिन्हें मैंने पूजा, वही दरिन्दे निकले !

श्रेया यानि मैं : लेकिन जो हुआ तेरी मर्ज़ी से हुआ .. मतलब सेक्स

जूली : कह सकती हो कि मैं बहक गई थी पर इस तरह से कोई करता है क्या ?

मैं : पर तू तो तीनों से सेक्स करनी की सोच रही थी, फिर कैसे करती?

जूली : पता नहीं था यार कि सेक्स इतना दुखदायी है !

मेरा दोस्त और उसकी बहन - Dost Aur Uski Bahan

मेरा दोस्त और उसकी बहन - Dost Aur Uski Bahan

बात तब की है जब मैं बारहवीं में पढ़ता था। मैं और मेरा सबसे अच्छा दोस्त राज (बदला हुआ नाम) हम काफ़ी अच्छे दोस्त थे और वो दिखने में भी अच्छा था। हमारी क्लास के कई लड़के उसकी गाण्ड के पीछे पड़े थे, मैं भी था उनमें !

मैं मजाक मजाक में उसकी गाण्ड को दबा दिया करता था पर मुझे तो उसकी गाण्ड का छेद ही चाहिए था।

एक बार जब उसके मम्मी-पापा बाहर जा रहे थे तो उन्होंने मुझे कहा- तुम इसके साथ ही रह लेना !

मैंने भी हाँ कर दी।

घर में उसकी एक जवान बहन भी रहती थी, क्या मस्त चूचे थे उसके ! मेरा तो देख कर ही खड़ा हो जाता था।

मैं रात को उसके घर सोने चला गया। उसकी बहन एक अलग कमरे में थी और मैं राज के साथ उसके कमरे में था। मै बिस्तर पर बैठा था, राज ने कहा- मैं कपड़े बदल लेता हूँ।

मेरे मन में सेक्स का भूत जाग रहा था, मेरे सामने वो नंगा हो गया उसने अन्दर कुछ नहीं पहना था। मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता था पर उसे चोद भी तो नहीं सकता था।

मैंने उसे कहा- मुझे बाथरूम जाना है।

मैं बाथरूम में गया और वहाँ जाकर मुठ मारने लगा। पर मैंने शायद दरवाज़ा पूरा बन्द नहीं किया, मैंने मुठ मार कर सारा माल निकाल दिया और बाहर आ गया।

मैं और राज सोने लगे। थोड़ी देर बाद मुझे मेरी टांगों में अचानक किसी का स्पर्श महसूस हुआ। मैंने देखा कि राज मेरा लौड़ा पकड़ रहा है।

मैं उठा और उससे कहा- क्या कर रहे हो यार?

उसने बोला- मैं तेरा दोस्त हूँ तो तुझे मुझसे तो बोलना चाहिये था।

मैंने पूछा- क्या बोलना चाहिए था?

उसने बोला- तुम अभी बाथरूम में जाकर मेरे नाम की मुठ मार रहे थे तो मुझसे ही कह देते !

मैं चौक गया- तुमने मुझे मुठ मारते कब देखा?

“जब तुम मूतने गए थे तभी !” उसने कहा,” आपस में क्या शर्माना? आ जा ! तुझे जो करना है कर ले !”

मैं तो इसी दिन का इंतजार कर रहा था, मैंने कहा- मैं तेरी नहीं मारूंगा !

वो बोला- अच्छा !

उसने मेरा लौड़ा चूसना शुरू कर दिया, मुझे बड़ा मजा आ रहा था पर मैं उसे बोल रहा था- ऐसे नहीं करते !

वह बोला- दोस्ती में सब जायज है !

मैंने बोला- ठीक है, तो ले फिर !

अब मैंने उसे नंगा करना शुरू किया और उसने मुझे ! कुछ ही देर में हम दोनों नंगे खड़े थे। उसे मेरा लौड़ा चूसते चूसते करीब दस मिनट हो गए, फिर मैंने उससे कहा- मुझे भी तुम्हारा चूसना है !

हम लोग 69 की अवस्था में करने लगे और 15 मिनट चूसते ही रहे।

फिर मैंने उसे लिटा दिया और उसकी गाण्ड चाटने लगा। वो पूरा मस्ती में था और आवाज निकालने लगा- उह..ह्ह…..आह……करो ! मजा आ रहा है !

मैंने अपने लौड़े पर कोंडोम चढ़ा लिया और उसकी गाण्ड में तेल लगा लिया। अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, उसने मेरा लौड़ा पकड़ा और उस पर बैठ गया और चिल्लाने लगा।

मैंने कहा- अरे मैं कर रहा हूँ ना ! फिर क्या है? और चिल्लाओ मत ! तुम्हारी बहन आ जाएगी !

फिर मैं अपना 7 इंच का लौड़ा उसकी गाण्ड में धीरे-धीरे डालने लगा और वो आवाज निकाल रहा था- ऊह ! जोर से……..आह ! वाह क्या बात है ! डालो !

मैंने एक जोर का झटका दिया और मेरा आधा लौड़ा उसकी गाण्ड में घुस गया। मैं कुछ देर वैसे ही पड़ा रहा तो उसने गाण्ड उठाना शुरू कर दिया और मैंने भी अपना लौड़ा अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया।

हम दोनों मस्ती में थे और पूरे कमरे में हमारी आवाज गूंज रही थी- आऽऽह्ह…….ऊह…….ओह…….

कुछ देर मैंने उसे चोदा। फिर उसने कहा- मैं घोड़ा बनता हूँ।

और वो घोड़ा बन गया और मैंने अपना लौड़ा डाल कर चोदना चालू रखा। काफ़ी देर करने के बाद मैं झड़ने वाला था, मैंने कहा- कहाँ छोडूँ?

उसने कहा- मेरे मुँह में !

मैंने मेरा लौड़ा निकाला और उसके मुँह में अपना सारा माल छोड़ दिया। फिर मैं और राज कुछ देर एक दूसरे को चूमते रहे।

तभी अचानक बाहर से सेक्सी आवाज आने लगी। हमने दरवाजा खोला और देखा कि राज की बहन दरवाजे के पास खड़ी सब देख रही थी और अपनी चूत में उंगली कर रही थी। राज की बहन हमसे एक साल बड़ी थी और लम्बाई में भी मुझसे ज्यादा थी, करीब 19 साल की थी, एकदम सेक्सी !

राज डर गया और उसकी बहन अन्दर आई, बोली- ये कैसी आवाजें आ रही थी तुम्हारे कमरे में से? सच सच बोलो कि तुम लोग क्या कर रहे थे, वरना मैं पापा को फोन करके सब बता दूंगी !

मेरा लण्ड डर के मारे ढीला हो गया, हम उसकी बहन के सामने नंगे ही खड़े थे।

फिर उसकी बहन पास में आई और गिरने का नाटक किया और गिर गई।

मैं उसे उठाने गया तो वो मेरा लौड़ा पकड़ कर बोली- तू मेरे भाई को मजा देगा तो क्या मुझे नहीं देगा?

और मेरा लौड़ा चूसने लगी।

मेरी तो निकल पड़ी, पहले उसके भाई को चोदा फिर अब उसकी बहन का नंबर था।

शायद किसी ने सच ही कहा है कि देने वाला जब भी देता है तो छप्पर फाड़ के देता है।

पर मुझे लगा कि देने वाला जब भी देता है तो देता है चूत फाड़ के……

उसके बाद राज जो कि अभी तक नहीं झड़ा था वो भी मुझसे चुदवाने के लिए फिर से आ गया और अपनी बहन के साथ ही मेरा लौड़ा चूसने लगा। कभी वो मेरा लौड़ा चूसता, कभी उसकी बहन !

राज बोला- दोस्त, तू तो मेरा बहुत ही ख्याल रखता है?

मैंने कहा- मेरा ख्याल तो तुम लोग रख रहे हो !

तभी मैंने उसकी बहन को धीरे धीरे नंगा कर दिया। अब घर में हम तीनो नंगे थे !

उसकी बहन का बदन ! क्या बताऊँ, करीब 36-26-36 होगा। मेरे तो होश ही उड़ गए उसे नंगा देख कर ! मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसे पकड़ कर चूमने लगा। राज मेरा लौड़ा चूसे जा रहा था। क्या मजा आ रहा था।

फिर उसकी बहन बोली- राजू, अब और मत तड़पाओ और अपना लौड़ा मुझ में डाल दो।

मैंने उसे लेटा दिया और उसकी चूचियाँ और चूत चाटने लगा। राज अपनी बहन को अपना लौड़ा चुसवा रहा था। अब वो पूरी मस्ती में आ गई थी और अपनी चूत में मेरा मुंह लगा कर बोल रही थी- आह..ह्ह…ऊफ़……..चा…..चा….टते….र…अ..अ….अ….हो……वाह मेरे राजा ! और जोर से जोर जोर से !

उसने मेरा मुँह अपनी चूत में दबा लिया। मैं भी उसकी चूत में अपनी जीभ डाल रहा था। मैं अब पूरे जोश में था, पहले एक कुंवारी गाण्ड मिली जो काफी चिकनी थी, अब मुझे एक कुँवारी चूत मिली जिसे मैं खोलने वाला था।

मैं अपने लण्ड का सुपारा उसकी चूत पर घुमाने लगा तो वो और तड़प रही थी, बोली- मत तड़पा मेरे राजू, डाल दे मेरी इस चूत में लौड़ा ! इसे फाड़ दे !

मैंने देरी ना करते हुए अपना लंड का सुपारा उसकी चूत पर रखा और एक धक्का मारा पर उसकी चूत कुँवारी होने के कारण नहीं गया। फिर मैंने एक धक्का मारा और मेरा लंड का आधा भाग उसकी चूत में घुस गया और वो चिल्लाने लगी- मैं…मर….गई……अह्ह्ह्हह्ह्ह…….ओह………….निकालो…..इस..को…….निकालो…….अह्ह्ह्ह्ह………अह……….अह…अह्ह्ह्अह……..अह…

उसकी आँखों से आँसू आने लग गए तो मैं रुक गया और उसे चूमने लगा। राज उसके मम्मों को दबा कर उसका ध्यान अपनी ओर खींच रहा था।

फिर मैंने एक और धक्का मारा और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत को चीरता हुआ घुस गया। कुछ देर के बाद वो अपनी गाण्ड उछालने लगी तो मुझे सिग्नल मिलते ही मैं भी उस पर जंगली शेर की तरह टूट पड़ा, मैं उसे लेटा कर और उसका एक पैर मेरे कंधे पर रख कर चोद रहा था और वो राज का लौड़ा चूस रही थी।

अब तो राज भी अपनी बहन के मुँह को पकड़ कर जोर जोर से चोद रहा था।मैंने उसके मम्मे पकड़े और उसे जोर जोर से चोदने लगा। उसने मुझे अपनी ओर खींच लिया और दबोच लिया, उसके नाख़ून मुझे लगने लगे पर मेरी गति बढ़ती गई, और बढ़ती गई और वो चिल्लाती रही-हाँ…..बेबी…..फ़क…..मी…आह…..आह…अह…

वो ऐसे ही अंग्रजी में बोलती रही और उसका शरीर अकड़ने लगा और वो झड़ गई। राज भी उसके मुँह में ही झड़ गया, मैं भी पूरा का पूरा झड़ गया और काफी थक गया था।

रात के करीब दो बज गए थे, थक गया था पर मन तो अभी भी नहीं भरा था।

मैं उनके घर करीब चार दिन रहा और चार दिन में राज और उसकी बहन की कई बार गाण्ड मारी और एक बार तो मुझे गाण्ड मरवानी भी पड़ी पर वो अगली कहानी में !

रूम पार्टनर से मरवाई - Room Partner Se Marvai

रूम पार्टनर से मरवाई - Room Partner Se Marvai

ह मेरी पहली कहानी है। मेरा नाम अवनीश यादव है, मैं कम्पयूटर साइंस तृतीय वर्ष का छात्र हूँ। बात उन दिनों की है जब मैंने अपनी बारहवीं की परीक्षा पास करके बी. टेक. में प्रवेश लिया था। मैंने होस्टल में रहना तय किया क्योंकि मैंने सुन रखा था कि हॉस्टल की जिन्दगी बड़ी बिंदास होती है। रसिक तो मैं था ही परन्तु रैगिंग के कारण बहुत डर भी लग रहा था। लेकिन वहाँ के नए-नए दोस्तों से मिलकर थोड़ा अच्छा भी लग रहा था। मेरे हॉस्टल में जो कमरे थे उनमें दो छात्र एक साथ रहते थे। जब मैं होस्टल में आया तो उस समय तक मैं अपने कमरे में अकेला ही था एक हफ्ते के बाद एक दिन जब मैं कालेज से वापस आया तो मैंने देखा कि मेरे कमरे में एक लड़का बैठा था उसके साथ एक 60-62 साल का आदमी भी था।

मेरे पूछने पर पता चला कि वो लड़का मेरे कमरे में रहेगा और वो आदमी उसके दादाजी थे, उसके दादा दूसरे दिन ही चले गए।

दो-तीन दिन में ही मेरी मेरे पार्टनर से ठीक ठाक पहचान हो गई और हम दोनों अच्छे दोस्त भी बन गए। मेरा पार्टनर आई.टी. से था और उसका नाम मनोज था, लोग उसे पंडित कहते थे। पंडित देखने में बहुत ही सुँदर और गठीला था। जब वो सुबह बाथरूम से नहा कर आता था तो मुझे उसकी भीगी हुई अंडरवीयर से उसका लंड और उसकी गोलियाँ महसूस होती थी और मेरा मन मचल उठता था। यहाँ मैं एक चीज़ बता देना चाहता हूँ कि मै शुरू से ही गाण्डू था और मैंने अपने गाँव में कई लड़कों को पटाया था और मौका मिलते ही मैं उनसे गाण्ड मरवाया करता था लेकिन यहाँ आकर मेरी यह कामना दब सी गई थी लेकिन अपने पार्टनर का लौड़ा देखने के बाद से मेरी पुरानी इच्छा फिर से जाग उठी थी और मैं उससे गांड मरवाने का मौका तलाश रहा था।

मैंने उसे पटाने की कोशिश शुरू कर दी।

एक दिन जब वो रात में सो रहा था तो मैंने धीरे से उसके पैंट की जिप खोलकर उसका लौड़ा बाहर निकाल लिया। उसका लौड़ा देखते ही मैं दंग रह गया। उसका लौड़ा एकदम काला और मोटा, छः इंच लम्बा सुप्त अवस्था में ही था। उसे देखकर मेरी गाण्ड रोमांच से भर गई और धीरे-धीरे मैं उसे सहलाने लगा।

मेरा मन तो कर रहा था कि उसका लौड़ा मुँह में लेकर उसे आइसक्रीम की तरह खूब चूसूं लेकिन डर रहा था कि कहीं मेरा पार्टनर जाग न जाये इसलिए केवल हाथ से ही सहला रहा था।

लेकिन फिर मैंने धीरे से उसका लौड़ा मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगा। मेरा पूरा ध्यान उसके लण्ड पर था पर वास्तव में मेरा पार्टनर नींद से जाग चुका था और एकदम जोश में आ चुका था।मैंने जैसे ही देखा कि वो जाग चुका है तो मैं डर गया और उससे माफ़ी मांगने लगा।

लेकिन उसने कहा- तू साले डर मत ! मैं किसी से नहीं कहूँगा, बस तुम एक बार अपनी गान्द मुझसे मरवा लो !

बस मुझे तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गई थी। मैंने उसे ऊपर से नीचे तक खूब चूमा और उसका लौड़ा मुँह में लेकर खूब चूसा। थोड़ी देर बाद वो उठा और वैसलीन की डिब्बी ले आया और मुझसे बोला- इसे मेरे लण्ड पर लगा दे।

मैंने आधी डिब्बी उसके लण्ड पर लगा दी और आधी अपनी गाण्ड में खूब अच्छी तरह से लगा दी ताकि मरवाते समय बिलकुल भी तकलीफ न हो।

फिर मैं कुत्ते की तरह लेट गया और उसने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में डालना शुरू किया लेकिन जल्द ही मेरी ख़ुशी तकलीफ में बदल गई क्योंकि उसका लौड़ा बहुत ही मोटा और कठोर था। मुझे लगा आज तो मेरी गाण्ड ही फट जाएगी लेकिन जल्द ही मुझे बहुत ही मज़ा आने लगा और मैं उछल उछल कर उसका साथ देने लगा।

उस रात उसने तीन बार मेरी गाण्ड मारी, मुझे बहुत ही मज़ा आया।

दूसरे दिन सुबह मेरी गाण्ड बहुत ही दर्द कर रही थी और मैं कालेज भी नहीं जा पाया।

फिर हम लोगों ने कई बार गाण्ड मारने और मरवाने का खेल खेला जिसकी कहानी मैं बाद में लिखूँगा।

फिर आऊँगी राजा तेरे पास ! - Fir Aaungi Raja Tere Pas

फिर आऊँगी राजा तेरे पास ! - Fir Aaungi Raja Tere Pas

दोपहर में मैं घर पहुँचा तो सब खेत पर गए हुए थे। मेरे चाचा की लड़की पूनम वो बारहवीं में पढ़ रही थी, अकेली जामुन के पेड़ पर झूला झूल रही थी।

वो बोली- आओ, झूलोगे क्या मेरे साथ?

हमने एक तख्ता लगा लिया झूले में और दोनों एक दूसरे की टांगों में टांगें डाल कर झूलने लगे।

जब झूला ऊपर नीचे जाये तो दबाव के वजह से मेरे पैर उसकी चूत पर दबाव बनाते और उसके पैर मेरे लण्ड पर।

मेरा लण्ड खड़ा हो गया और वो जानबूझ कर मेरे लण्ड पर अपने पैर का दबाव बनाती। मैंने लुंगी पहनी हुई थी उसने सलवार पहनी हुई थी।

मेरा लण्ड खड़ा होकर लुंगी से बाहर अन्डरवीयर में उठा सा दिखने लगा। मैंने अपने पैर का अंगूठा उसकी चूत पर दबा दिया तो वो हंसने लगी।

मैंने सोचा- जानम तैयार है।

मुझे महसूस हुआ कि उसकी सलवार गीली हो गई थी।

मैंने कहा- पूनम एक तरफ ही से झूलते हैं !

तो वो मेरे टांगों के ऊपर बैठ गई। मेरा खड़ा लण्ड अब उसकी गाण्ड से टकरा रहा था। उसके बाल मेरे मुँह पर उड़ रहे थ। वो बार बार मेरे लण्ड पर अपने आपको आगे पीछे करती मानो उसे लण्ड की चुभन अच्छी लग रही हो।

मैंने धीरे से उसके स्तनों को दबाया तो उसने कुछ नहीं कहा। मैंने उसकी गर्दन पर चुम्मी ले डाली।

वो गर्म होने लगी थी।

मैंने उसके कुरते में अन्दर हाथ डाला और उसकी चूचियो तक ले गया तो वो झूले से उतर गई, वो बोली- भैया, बाथरूम जाकर आती हूँ अभी।

वो अन्दर घर में चली गई।

मैं धीरे धीरे उसके पीछे चला गया, उसे पता ही नहीं चला। उसने बाथरूम के दरवाजे को पूरा बन्द नहीं किया और पेशाब करने लगी।

मैं एक तरफ से झांक रहा था, सु सु सर की आवाज आ रही थी उसके मूतने से।

पेशाब करने के बाद उसने अपनी चूत में उंगली डाली और अन्दर-बाहर करने लगी। मैंने झट से दरवाजा खोल दिया।

वो घबरा गई और खड़ी हो गई सलवार पकड़ कर !

मैंने पूछा- पूनम यह क्या कर रही है?

बोली- थोड़ी खुजली हो रही थी।

मुझे भी पेशाब लग रहा था तो मैंने अपना खड़ा लण्ड पकड़ा और पेशाब करने लगा।

लण्ड खड़ा होने से पेशाब की धार बड़ी दूर पड़ी। पूनम एक तक देखती रही मेरे लण्ड को, फ़िर बोली- भैया, तुम क्यों आये यहाँ पर? मैं तुम्हारी छोटी बहन हूँ। मुझे शर्म आती है।

मैंने कहा- देख, तूने मेरा लण्ड देख लिया और मैंने तेरी चूत देख ली, फिर शर्म क्यों करती है?

मैंने उसे समझाया- देख अपनों के बीच बात का किसी को पता भी नहीं चलता और मजे भी हो जाते हैं। अब तू बच्ची तो है नहीं ! थोड़ा-बहुत तो जानती होगी? पूनम, मेरे भी खुजली हो रही है।

उसने कहा- तो भैया, मैं क्या करूँ?

मैंने कहा- तू मेरी खुजा दे, मैं तेरी खुजा देता हूँ।

बोली- अन्दर वाले कमरे में चलते हैं।

हम दोनों अन्दर वाले कमरे में चले आये।

गाँव की लड़कियाँ सेक्स के बारे में ज्यादा नहीं जानती। मैंने उसकी सलवार उतार दी और अपना अन्डरवीयर उतार दिया।

उसने न तो ब्रा पहनी थी न ही कच्छी ! काली झांट चूत पर थी पर थी बहुत ही छोटी।

मैं उसकी चूत को उंगली से सहलाने लगा, उसको अच्छा लगा, उसने मेरे लण्ड को पकड़ा और मेरे टट्टों को खुजाने लगी।

मैंने उसे समझाया- मेरे लण्ड की इस खाल को ऊपर-नीचे कर !

तो वो करने लगी लण्ड और मोटा होने लगा। मैं था शहर से और वो गाँव की छोरी जिसे कुछ पता ही नहीं था कि क्या हो रहा है और क्या होने वाला है, बस उसे मजा आ रहा था चूत में उंगली से। थोड़ी देर में मेरे लण्ड ने धार मार दी जो सीधी उसके मुँह पर गिरी।

वो चौंक गई, बोली- यह क्या है?

मैंने बताया- इसी से बच्चा बनता है।

लण्ड मुरझाने लगा तो बोली- यह तो ढीला होने लगा है?

मैंने बताया- तू हिलाती रह इसको और मुँह से चूस थोड़ा !

बोली- नहीं।

वो मना करने लगी तो मैंने जबरदस्ती से अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया फिर उसे ठीक लगा और उसने मेरा वीर्य जो लण्ड पर लगा था चाटकर साफ कर दिया। फिर पूरा लण्ड मुँह में ले लिया बोली- जब यह ढीला था तो अच्छा नहीं लग रहा था, अब तो गर्म-गर्म लग रहा है।

मैंने कहा- पूनम, चल लेटकर करते हैं।

वो तैयार हो गई और बिस्तर पर लेट गई।

मैंने उसका कुरता उतरना चाहा तो वो बोली- नहीं, इसे मत उतारो।

मैंने सोचा, अब इसे कौन समझाए कि जो बचानी थी वो तो मेरे हाथ में दे दी।

फिर मैंने उसे मनाया और नंगा कर दिया और खुद भी नंगा हो गया और उसके ऊपर लेट गया और उसे चूमने लगा। उसकी चूची मुँह में लेकर बच्चो की तरह चूसने लगा तो उसने अपने हाथ मेरे सर पर रख लिए और बालों में उंगली फ़िराने लगी।

मेरा लण्ड कभी कभी चूत से टकरा जाता तो उसकी चूत से निकला पानी मुझे महसूस हो जाता।

फिर एक हाथ से मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ना शुरु कर दिया, उसे मजा आ रहा था।

मैंने पूछा- पूनम, खुजली कम हुई कुछ?

तो बोली- भैया, और बढ़ रही है ! अब तो अन्दर तक हो रही है !

मैंने कहा- अन्दर कहाँ तक?

तो बोली- इसके अन्दर तक !

उसने अपनी चूत पर हाथ लगा कर कहा।

मैंने कहा- यह जो मेरा लण्ड है, यह इसके अन्दर की खुजली मिटा सकता है।

पर उसे इतना पता था, बोली- इससे तो मैं माँ बन सकती हूँ। नहीं गड़बड़ हो जाएगी, तुम ऊपर-ऊपर ही कर लो बस।

मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी और जबरदस्त तरीके से हिला दिया जीभ को और चूसने लगा।

फिर मैं घर में अन्दर तेल ढूंढने चला गया तो वहाँ मुझे कंडोम मिल गए जो चाचाजी इस्तेमाल करते होंगे चाची को चोदने में।

मैंने पूनम को कंडोम दिखाया और बताया- इसे लगाने से तू माँ नहीं बनेगी, अब डरने की कोई बात नहीं है। और यह देख, मैं तेल लगा कर डालूँगा अपना लण्ड तेरी चूत में ! पता भी नहीं चलेगा।

वो बोली- जो मर्जी कर लो ! बस मैं फंस न जाऊँ !

फिर मैंने उसकी चूत पर तेल लगाया और अपने लण्ड पर भी और उसकी टांगें चौड़ी करके लण्ड उसकी चूत में रख दिया और जोर लगाया तो वो मारे दर्द के चिल्लाने लगी, बोली- मुझे नहीं करना यह सब।

पर लण्ड जब चूत को चाट ले तो कहाँ रुकने वाला था। घर इतना बड़ा था और अन्दर का कमरा कि उसकी चीख बाहर तक नहीं जा सकती थी।

तो मैंने धक्के पे धका मारा पर बड़ी तंग चूत थी, साली गाँव की थी ना !

लण्ड आधा अंदर चला गया और दो धक्कों में पूरा अन्दर। बिस्तर पूरा खून से सन गया !

वो दर्द से तड़प रही थी और मैं धक्के पे धक्के मार रहा था।

थोड़ी देर में उसे भी मजा आने लगा, मैंने स्पीड बढ़ा दी। तभी मेरा वीर्य निकलने वाला हो गया। मैंने लण्ड निकालना चाहा पर निकाल नहीं पाया मजे के कारण !

और सारा माल उसकी चूत में ही डाल दिया और लेटा रहा उसके ऊपर।

वो बोली- भैया कुछ निकला है तुम्हारे लण्ड से गर्म-गर्म मेरी चूत में !

जब उठे तो वो खून देखकर घबरा गई, बोली- अब क्या होगा?

मैंने कहा- तू इसे ठिकाने लगा चादर को ! बाकी मुझ पर छोड़ दे।

उसने वो चादर कूड़े में दबा दी।

गाँव की छोरी थी तो शाम तक सब दर्द दूर।

जब सब घर आये तो मैंने चाची से कहा- पूनम को कुछ दिन के लिए शहर भेज दो मेरे साथ !

तो वे तैयार हो गए और अगली सुबह हम दोनों स्कूटर से शहर आ गए।

चार दिन बाद ही उसे माहवारी हो गई तो हमारी चिन्ता दूर हो गई।

अब वो मुझसे खुल चुकी थी हमारे घर में मेरा कमरा अलग था पढ़ने के लिए, वो भी साथ पढ़ती पाठ रोज नए नए सेक्स के।

साली न दिन देखे न रात ! जब भी मौका मिले- बस चोदो मुझे भैया।

आखिरी दिन जिस दिन उसे वापस गाँव आना था, रात को मेरे पास आई, बोली- भैया बहुत याद आयेगी तुम्हारी।

मैंने पूछा- मेरे लण्ड की या मेरी?

बोली- दोनों की ! दोनों बहुत प्यारे हो।

तो मैंने कहा- पूनम आज लण्ड का एक और मजा दिखा दूँ?

वो बोली- दिखाओ।

सब सो चुके थे, किसी को जरूरत ही नहीं यह जानने कि बहन-भाई क्या कर रहे हैं कमरे में !

सो मैंने उसे नंगा किया और खुद नंगा हो गया। उसने लण्ड को खड़ा कर दिया, अब उसे कुछ भी बताने की जरूरत नहीं थी। उसे पलंग से नीचे उतार कर घोड़ी बना लिया और उसके हाथ पलंग पर टिका दिए। अब उसकी गाण्ड मेरे लण्ड के बिल्कुल सामने थी। मैंने उसकी गांड के छेद पर तेल लगाकर अपनी उंगली घुमाई तो वो बोली- इसमें भी करने में मजा आता है भैया?

मैंने कहा- अभी पता चल जायेगा !

और लण्ड का सुपाडा गांड के छेद पर रखकर अपने दोनों हाथों से उसकी चूचियाँ पकड़ ली जो लटक कर हिल रही थी। हाथों से चूचियाँ दबाते हुए लण्ड पर पूरा जोर और लण्ड अन्दर जाने का नाम न ले। उसकी चीख निकल गई पर बन्द कमरे से बाहर नहीं गई।

बोली- भैया ऐसे लग रहा है जैसे मेरी गाण्ड में लण्ड नहीं लोहे का डण्डा घुसा रहे हो।

फिर तेल लगाया और जोरदार धक्का !

लण्ड आधा गाण्ड के अन्दर ! फिर एक धक्का और पूनम पलंग पर गिर गई, लण्ड पूरा अन्दर हो गया।

वो बोली- जल्दी निकालो ! मर जाऊँगी भैया !

अब मैं लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा तो उसे भी अच्छा लगने लगा। बहुत देर तक अन्दर-बाहर होता रहा लण्ड और वीर्य चल पड़ा बाहर को !

मैंने लण्ड गाण्ड से बाहर निकाल लिया और फिर लण्ड को साफ किया और पूनम को सीधा किया, सर के नीचे तकिया लगाया और उसके मुँह के पास आकर मुठ मारनी शुरु की।

बहुत धीरे धीरे वीर्य जैसे ही बाहर निकलने वाला था, मैंने अपना लण्ड पूनम के होंठों पर रख दिया, वीर्य की फुहार आई और पूनम का मुँह भर गया और वो गटक गई। फिर लण्ड अपने होंठों से चूसने लगी। उसे जाते जाते एक बार और जो चुदना था।

आग - AAG

आग - AAG

हाय दोस्तो, मेरा नाम जतिन है, मैं सूरत से हूँ, यह मेरी पहली कहानी है, उम्मीद है कि सबको पसंद आएगी।

मेरी उम्र छब्बीस साल है। मैं सबकी तरह यह नहीं कहूँगा कि यह कहानी सच्ची है। यह आप खुद ही तय करना कि मेरी कहानी सच्ची है या झूठी !

अब मैं कहानी पर आता हूँ।

मेरी शादी को चार साल हो गये हैं पर मेरी पत्नी सेक्स के बारे में एकदम ठण्डी है और मैं उसके सामने बहुत ही चुदक्कड़ इंसान ! मुझे रोज चुदाई चाहिये और उसको हफ़्ते या पंद्रह दिन में एक बार !वो भी एकदम साधारण अवस्था में और फटाफट करके सो जाना बस ! कोई रोमांस नहीं !

इसलिए मैंने सोचा कि ऐसे तड़फ़ने से कुछ नहीं होगा, कहीं और कुछ न कुछ जुगाड़ करना पड़ेगा।

मैंने अपने एक दोस्त को यह बात बताई तो उसने मुझे कहा- मेरे पास एक ऐसी भाभी (सूरत में शादीशुदा औरत को भाभी कहते हैं) का मोबाईल नम्बर है। उसका पति विदेश में और तेरी तरह प्यासी भी है, पैसे वाली भी है ! वो मेरी गर्ल फ्रेंड की सहेली है।

तो मैंने उसके पास से वो नम्बर लिया और थोड़ी देर बाद मैंने वो नम्बर जोड़ा तो सामने से एक मीठी सी आवाज आई- हेलो ! कौन?

मैंने कहा- मैं जतिन ! आपकी सहेली के बॉयफ्रेंड ने मुझे आपका नम्बर दिया है।

मैंने उससे नाम पूछा तो उसने अपना नाम बताया- सोनल (नाम बदला हुआ है)

फिर हम रोज फोन पर बातें करने लगे।

जब उसको मेरी बात और मुझ पर यकीन हुआ तब उसने मुझे मिलने के लिए अपने घर बुलाया।

मैं उसके बताये ठिकाने पर पहुँचा औरच दरवाजे की घण्टी बजाई तो उसने दरवाजा खोला।

मैं तो उसे देखता ही रह गया !

क्या खूबसूरती और सादगी थी उसमें !

उसने मुझे अन्दर बुलाया, हमने खूब बातें की। उसने मेरे लिए चाय बनाई। फिर उसने कहा- तुम अब रात को यहीं रुक जाना !

मैं शाम के करीब पाँच बजे गया था उसके घर, तो मैंने कहा- ठीक है।

फिर रात का खाना उसने होटल से मंगवाया। हमने साथ साथ खाना खाया।

फिर रात के करीब नौ बजे उसने कहा- चलो नहाते हैं।

तो हम साथ साथ नहाने गए।

उसने धीरे धीरे अपने कपड़े उतारने की शुरुआत की और मेरी हालत तो गला कटे मुर्गे जैसी होने लगी।

क्या फिगर था उसका ! कयामत लग रही थी !

उसने लाल रंग ब्रा और पैन्टी पहन रखी थी। मुझसे अब अपने पर काबू नहीं हो रहा था। मैं उसके पास गया और उसकी कमर पर हाथ फेरने लगा।

फिर धीरे धीरे उसके कूल्हों और पूरे बदन पर अपना हाथ फ़िराया। वो मेरी ओर मुड़ी और मेरे होंठों को चूमने लगी, जैसे वो बरसों से प्यासी हो, ऐसे चूमने लगी।

फिर मैंने उसको पूरा नंगा किया। उसकी चूत को देखते ही मैं उस पर टूट पड़ा !

दोस्तो, मैं एक बात बता दूँ- मुझे चुम्बन करना और चूत चूसना बहुत पसंद है।

वो गर्म होने लगी ! चूत चटवाने में उसे भी बहुत मजा आ रहा था। वो एकदम कामुक आवाजें निकालने लगी और झड़ गई। फिर थोड़ी देर हम वैसे ही नहाते रहे। मैं उसे फिर से गर्म कर रहा था। थोड़ी ही देर में वो फिर से गर्म हो गई। तब हमारा चुदाई का सिलसिला शुरु हुआ।

वो दीवार की तरफ मुँह करके खड़ी थी और मैंने पीछे से उसकी चूत में अपना लण्ड डाल दिया। खड़े खड़े ही हमने शॉवर के नीचे ही चुदाई चालू कर दी।

करीब पन्द्रह-बीस मिनट के बाद सोनल और मैं साथ में ही झड़ गए।

हम नहाकर उसके बेडरूम में गये नंगे ही !

फिर हमने पूरी रात पागलों की तरह चुदाई की। मैंने उसे उस रात पाँच बार चोदा। वो रात मेरी यादगार रात रही।

फिर सुबह जब मैं वापिस अपने घर आ रहा था तो उसने मुझे पैसे देने चाहे लेकिन मैंने मना कर दिया।

तो उसने फिर से मुझे चूमा और बोली- दिल जीत लिया तुमने !

फिर उसने अपनी चार सहेलियों को मुझसे चुदवाया। वो भी मुझसे चुदवा कर खुश रहती हैं, कहती हैं- जादू है तेरे लण्ड में !

कैसी लगी मेरी कहानी? मुझे जरुर मेल करना दोस्तो ! और कोई भूल हुई हो तो माफ़ करना।

पायल की बज गई पायल - Payal Ki Baj Gai Payal

पायल की बज गई पायल - Payal Ki Baj Gai Payal

मेरा नाम रवि पटेल है, मैं सूरत(गुजरात) का रहने वाला हूँ। यह बात उन दिनों की है जब मैं अपनी पढ़ाई कर रहा था और मेरी उम्र 21 साल की थी। आज इस बात को दो साल हो गए और मैं एक नए और कभी न सोचे मुकाम पर पहुँच गया।

मैं अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपने दूर के रिश्तेदार की दवाइयों की दुकान पर जाया करता था, वहाँ से मुझे ज्यादा सीखने को मिलता था।

उस दुकान पर जब मैं रहता था तो वो रिश्तेदार कभी कभी मुझे दवाइयाँ देने के लिए मुझे अपने नियमित ग्राहकों के घर भी भेज देते थे और मैं दवाएँ पहुँचा कर आता था।

एक दिन की बात थी जब मुझे थोड़ी दूर दवाएँ देने जाना पड़ा। वहाँ जाकर मैंने घण्टी का बटन दबाया तो अन्दर से एक 32-35 साल की औरत ने दरवाजा खोला।

मैं उसे दवाएँ देकर निकल जाने की सोच ही रहा था कि उसने मुझे अन्दर आने को कहा।

मैं अन्दर गया तो देखा कि उसका फ्लैट बहुत ही आलीशान था। उसने मुझे पानी दिया और इधर उधर की बातें करने लगी, मेरे बारे में पूछने लगी- मैं क्या करता हूँ, कहां रहता हूँ, वगैरा-वगैरा।

फिर मैंने कहा- मुझे दुकान पर जाना पड़ेगा, मुझे यहाँ आए हुए काफ़ी देर हो गई है।

मैं जैसे ही निकलने लगा तो वो मुझे कहने लगी- मुझे अपना फ़ोन नंबर तो देते जाओ।

मैंने उसे अपना फ़ोन नंबर दे दिया। उसी रात को मेरे मोबाइल पर उसका फोन आया, कहने लगी- मैं पायल बोल रही हूँ।

हाँ ! मैं उसका नाम ही बताना भूल गया था- उसका नाम था पायल।

जैसा नाम वैसी ही वो दिखने में लग रही थी। ऐसा लग रहा था कि वो 26-27 साल की लड़की हो। उसका फिगर ? मानो कोई अभिनेत्री हो- 34-28-34..

उसके बोल तो जाने किसी के लिए तड़प रहे हों। उसका तौर-तरीका भी बहुत ही सलीके का था। उसके बाल एकदम रेशमी थे।

फ़ोन पर बात करते करते उसने मुझे बताया कि वो एक अच्छे दोस्त की तलाश में थी। मुझे उससे बात करने में बहुत मजा आ था। उस रात मैंने उसे याद करते करते बहुत मुठ मारी।

दूसरे दिन उसका दो बजे के आसपास फ़ोन आया कि उसे दर्दनिवारक दवा चाहिए और तुरंत।

मैं दवा लेकर उसे घर गया।

उसने दरवाजा खोला और अन्दर आने को कहा।

मैं अन्दर गया तो कहने लगी- बहुत तेज सर दर्द कर रहा है।

उस वक्त उसने सफ़ेद रंग का रात्रि-परिधान पहना हुआ था। उसमें से उसके चूचे आजाद होने को तड़प रहे थे।

वह मुझे कहने लगी- आप बैठिए, मैं चाय बना कर लाती हूँ।

वह चाय लेकर आई और हमने चाय साथ में पी। उसके बाद मैं वहाँ से निकलने के लिए तैयार हुआ कि उसने मुझे कहा- क्या तुम थोड़ी देर मेरा सर दबा दोगे?

मेरी तो बाँछें खिल गई, मैंने तुरन्त हामी भर दी।

वो मुझे अपने शयनकक्ष में ले गई।

मैंने धीरे धीरे से उसका सर दबाना शुरु किया पर मेरी नजर उसके वक्ष पर जाकर अटक जाती थी। वो भी मुझे बार बार देख रही थी वासना भरी निगाहों से।

तभी उसने मुझे नीचे झुकाया और मेरे होंठों को चूम लिया।

मैंने उसी समय उसे अपनी बाहों में भर लिया और कहने लगा- मैंने जबसे तुम्हें देखा है, तब से तुम्हें प्यार करने का मन कर रहा था ! पर ऐसा नहीं सोचा था कि यह मुकाम इतनी जल्दी ही हासिल हो जायेगा। मैंने उसे जोर से चूम लिया और उसके ऊपर आ गया।

तभी उसने कहा- मुझे कोई सर दर्द नहीं है, मैं तो तुम से मिलना चाहती थी।

मैं धीरे धीरे उसे मसलने लगा, वो भी मदहोश होती जा रही थी।

मैंने धीरे से उसका टॉप उतारा तो मैं तो जैसे बेहोश ही हो गया। उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहनी थी, उसमें वो गजब लग रही थी ! उसके वो दो पंछी कब से आजाद होने की राह देख रहे थे।

मैं ऊपर से ही उसके चूचे दबाने लगा।

उसे बहुत ही मजा आ रहा था, वो कह रही थी- और जोर से दबाओ ! मुझे चूमो !

उसने मुझे कहा- मैं अपने पति से संतुष्ट नहीं हूँ।

और कहने लगी- मेरी जान, मुझे दुनिया की वो ख़ुशी दे दो जिसके लिए मैं सालों से प्यासी हूँ।

मैं बोला- जरूर ! तुम्हारी हर एक ख्वाहिश पूरी होगी मेरी जान !

तभी मैंने प्यार से उसका पजामा भी निकल दिया तो देखा कि उसने पैंटी भी ब्रा के साथ की ही पहनी थी। वो गुलाबी पैंटी में क्या लग रही थी !

ऊपर से ही मुझे अंदाजा हो गया कि उसकी योनि गीली हो चुकी थी बुरी तरह से। अब वो सिर्क ब्रा और पेंटी में थी, उसने मेरे भी एक एक करके सब कपड़े उतार दिए और जोर से मेरा लौड़ा चूसने लगी।

मुझे तो लगा कि जैसे मैं आसमान की सैर कर रहा हूँ, वो इतना प्यार से मेरा चूस रही थी।

तभी मैंने उसको ब्रा और पैंटी से मुक्ति दे दी और उसके उरोज जोर जोर से चूसने लगा, वो एकदम ही पागल होने लगी थी। और तभी उसने मुझे अपनी योनि चाटने को कहा।

और मैं भी उसी का इन्तजार कर रहा था। उसके बोलते ही मैंने उसकी योनि चाटना चालू किया। क्या मस्त गन्ध आ रही थी उसकी योनि में से !

उसका यौवन रस भी एकदम नमकीन लग रहा था।

मैं जोर जोर से उसकी चूत चूसे जा रहा था और उसे भी बहुत मजा आ रहा था।

वो बोली- जान, ऐसे न तड़पाओ ! मेरी जान निकली जा रही है ! मुझे अपने नौ इंच के लौड़े का मज़ा दे दो !

तभी मैंने उसे पांव फ़ैलाने को कहा, उसने ऐसा ही किया और मैं उसके ऊपर आ गया।

उसकी योनि पर मैंने अपना लिंग रखा और मैंने थोड़ी देर तक सहलाया तो वो जैसे पागल ही हो गई, बोलने लगी- अब तो रहा नहीं जाता ! मैं मर जाऊँगी, अब तो मेरी प्यास बुझओ !

मैंने एक जोर से धक्का मारा ही था कि वो चिल्लाने लगी- जान, धीरे से ! मार डालोगे क्या मुझे?

मैंने फिर धीरे धीरे से धक्के लगाना चालू किए।

पर कुछ ही देर बाद वो बोली- जोर से ! और जोर से ! आज फाड़ डालो इस चूत को ! कब से इस को प्यास लगी है लौड़े की !

मैं जोर से धक्के लगाये जा रहा था, उसे बहुत ही मजा आ रहा था। करीब दस मिनट तक ऐसे ही प्यार चलता रहा।

तभी उसने कहा- मुझे डॉग शॉट लगाओ !

मैंने उसे खड़ा किया और पीछे से डाल कर धक्का लगाया तो वो बहुत ही मदहोश हो गई।

मैं तो धक्के पर धक्का दिए जा रहा था, वो और जोर से और जोर से बोले जा रही थी। पूरा कमरा हमाती सीत्कारों और बेड के चरमराने की आवाज़ से गूंज रहा था।

करीब 15 मिनट तक यही सब चलता रहा। उसके नितम्बों को मैं दबा कर मजे लेता रहा। मेरे लिए यह एक सबसे ज्याद ख़ुशी का दिन था।

उसी दौरान वो तीन बार झड़ चुकी थी।

तभी मैंने कहा- मैं छोड़ने वाला हूँ ! कहाँ छोडूँ मैं?

तो उसने कहा- अन्दर ही जाने दो, आज तो इस प्यासी जमींन पर बरसात का तूफान आ गया ! मुझे इस तूफान में बह जाने दो।

और दो धक्का लगा कर मैंने उसकी प्यासी योनि में ही अपना वीर्य निकल दिया और हम दोनों बेड पर एक दूसरे से सट कर सो गए जैसे जन्मों-जन्म की प्यास आज बुझ गई हो।

और थोड़ी देर तक हम दोनों ऐसे ही साथ में एक दूसरे को देखते रहे।

थोड़ी देर बाद हम फिर से तैयार हो गए, एक नए अंदाज के साथ नया दौर शुरु करने को।

उस दिन हमने तीन बार मजा लिया फिर मैं उसके घर से निकलने ही वाला था तो उसने मुझस कहा- फिर कब आओगे तुम मेरी जान इस पायल की पायल बजाने को?

उसने मुझे रोका और दूसरे कमरे में से पाँच हज़ार रूपये मुझे दिए और कहा- यह तुम्हारा पहला तोहफा है !

फिर अगले दिन मुझे उसका फ़ोन आया और कहा- मेरी एक सहेली की प्यास बुझाओगे क्या मेरे राजा? वो तुम्हें बहुत पैसे देगी !

और मैं तैयार हो गया।

आज उनके ग्रुप में हरेक के साथ मैंने मजा किया है और वो सब मेरे लौड़े के आकार और मेरे अलग अलग तरीकों से बहुत खुश हैं।

मैं यह बात किसी को नहीं बताता हूँ पर मैंने उसकी मंजूरी लेकर यहाँ पर रखी है।

आज मैं जिगोलो बन गया हूँ और पूरे गुजरात में मैं अपनी सेवाएँ देता रहता हूँ।

मैं चुप रहूँगा - Main Chup Rahunga

मैं चुप रहूँगा - Main Chup Rahunga

कॉलेज में हड़ताल होने की वजह से मैं बोर हो कर ही अपने घर को कानपुर चल पड़ा। हड़ताल के कारण कई दिनो से मेरा मन होस्टल में नहीं लग रहा था। मुझे माँ की बहुत याद आने लगी थी। वो कानपुर में अकेली ही रहती थी और एक बैंक में काम करती थी। मैं माँ को आश्चर्यचकित कर देने के लिये बिना बताये ही वहां पहुँचना चाहता था।

शाम ढल चुकी थी। गाड़ी कानपुर रेलवे स्टेशन पर आ गई थी। मैंने बाहर आ कर जल्दी से एक रिक्शा किया और घर की तरफ़ बढ़ चला।

घर पहुँचते ही मैंने देखा कि घर के अहाते में मोटर साईकिल खड़ी हुई थी। मैंने अपना बैग वही वराण्डे में रखा और धीरे से दरवाजा को धक्का दे दिया। दरवाजा बिना किसी आवाज के खुल गया। मैंने अपना बैग उठाया और अन्दर आ गया। अन्दर मम्मी और एक अंकल के बातें करने की और खिलखिला कर हंसने की आवाज आई। बेडरूम अन्दर से बन्द था। घर में कोई नहीं था इसलिये अन्दर की खिड़की आधी खुली हुई थी क्योंकि इस समय हमारे घर कोई भी नहीं आता जाता था। बाहर अन्धेरा छा चुका था। मैं जैसे ही रसोई की तरफ़ बढा कि मेरी नजर अचानक ही खिड़की की तरफ़ घूम गई।

मेरी आँखें खुली की खुली रह गई। अंकल मेरी माँ के साथ बद्तमीजी कर रहे थे और माँ आनन्द से खिलखिला कर हंस रही थी। वो विनोद अंकल ही थे, जो मम्मी के शरीर को सहला सहला कर मस्ती कर रहे थे। मेरी माँ भी जवान थी। मात्र 38-39 वर्ष की थी वो। अंकल कभी तो मम्मी की कमर में गुदगुदी करते तो कभी उनके चूतड़ों पर चुटकियाँ भर रहे थे। मेरे पैर जैसे जड़वत से हो गये थे। मेरे शरीर पर चीटियाँ जैसी रेंगने का आभास होने लगा था।

अचानक विनोद अंकल ने मम्मी की कमर दबा कर उन्हें अपने से चिपका लिया और उनका चेहरा मम्मी के चेहरे की तरफ़ बढने लगा।

मैंने मन ही मन में उन्हें गालियाँ दी- साले भेन के लौड़े, तेरी तो माँ चोद दूंगा मै, माँ को हाथ लगाता है?

पर तभी मेरे होश उड़ गये, मम्मी ने तो गजब ही कर डाला। अंकल का लण्ड पैंट से निकाल कर उसे ऊपर-नीचे करने लगी।

मैं तो यह सब देख कर पानी-पानी हो गया। मेरा सर शर्म से झुक गया।

तो मम्मी ही ऐसा करने लगी थी फिर इसमें अंकल का क्या दोष?

मैं खिड़की के थोड़ा और नजदीक आ गया। अब सब कुछ साफ़ साफ़ दिखने लगा था। उनकी वासना से भरपूर वार्ता भी स्पष्ट सुनाई दे रही थी।

“आज लण्ड कैसे खाओगी श्वेता?” वो मम्मी को खड़ी करके उनके कसे हुए गाण्ड के गोले दबा रहा था।

माँ सिसक उठी थी- पहले अपना गोरा गोरा मस्त लण्ड तो चूसने दो … साला कैसा मस्त है !

“तो उतार दो मेरी पैंट और निकाल लो बाहर अपना प्यारा लौड़ा !

मम्मी ने अंकल को खड़ा करके उनकी पैंट का बटन खोलने लगी। ऊपर से वो लण्ड के उभार को भी दबाती जा रही थी। फिर जिप खोल दी और पैंट उतारने लगी। अंकल ने भी इस कार्य में मम्मी की सहायता की।

अब अंकल एक वी-शेप की कसी अन्डरवीयर में खड़े थे। उनका लण्ड का स्पष्ट मोटा सा उभार दिखाई दे रहा था। मम्मी बार बार उसके लण्ड को ऊपर से ही दबाती जा रही थी और उनके कसे अण्डरवीयर को नीचे सरकाने की कोशिश कर रही थी।

फिर वो पूरे नंगे हो गये थे। मैंने तो एक बार नजरें घुमा ली थी पर फिर उन्हें यह सब करते देखने इच्छा मन में बलवती हो उठी थी। फिर मुझे मेरी गलती का आभास हुआ। पापा तो कनाडा जा चुके थे। मम्मी की शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति अब कैसे होती। कोई तो प्यास बुझाने वाला होना चाहिए ना। वो भी तो आखिर एक इन्सान ही हैं। फिर यह तो एक बिल्कुल व्यक्तिगत मामला था, मुझे इसमें बुरा नहीं मानना चाहिए।

मेरे बदन में भी अब एक वासना की लहर उठने लगी थी। अंकल का लण्ड खासा मोटा और लम्बा था। मम्मी ने उसे दबाया और उसे लम्बाई में दूध दुहने जैसा करने लगी।

अंकल बोल ही उठे- ऐसे दुहोगी तो दूध निकल ही आयेगा।

माँ जोर से हंस पड़ी।

“मस्त लण्ड का जायका तो लेना ही पड़ता है ना… अरे वो राजेश जी अब तक क्या कर रहे हैं…?”

“मैं हाजिर हूँ श्वेता जी…” तभी कहीं से एक आवाज आई।

मैं चौंक गया। यहाँ तो दो दो है … पर दो क्यूँ…? राजेश अंकल आ गये थे, उनका मोटा सा लटका हुआ लण्ड देख कर तो मैं भी हैरत में पड़ गया। राजेश अंकल तौलिये से अपना बदन पोंछ रहे थे। शायद वो स्नान करके आये थे। मम्मी ने अंगुली के इशारे से उन्हें अपनी तरफ़ बुलाया। उनका लण्ड सहलाया और उसे मुख में डाल लिया।

“बहुत बड़ी रण्डी बन रही हो जानेमन श्वेता … लण्ड चूसने का तुम्हें बहुत शौक है !”

“ये लण्ड तो मेरी जान हैं … राजेश जी … भले ही विनोद से पूछ लो?” मम्मी का एक हाथ विनोद के लण्ड पर ऊपर नीचे चल रहा था। विनोद भी लण्ड चूसती हुई और झुकी हुई मम्मी की गाण्ड में अपनी एक अंगुली घुसा कर अन्दर-बाहर करने लगा था।

“ऐ गाण्ड में अंगुली करने का बहुत शौक है ना तुम्हें … लण्ड से चोद क्यों नहीं देता है रे?”

“आप थोड़ा सा और जोश में आ जाओ तो फिर गाण्ड भी चोदेंगे और चूत भी चोद डालेंगे !” विनोद उत्तेजित हो चुका था।

“श्वेता, बस अब लण्ड छोड़ो और इस स्टूल पर अपनी एक टांग रख दो। मुझे चूत चोदने दो।”

मम्मी ने विनोद की अंगुली गाण्ड से निकाल के बाहर कर दी और अपनी एक टांग उठा कर स्टूल पर रख दी। इससे मम्मी की चूत भी सामने से खुल गई और गाण्ड की गोलाईयाँ भी बहुत कुछ खुल कर लण्ड फ़ंसाने लायक हो गई थी। राजेश ने सामने से अपने हाथों को फ़ैला कर मम्मी को अपनी शरीर से चिपका लिया। मम्मी ने लण्ड पकड़ कर अपनी चूत में टिका लिया और धीरे से अंकल को अपनी ओर दबाने लगी। दोनों की सिसकारियाँ मुख से फ़ूटने लगी। मम्मी तो एकदम से राजेश अंकल से चिपट गई। लगता था कि लण्ड भीतर चूत में घुस चुका था।

तभी विनोद अंकल ने मम्मी के चूतड़ थपथपाये और एक क्रीम की ट्यूब माँ की गाण्ड में घुसेड़ दी। फिर वो क्रीम एक अंगुली से मम्मी की गाण्ड के छेद में अन्दर-बाहर करने लगे। फिर उन्होंने अपना तन्नाया हुआ लंबा लण्ड माँ की गाण्ड में टिका दिया और उनकी कमर पकड़ कर अपना लण्ड पीछे से अन्दर घुसाने लगे।

मेरा लण्ड भी बेहद सख्त हो गया था। मैंने अपना लण्ड लण्ड पैंट से बाहर निकाल लिया और उसे दबा कर सहला दिया। मुझे एक तेज शरीर में उत्तेजना की अनुभूति होने लगी। मैंने हल्के हाथ से अपनी मुठ्ठ मारनी शुरू कर दी।

उधर मैंने देखा कि मम्मी दोनों तरफ़ से चुदी जा रही थी और अपना मुख ऊपर करके दांतों से अपना होंठ चबा रही थी।

“मार दो मेरी गाण्ड ! मेरे यारों, चोद दो मुझे … कुतिया की तरह से चोदो … उफ़्फ़्फ़्फ़ आह्ह्ह्ह्ह !”

मम्मी की गाण्ड सटासट चुद रही थी। राजेश अंकल भी जोर जोर से लण्ड मारने की कोशिश कर रहे थे। माँ तो जैसे दो दो लण्ड पाकर मस्त हुई जा रही थी। मम्मी की गाण्ड टाईट लगती थी सो विनोद अंकल जल्दी ही झड़ गये। उनका लण्ड सिकुड़ कर बाहर आ चुका था।

अब मम्मी ने राजेश अंकल को बिस्तर पर धकेला और खुद ऊपर चढ़ गई। ओह मेरी मम्मी की सुन्दर गाण्ड चिर कर कितनी मस्त दिख रही थी। उनके दोनों चिकने गाण्ड के गोले खुले हुये बहुत ही आकर्षक लग रहे थे। मुझे लगा कि काश मुझे भी ऐसी कोई मिल जाती ! मेरा लण्ड मुठ्ठी मारने से बहुत फ़ूल चुका था, बहुत कड़कने लगा था।

विनोद अंकल मम्मी की गाण्ड में क्रीम की मालिश किये जा रहे थे। बार उनकी गाण्ड में अपनी अंगुली अन्दर-बाहर करने लगे थे।

तभी मम्मी जोर जोर से आनन्द के मारे कुछ कुछ बकने लगी थी। उसके लण्ड पर जोर जोर से अपनी चूत पटकने लगी थी। नीचे से राजेश भी सिसकारियाँ ले रहा था। फिर मम्मी स्वयं ही नीचे आ गई और राजेश को अपने ऊपर खींच लिया। शायद नीचे दब कर चुदने में ही उन्हें आनन्द आता था। राजेश अंकल मम्मी पर चढ़ गये। मम्मी ने अपनी दोनों टांगे बेशर्मी से ऊपर उठा कर दायें-बायें फ़ैला रखी थी। उनकी मस्त चूत में लण्ड आर पार उतरता हुआ स्पष्ट नजर आ रहा था।

मैंने भी अपना हाथ लण्ड पर और जोर से कस लिया और रगड़ के हाथ चलाने लगा। मुझे लण्ड की रगड़ के कारण मस्ती आ रही थी। माँ के बारे में मेरे विचार बदल चुके थे।

विनोद अंकल तो अब राजेश के आण्डों यानि गोलियों से खेलने लगे थे। वो उन्हें हल्के हल्के सहला रहे थे और उन्हें मुँह में लेकर चूस और चाट रहे थे। माँ नीचे से जोर जोर से उछल उछल कर लण्ड ले रही थी।

तभी मम्मी ने एक मस्ती भरी चीख मारी और झड़ने लगी। राजेश अभी भी मम्मी की चूत में जोर जोर से झटके मार के चोद रहा था। माँ ने उसे अब रोक दिया।

“अब बस, चूत में चोट लग रही है।” माँ ने कसमसाते हुये कहा।

राजेश ने मन मार कर लण्ड धीरे से बाहर खींच लिया। तभी विनोद अंकल मुस्कराते हुये आगे बढ़े और राजेश का लण्ड पीछे से आ कर थाम लिया और उसकी मुठ्ठ मारने लगा। विनोद राजेश से चिपकता जा रहा था। इतना कि उसने राजेश का मुँह मोड़ कर उसके होंठ भी चूसने लगा। तभी राजेश का जिस्म लहराया और उसका वीर्य निकल पड़ा। मम्मी इसके लिये पूरी तरह से तैयार थी। लपक कर राजेश अंकल का लौड़ा अपने मुख में भर लिया। और गट-गट कर उसका सारा गर्म-गर्म वीर्य गटकने लगी।

मैंने भी अपने सुपाड़े को देखा जो कि बेहद फ़ूल कर लाल सुर्ख हो चुका था। उसे दबाते ही मेरा वीर्य भी जोर से निकल पड़ा। मैंने धीरे धीरे लण्ड मसल पर पिचकारियों का दौर समाप्त किया और अन्तिम बून्द तक लण्ड से निचोड़ डाली। फिर पास पड़े कपड़े से लण्ड पोंछ कर अपना बैग लेकर घर से बाहर निकल आया।

भला और क्या करता भी क्या। मम्मी मुझे वहाँ पाकर शर्मसार हो जाती और शायद उन्हें आत्मग्लानि भी होती। इस अशोभनीय स्थिति से बचने के लिये मैं चुप से घर से बाहर आ गया। बैग मेरे साथ था।

समय देखा तो रात के लगभग दस बज रहे थे। सामने की एक चाय वाले की दुकान बन्द होने को थी।

मैंने उसे जाकर कहा- भैये… एक चाय पिलाओगे क्या…?

“आ जाओ, अभी बना देता हूँ…!” मेरे चाय पीने के दौरान मैंने देखा विनोद अंकल और राजेश अंकल दोनों ही मोटर साईकल पर निकल गये थे। मैंने अपना बैग उठाया और चाय वाले को पैसे देकर घर की ओर बढ़ चला।

माँ इस बात से बेखबर थी कि उनकी मस्त चुदाई का जीवंत कार्यक्रम मैं देख चुका हूँ। मैंने उन्हें इस बात का आगे भी कभी अहसास तक नहीं होने दिया।

सोने का नाटक - Sone Ka Natak

सोने का नाटक - Sone Ka Natak

मैं अपनी पहली कहानी लिख रहा हूँ, उम्मीद है आप सब को पसंद आएगी।

मेरा नाम सुशील है, मैं कोलकाता में रहता हूँ, उम्र 28 की है और मैं किराए के घर में अकेला रहता हूँ। बात उन दिनों की है जब मैं 24 साल का था और हमारी काम वाली जिसकी उम्र 34 की थी और बदनाकार 36-30-38 था, हमारे यहाँ काम करती थी। मैं उसके मस्त सेक्सी बदन को देख देख कर उसके बारे सोच सोच कर रोज अपने लंड से घंटों खेला करता था। वो जब घर पर झाड़ू लगाने लगती, तो मैं बातों-बातों में उसके जिस्म को निहारता रहता था और मेरा लंड फूल कर 7″ का हो जाता था और पैंट से बाहर आने को बेक़रार रहता था, जिसे देख कर वो मुस्कुराती थी।

एक दिन मैंने ठान लिया कि जैसे भी करके मैं उसकी बूर चोदूँगा और फिर गांड भी मारूँगा। उस दिन से मैंने योजना बनानी शुरु की। वो सुबह काम पर 6.30 बजे आती थी, तो एक दिन मैं सुबह जल्दी उठ गया, बदन से सारे कपड़े उतार दिए, अपने घर के दरवाजे की कुण्डी खोल कर वापस अपने बिस्तर पर जाकर उसके आने का इन्तजार करने लगा और अपने लंड पर थूक लगा कर उसके साथ प्यार से उसके जिस्म के बारे सोच कर खेलने लग गया।

खेलते खेलते मेरा लंड का सुपारा फूल कर लाल हो गया और मेरा लंड पूरा 7″ से भी ज्यादा हो गया। इतने में उसकी आने की आवाज सुनाई दी तो मैं चुपचाप लेट गया। वो दरवाजे पर दस्तक देने लगी तो उसे लगा कि दरवाजा तो खुला है, तो वो अन्दर आकर दरवाजा बंद कर रसोई की तरफ चल पड़ी। कमरे में अंधेरा होने के कारण वो मुझे देख नहीं पा रही थी और ख्याल भी नहीं किया।

उसने झाड़ू उठा कर मेरे कमरे की बत्ती जलाई तो देखा कि मैं पूरी तरह से नंगा हूँ और लंड पूरी तरह से खड़ा था।

उसे देख कर उसके मुँह से इस्स सस्स्स्स की आवाज निकल गई।

पर मैंने सोने का नाटक जारी रखा। वो मुझे नींद में देख कर मेरे पास आकर बैठ गई और गौर से मेरे लण्ड को निहारती रही, कुछ देर देखने का बाद उसे मस्ती सूझी और वो खुद में बड़बड़ाने लगी- हाय, कितना बड़ा है !

मेरे 7″ के खड़े लण्ड को देख कर उसकी बूर में खुजली शुरु हो चुकी थी, उसने अपना मुँह मेरे लण्ड के लाल सुपारे के ऊपर ले जाकर अपनी थूक छोड़ी तो लण्ड पूरी तरह से उसके थूक से भीग गया और पहले से भी ज्यादा चिकना और तन कर खड़ा हो गया।

मैं चुपचाप सोने का नाटक करते हुए मजा ले रहा था। पर उससे रहा नहीं गया और उसने मेरे लंड के सुपारे को जो लाल हो चुका था और हल्का सा रस भी टपका रहा था, उस पर आहिस्ता से अपनी जीभ फेरना शुरु किया। मुझसे तो रहा नहीं जा रहा था पर फिर भी मैंने चुपचाप अपनी आँखें बंद रखी।

वो शायद समझ चुकी थी कि मैं सोने का नाटक कर रहा हूँ, इसलिए उसने बिना कुछ सोचे मेरे लण्ड को अपना मुँह में लिया और प्यार से चूसना चालू कर दिया। उसकी सांसें जोर से चल रही थी और वो पूरे होश खोकर मेरे लण्ड को अपनी मुँह में ले चूसे जा रही थी।

और कुछ एक मिनट बाद उसने मुझे पुकारा- सुनील, अब उठ भी जाओ, मैं जान चुकी हूँ कि तुम सोने का नाटक कर रहे हो !

यह सुन कर मैं उठ गया और उसे अपने बाँहों में भर चूमने लगा। फिर मैंने कहा- मेरी रानी, अपने कपड़े तो उतारो !

उसने कहा- तुम ही उतार दो !

मैंने झट से उसके कपरे उतारने शुरु किए और उसे पूरी तरह नंगा कर दिया। उसका नंगा बदन देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया क्योंकि उसकी चूचियाँ और चुचूक पूरे तने हुए थे और बुर पर काली झांटें भी थी।

मैं कुछ सोचे बिना उसके चुचूक अपने मुँह में लेकर एक बच्चे की तरह चूसने लगा और वह कहती रही- राजा पी ले स्स्स्सस्स्स्स …. म्मम्मम .. और पी ! और पी .. ख़त्म कर दे सारा दूध .. बहुत दिन से भरी पड़ी हैं ये ! हअइ रअजअ ससससस..मइनइ अअकहइ हओओओ !

मैं उसकी बुर में ऊँगली करने लगा, 2-3 मिनट बाद मैंने उठ कर उसे 69 की अवस्था में ले कर अपने ऊपर चढ़ा लिया और प्यार से उसकी बुर चाटने लगा।

उसने कहा- हय राजा चाटते रहो, म्मम्म… अअअहहहहह… रुकना मत चाटते रहो !

कह कर मेरे लण्ड अपने मुँह में ले चूसने लगी। पूरा घर चप -चुप -उप्प्प की आवाज़ से भर गया।

एक ही मिनट बाद मेरे लण्ड ने पूरा रस उसके मुँह में छोड़ दिया और वो उसे चाट चाट कर गटकने लगी, साथ ही वो भी मेरे मुँह पर झड गई और मैं भी उसकी बुर का पानी बड़े मजे के साथ चाटने लगा और पूरी बुर अपनी जीभ से साफ़ कर डाली।

हम दोनों बिस्तर पर लेट गए… पूरी रात न सोने के कारण मैं चुपचाप लेटे-लेटे सो गया।

और उसके बाद की कहानी मैं दूसरे भाग में लिखूँगा।

गणित का प्राध्यापक - Ganit Ka Pradhyapak

गणित का प्राध्यापक - Ganit Ka Pradhyapak

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम नेहा शर्मा है, यह मेरी पहली कहानी है। मैं एयर-होस्टेस हूँ किंगफिशर एरलाइन्स में, मेरा कद 5 फुट 7 इंच है, उम्र 23 साल है और अब तक अविवाहित हूँ।

और तन-आकृति की बात करूँ तो 35-29-34 है और रंग गोरा है। वैसे आप सोच सकते हैं कि किंगफिशर की एयर होस्टेस हूँ तो कैसी दिखती हूँगी। मेरे पापा आइ ए एस ऑफीसर हैं, घर में पैसे की कोई कमी नही है। मुझे बचपन से ही एयर हॉस्टेस बनने का चाव था तो पहले मैंने फ़्रैंक्फ़िन से ट्रेनिंग ली ओर पापा की जान पहचान के कारण आसानी से जॉब मिल गई। बहुत हिम्मत करके मैं यह कहानी लिख रही हूँ, आशा है कि आप सबको कहानी पसंद आएगी।

यह बात तब की है जब मैं बारहवीं कक्षा में पढ़ती थी। उस वक़्त मैं पूरी जवान हो चुकी थी, मेरा बदन तब 33-28-32 था, रंग तो बचपन से गोरा था ही।

स्कूल में मेरे बहुत आशिक़ थे पर मैंने उनको ज़्यादा घास नहीं डाली क्योंकि एक भी लड़का ऐसा नहीं था जो मेरे लायक हो या मुझे पसंद हो। बारहवीं कक्षा में मैं और मेरी दो सहेलियाँ गणित की ट्यूशन पढ़ने एक प्राध्यापक अजय के घर जाती थी, वो आई आई टी से स्नातक था और शादीशुदा था। उसकी उम्र करीब तीस साल थी। वो एक कोचिंग में पढ़ाता था और दिखने में काफ़ी स्मार्ट था। उसको देख कर मैं सोचती थी कि ऐसे लड़के स्कूल में क्यों नहीं हैं।

एक दिन पता नहीं किस्मत को क्या मंजूर था, मेरी दो सहेलियों में से एक की तबीयत खराब हो गई और दूसरी के परिवार में शादी थी तो वो वहाँ चली गई।

प्री-बोर्ड परीक्षा सर पर थी तो मैं ट्यूशन छोड़ भी नहीं सकती थी तो मैं अकेली ही चली गई उनके घर पढ़ने।

उसके घर पहुँची तो पता चला कि उसकी बीवी भी अपनी मायके गई हुई है। वो घर पर अकेला था, उसको यह पता था कि मेरी वो दोनों सहेलियाँ नहीं आएँगी तो उसने सोचा कि मैं भी नहीं जाऊँगी।

जब मैंने दरवाजे की घण्टी बजाई तो वो सिर्फ़ तौलिया लपेटे दरवाजे पर आया और मुझे देख कर चौंक गया, वो बोला- मुझे लगा तुम भी नहीं आओगी।

मैने कहा- सर, कुछ सवाल हल नहीं हो रहे हैं।

उसने मुझे बैठने के लिए कहा और खुद अंदर चला गया। मैं किताब खोल कर बैठ गई और सवाल देखने लग गई। मैने उस दिन कसी नीली जीन्स और सफ़ेद कसा टॉप पहन रखा था।

थोड़ी देर बाद वो कपड़े पहन कर आया और मेरे पास बैठ गया। उसने मुझे एक बार और सवाल हल करने की कोशिश करने के लिए कहा। मैं सवाल निकालने लग गई लेकिन वो मेरी तरफ देखे जा रहा था।

मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया और चुपचाप अपना काम करती रही। फिर वो अचानक मेरे करीब आ गया और मेरा चेहरा अपनी ओर घुमा कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसने मेरे बाल पीछे से पकड़ लिए और करीब दस सेकेंड तक मुझे चूमता रहा। मैं घबरा गई और काँपने लगी। फिर मैंने जल्दी से अपना बैग उठाया और बाहर गेट की तरफ जाने लगी। गेट अंदर से बंद था। जैसे ही मैं खोलने लगी तो उसने ज़ोर से मेरे बाल पकड़ लिए और बोला- साली, आज मौका मिला है तुझे चोदने का, कहाँ जा रही है?

वह मेरे बाल पकड़े हुए ही वो मुझे बेडरूम में ले आया और ज़ोर से मुझे बिस्तर पर पटक दिया। मैं इतनी घबरा गई थी कि डर के मारे मेरे मुँह से एक शब्द भी नहीं निकल रहा था। उसने मुझे बिस्तर पर सीधी लेटाया और खुद मेरे ऊपर लेट गया। वो मेरे गालों को बुरी तरह चूमने लगा और जीभ से चाटने लगा। वो मेरी चूचियों और मेरे कूल्हों को कपड़ों के ऊपर से दबाने लगा। उसका एक हाथ मेरे वक्ष को मसल ही रहा था और दूसरा हाथ मेरी गांड को सहला रहा था।

फिर उसने मेरी जीन्स का बटन खोल कर उसने मेरी पेंटी में हाथ डाला और मेरी चूत को रगड़ने लगा। मैं भी धीरे धीरे गर्म होने लगी थी और धीरे-धीरे मेरी घबराहट भी कम होने लगी थी। फिर वो रुक गया और मुझसे बोला- अगर तेरा मन नहीं कर रहा तो चली जा अपने घर, मैं और कुछ नहीं करूँगा।

मैंने कहा- तुमने जो आग लगाई है, वो तुम्हें ही बुझानी पड़ेगी।

इतना सुन कर वो खुश हो गया और बोला- मेरी रानी, आज तुझे जन्नत की सैर नहीं करवाई तो मैं भी जाट नहीं !

मैंने कहा- ठीक है लेकिन मैं अपनी चूत में नहीं घुसने दूँगी तेरा लण्ड।

उसने कहा- क्यों मेरी जान?

मैंने कहा- मेरी मर्ज़ी !

उसने कहा- ठीक है।

फिर उसने मुझे बाहों में भर लिया और फिर से मेरे शरीर को मसलने और दबाने लगा। फिर उसने एक एक करके मेरे कपड़े उतारे और मुझे पूरी नंगी कर दिया। मैं पहली बार किसी मर्द के सामने नंगी हुई थी, फिर वो भी नंगा हो गया और अपना लण्ड मुझे चूसने के लिए बोला।

उसका लण्ड देख कर मेरी गाण्ड फट गई, 8 इंच लंबा था, मैं उसका लण्ड चूसने लगी और करीब पाँच मिनट तक लगातार चूसती रही। उसके बाद उसने मेरे मुँह में ही अपना सारा पानी छोड़ दिया। मुझे उस पानी का स्वाद बहुत अच्छा लगा, मैंने उसका पूरा पानी चाट लिया।

अब मेरी शर्म पूरी तरह खुल चुकी थी और मैं उसके साथ सेक्स का पूरा मज़ा लेना चाहती थी। मैंने उसको कहा- अब तुझे भी मेरी चूत चाटनी पड़ेगी।

उसने कहा- चूत चाटने में तो मुझे महारत हासिल है।

फिर मैं अपनी पीठ के बल अपनी टाँगें खोल कर लेट गई और उसके सिर को अपनी चूत की ओर दबाने लगी।

अजय ने अपनी जीभ मेरी टांगों के ऊपर फेरनी शुरू कर दी और मैं सिहर उठी- ओह हहह अजय बहुत अच्छा लग रहा है, रुकना नहीं ! बस ऐसे ही चाटते रहो ! मैंने कहा।

वह मेरी चूत के आसपास चाटता रहा और बीच बीच में मेरी जांघें भी चाट लेता था, धीरे धीरे उसकी जीभ मेरी चूत के होठों पर पहुँच गई।

और जैसे ही उसने मेरी चूत को चाटना शुरू किया मैं अपनी चरम सीमा पर पहुँच गई, जोर से उसका सिर अपनी जांघों के बीच दबा लिया और जैसे ज्वालामुखी फटता है वैसे ही अपना पानी छोड़ने लगी।

मैं एकदम गर्म थी और जोर जोर से चुदना चाहती थी।

उसने कहा- चलो, अब कुतिया बन जाओ, मैं तुम्हारी गाण्ड मारता हूँ।

फिर मैंने सोचा कि गाण्ड तो गाण्डू मरवाते हैं, मैं लड़की हूँ और अपनी चूत मरवा कर ही सेक्स का मज़ा लूँगी।

लेकिन फिर मैंने सोचा कि इस गाण्डू को क्यों अपनी सील तोड़ने दूँ, यह तो मैं अपने किसी प्रेमी के लिए बचाकर रखूँगी।

फिर मैं उल्टी हो लेट गई और वो मेरी गाण्ड को थपथपाने लगा, उसने अपनी एक अंगुली मेरी गाण्ड के छेद सभी घुसा दी। मैं दर्द से तड़प उठी, उसने अंगुली को गाण्ड में घुसाना जारी रखा। उसने ढेर सारी क्रीम मेरी गाण्ड में लगाई और लण्ड एक झटके से घुसेड़ दिया।

मैं दर्द के मारे जोर से चिल्लाई- मर गई बहनचोद ! बाहर निकाल ! फाड़ दी तूने मेरी गाण्ड …..!!!!

लेकिन अजय ने एक नहीं सुनी, उसने पूरा लौड़ा गाण्ड में पेल दिया और जोर जोर से धक्के लगाने लगा। करीब 15 मिनट बाद उसने अपना सारा पानी मेरी गाण्ड में छोड़ दिया…

उसका गर्म पानी मेरी गांड में घुसते ही मुझे जन्नत नसीब हो गई। फिर हम दोनों एक दूसरे के ऊपर नंगे ही पड़े रहे। फिर उसने मुझे धीरे-धीरे से फिर चूमना चालू कर दिया लेकिन मैंने कहा- घर जाना है, देर हो रही है, फिर कभी करेंगे…

उसने कहा- ठीक है…

फिर मैने अपनी ब्रा पेंटी पहनी और फिर अपने कपड़े पहने और बाल ठीक किए और घर चली गई…

उसके बाद मैंने अपनी ट्रेनिंग के वक़्त कैसे अपनी सील तुड़वाई…. अपनी अगली कहानी में लिखूँगी।

मेरी मालिश उसकी चाहत - Meri Malish Uski Chahat

मेरी मालिश उसकी चाहत - Meri Malish Uski Chahat

काफी दिनों बाद अपनी नई कहानी भेज रहा हूँ और उम्मीद करता है कि आप सबको पसंद आयेगी।

इस बार काफी दिनों बाद मुझे एक कॉल मिला, मैं भी बिना किसी काम के बेकार बैठा था, मेरे दलाल ने मुझे बता दिया था कि एक शादीशुदा महिला है, नाम (बदला हुआ) रीमा, शहर लखनऊ की हैं, बात करेंगी और जैसा हो तय कर लेना।

मैं इसके लिए तैयार हो गया। उसी रात रीमा का फोन आ गया और उसने बताया कि वह मुझे बुला कर अपनी शरीर की प्यास बुझाना चाहती है।

मैं बोला- आप जब चाहेंगी मैं आ जाऊँगा।

वह बोली- आप अगर आ सको तो सोमवार को आ जाओ और बुधवार को शाम चले जाना।

मैं बोला- ठीक ! इसका मतलब आप तीन दिन के लिए मुझे अपने साथ रखेंगी। मैं आ जाऊँगा, आप अपना पता और मैं कैसे आप तक पहुँचूंगा, बता देना।

वह बोली : मेरा नंबर आप सुरक्षित कर लो और जब आना तो एक फोन कर लेना मैं आपको ले लूंगी।

सोमवार को मैंने तैयार होकर उसको फोन किया और बोला- आप बताओ, मैं आ रहा हूँ !

बोली- आप कहाँ हो?

मैं बोला- चार बाग पर हूँ !

उसने वहीं रुकने को कहकर फोन काट दिया।

मैं वहाँ खड़े खड़े एक घंटा बीत गया। मैं ऊबने लगा, सोचा फिर फोन करता हूँ, लेकिन 15 मिनट बाद उसका फोन आया- आप जहाँ भी हैं। रेल-आरक्षण वाली तरफ आ जाओ, वहाँ लाल मारुति दिखेगी।

मैं तुरंत उधर गया तो सामने ही लाल कार थी, मैंने फोन लगाया, बोला- मैं सामने खड़ा हूँ, आप दरवाजा खोल दें।

उसने कार खोल दी मैं तुरंत अंदर बैठ गया।

हम लोग पौने घण्टे में उनके घर पहुँच गए। अंदर आकर उन्होंने मुझे अपना कमरा दिखाया और कहा- आप यहाँ फ्रेश हो लो ! फिर बात करतें हैं।

और वह कमरे से निकल कर अपने दूसरे काम में लग गई।

मैं बाथरूम में गया, गर्म पानी से अच्छे से नहा कर बाहर आया। रीमा भी काम समेट कर आ गई। घर काम करने वालों को उसने तीन दिन की छुट्टी दे दी।

उसने मुझे बताया कि उसका पति स्वस्थ है लेकिन सेक्स में कुछ भी समय नहीं देता, अपने काम में लगा रहता है, अगर दिया तो भी दस मिनट और फिर सो गया या फिर कोई आ गया या फिर काम पर निकल गया, घर पर समय नहीं देता। कोई बच्चे नहीं हैं, शादी हुए आठ साल हो गये।

मैंने कहा- क्या आप या आपके पति बच्चे नहीं चाहते?

तो बोली- क्यों नहीं, लेकिन सारी कोशिश बेकार हो गई।

मैं बोला- क्या मैं आपकी सहायता करूँ?

तो वह बोली- कैसे?

मैं बोला- अगर आप चाहें तो आपको मैं अपना वीर्य दे सकता हूँ।

रीमा बोली- ठीक है, लेकिन हो सकेगा?

मैं बोला- अगर आप कहो तो !

उसने कहा- ठीक है !

फिर हम लोग खाना खाकर अपने कमरे में गए। रात हो रही थी, आठ बज गए थे, मैं बोला- आपकी सेवा करूँ?

बोली- हाँ, उसी के लिए आये हो।

मैंने अपनी शर्ट और बनियान उतार कर पायजामा खोल दिया और अन्डरवीयर में उसके सामने खड़ा हो गया, उसको बोला- क्या आप कुछ अलग चाहेंगी।

उसने कहा- अब तुम्हारा घर है, तुम जो चाहो करो।

मैं उसको पूछा- कोई तेल है?

उसने बताया- हाँ है।

और उसने मुझे तेल की शीशी दे दी।

मैंने उससे पूछा- लाइट हल्की कर दूँ?

और फिर उसको लेटा कर उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसको तेल लगाना शुरु किया और कंधे से लगाते हुए उसके चूतड़ों तक आया और वहाँ पर लगाने के बाद पैरों की तरफ गया।

उसको मजा आ रहा था, उसकी आवाज नहीं निकल रही थी, बिल्कुल शांत थी।

फिर मैं बोला- आप सीधी लेट जाएँ।

वह पलट गई। क्या बड़े बड़े चूचे थे मस्त और बुर पर झांट भरी पड़ी थीं।

मैं बोला- क्या आपकी झांट साफ़ कर दूँ?

उसने कहा- अब तुम जो करो, मैं तैयार हूँ।

मैं अपने साथ शेविंग किट लाया था, उसको निकाला और गर्म पानी के साथ झाग बनाकर रीमा की झांट पर लगाने लगा। उसको इतना करने से ही सिरहन आने लगी।

फिर क्या था, मैं भी उसको खूब ब्रश से अच्छे से रगड़ने लगा। उसकी बुर के अंदर तक ब्रश जा रहा था। वह लाल हुई जा रही थी।

उसको इतना मजा आ रहा था कि उसी में कहने लगी- आज कुछ कर दो इसके अंदर।

फिर अपना रेज़र लेकर उसके बाल साफ़ करने लगा। बार बार पानी से रेज़र धोना पड़ रहा था।

उसके बाल साफ करने के बाद जब बुर की नोक पर साफ़ करने लगा तब वहां सावधानी से उसके बुर की किनारी एक हाथ से पकड़ी और फिर उसके बाल साफ़ करने लगा। उसके किनारी इतनी चिकनी थी कि बार बार छूट जाती थी हाथ से ! फिर भी उसको पूरा अंदर तक साफ़ कर दिया।

फिर तौलिए से ऊपर पौंछा और फिर उसकी बुर के अंदर डाल कर सब साफ़ किया। वह मजा लेकर सफाई करवा रही थी।

फिर तेल लिया और उसकी छाती पर लगाया और उसकी चूची पर लगाया और मसलने लगा। उसका खूब मालिश करने से ही उसका पानी निकल पड़ा था।

धीरे से नीचे हाथ लगाया और उसके बुर पर हाथ फेरने लगा। तेल हाथ में लेकर उसके बुर पर डाला और उसकी बुर की मालिश करने लगा। उसकी बुर की मालिश करते करते रात के दस बज गए। वह अपनी बुर की प्यास बुझाना चाह रही थी, उसने कहा- अब मालिश कल कर लेना, आज बुर की प्यास बुझा दो।

और फिर मेरे लिंग को अपने हाथ से लेकर उस पर तेल लगा कर उसकी मालिश करने लगी। मेरा लिंग तन गया।

फिर क्या था उसका पानी निकल रहा था, वो थक चुकी थी, क्या करता, डाल दिया और वह भी अपने आप से ही उचक उचक कर मजा लेने लगी।

वह अपना पानी गिराने वाली थी कि मैं बोला- रुको ! और उसकी चूत को अपने मुँह पर सटा लिया, उसने अपना पानी जब गिराया तब वह हल्का गाढ़ा था और हल्का दूधिया था, उसका स्वाद भी थोड़ा अलग था, उसमें अजीब सी महक थी जो मदहोश कर दे। उस पानी को मैं चाट गया। इसे देख कर रीमा के अंदर एक जोश भर गया और वह फिर चुदने को बैठ गई और मेरे लिंग को जो ठंडा हो गया था, चूस कर तैयार किया और फिर अपनी चूत के अंदर डाल लिया।

उसने खूब मजा लिया, मेरा पानी गिरने को था तो उसने कहा- अब आप पानी बाहर न गिरने देना, सब चूत में डालना है, मुझे बच्चा लेना है।

और फिर मैंने अपना पूरा वीर्य उसकी चूत में डाल दिया। उसने भी अपना पानी गिरा दिया था। मेरा पानी भी उसमें भर कर बाहर आने लगा तो रीमा ने जल्दी से एक तकिया लिया और अपने कमर के नीचे लगा लिया जिससे उसकी चूत ऊंची हो गई और पानी बाहर आना बंद हो गया।

वह भी थक कर चूर हो गई थी, मैं भी। हम लोग नंगे ही सो गये और सुबह देर से जगे।

सुबह ठण्ड ज्यादा थी, मन नहीं कर रहा था कि उठें।

हम लोग देर से सो कर उठे, नहा कर नाश्ता किया और फिर बाहर घूमने निकल गए। सहारागंज में घूमे और कुछ सामान खरीदा और फिर वहीं खाना खाकर घर आ गये और अपने कमरे में जाकर आराम करने लगे। हम दोनों ही सो गये। शाम के चार बजे आँख खुली तो देखा कि रीमा कमरे में ही बैठी है।

मैं बोला- आप कब उठी?

रीमा बोली- बस मैं भी अभी जगी।

मैं बोला- आप कुछ लेंगी चाय या कॉफ़ी।

वह बोली- आप क्या लोगे?

मैं बोला- कॉफ़ी।

रीमा बोली- लाती हूँ !

और चली गई, पाँच मिनट में वह कॉफ़ी बना कर ले आई। हम दोनों ने कॉफ़ी पी और फिर मैंने उसको कहा- चलो कुछ मालिश हो जाये।

वह तैयार हो गई।

कमरे में जाकर उसको बिस्तर पर लेटा दिया और तेल हाथ में लेकर उसके ऊपर डाल दिया।

उसकी पीठ मेरी तरफ थी। मैं भी चड्डी में था। चुपचाप तेल लगाने के बाद उसकी गांड को तेल पिलाया, साथ में उसके बुर के अंदर तेल भर कर उसको पलट दिया और उसकी बुर की मालिश करने लगा।

उसको पैर को फैला कर लेटने को कहा, उसकी बुर गुलाबी साथ में काले रंग की उसकी पंखुड़ियाँ थीं।

मैं उसकी पंखुड़ियों की मालिश करने लगा। एक पंखुड़ी पकड़ कर दूसरे हाथ से उसकी मालिश कर दी। फिर दूसरी की। तकरीबन 15 मिनट इसी तरह करता रहा फिर उसके दाने की मालिश की। उसका दाना मालिश के कारण लाल हो गया था और उसको मजा आ रहा था। फिर धीरे से उसकी बुर के अंदर उंगली डाल कर उसके अंदर का फूल छुआ। वह गिनगिना गई। धीरे धीरे उसके फूल को मालिश देने लगा।

वह ऐंठ गई और बोली- अब मालिश रोक कर मेरे अंदर अपना फल लगा दो !

और फिर मैंने उसके ऊपर चढ़ कर अपना लण्ड उसके अंदर डाल दिया, उसको कस कर चोदा।