Thursday 31 March 2016

मिनाक्षी की चूत - Minaski Ki Chudai

मिनाक्षी की चूत - Minaski Ki Chudai

दोस्तो, मुझे नहीं मालूम था कि मुझे इतनी जल्दी चुदाई का मौका मिल जाएगा!! हमारे घर के सामने एक मकान था, जिसमे वर्मा साहब की फैमली रहती थी। उनके घर में वर्मा जी और उनकी दो बेटियाँ मिनाक्षी व पूजा और उनकी मां सपना रहती थी। उनकी मां 55 की होने के बाद भी 45 की लगती थी!! कसा हुआ बदन… मोटे-मोटे चुचे और भारी-भारी गाण्ड… लम्बे बाल… जब वो रोड पर चलती थी तो जवानों के हाथ तो अपने लण्ड पर होते ही थे, बुढों की भी जीभ लपलपा जाती थी!!! जाहिर है, ऐसे में उनकी बेटियाँ भी कयामत थीं। उनकी एक झलक पाते ही लडके मुठ मारे बगैर नहीं सो सकते होगें और सोएँ भी कैसे, यह हाल मेरा भी तो था… मिनाक्षी की उम्र मुझसे दो साल कम, 19 की थी और पूजा उससे एक साल छोटी थी। मुझे जन्नत का मजा मिनाक्षी ने दिलवाया!!! तो अब मैं असल कहानी पर आता हूँ… वर्मा परिवार का हमारे साथ लगाव था, मेरे घर हम दो भाई और मम्मी-पापा हैं। मेरा भाई विदेशी टूर कम्पनी में काम करता है और मुंबई ओफिस का हैड है। वो वहीं रहता है। पापा मेरे प्राईवेट कम्पनी में काम करते हैं तथा मम्मी भी… दोनों सुबह ओफिस जाते हैं और देर शाम को आते हैं। मेरा कमरा बाहर गेट के पास है तथा मम्मी-पापा का घर के अंदर। उस दिन मैं घर पर अकेला था और टी वी देख रहा था। तभी मुवी में एक सैक्सी सीन आया और मैं अपना 10 इंची लण्ड निकाल कर सहलाने लगा!!! मेरे घर का मुख्य गेट खुला हुआ था, इसका मुझे अहसास ही नहीं था कि कब उसमें से मिनाक्षी अंदर आई और मुझे लण्ड से खेलते हुए देखने लगी!!! अचानक उसके पैरों से कुछ टकराया और आवाज़ सुनकर मेरी मस्ती टूटी। मैंने पीछे देखा तो मिनाक्षी खडी मेरे लण्ड को घूर रही है!! मैंने फट से अपना लण्ड अंदर किया और पूछा – कैसे आना हुआ, मिनाक्षी? तो वह बोली – मैं तो न्यूज पेपर लेने आई थी। मैं उसे न्यूज पेपर देने लगा, तो उसने मेरा हाथ पकड लिया। मैं एक बार घबराया तभी उसने मुझे खींच लिया, मैं सीधा उसके सीने से टकरा गया। उसने मेरे लण्ड पर हाथ रख कर कहा – हथियार, तो तगड़ा है!!! कभी इस्तेमाल भी किया है, या बस वैसे ही हाथ से काम चला रहे हो… मैं सकपकाया पर होश में आते ही समझ गया की आम पक कर खुद झोली में आ गिरा है, तो चख क्यों नहीं लेता!! !!! मैंने उसका सिर पकड कर उसके होंठों पर किस करते हुए कहा – तेरे जैसा कोई माल नहीं मिला, जान… इस्तेमाल कैसे करता…!! मैंने सोचा कि जब उसे खुद ही कोई प्रॉब्लम नहीं है तो मैं क्यों पीछे हटूँ और उसे चूमने लगा। मैं भी खुश हो गया और धीरे धीरे उसके कपड़े उतारने लगा और साथ ही उसके होंठों पर चूमने लगा क्योंकि यह मेरा पहला सेक्स अनुभव था तभी मिनाक्षी ने मुझे धक्का दिया और कहा – जानवर है, क्या…?? आराम से कर!! आज तो मैं तेरी हूँ। मैंने कहा- सॉरी… !! और इतने में मिनाक्षी ने अपना सूट उतार दिया। मैंने कहा – मिनाक्षी, इतने बड़े बड़े स्तन हैं, आपके… !!मैं उनको हाथ में लेकर चूसने लगा और दबाने लगा। मिनाक्षी भी जोश में आ चुकी थी और मुझसे चिपक गई थी। मेरा तो सपना साकार हो गया था!!! मैंने मिनाक्षी को धीरे धीरे पूर्ण नग्न कर दिया और खुद भी नंगा हो गया… फिर क्या था, मैंने जैसा ही अपना लण्ड निकाला मिनाक्षी बोली- हे राम… !! इतना मोटा? साले, तूने आज तक कितनी लड़कियों को चोदा है? मैंने कहा – किसी को नहीं!! वो बोली – चल आज, चोद… !! खुद भी मजा ले और मुझे भी मजा दे!!! !! मैंने कहा – तो देर किस बात की। मैं उसे चूमने लगा और उसने मेरा लण्ड हाथ में ले लिया और आगे पीछे करने लगी। मुझे काफी मजा आ रहा था। मैं उनके बोबे दबा रहा था और होंठ चूस रहा था… फिर वो बोली- साले, केवल चूसेगा ही या खायेगा भी… ?? मैं बोला – साली, बड़ी जल्दी है तुझे… चल घोड़ी बन जा, साली रांड… !! जल्दी कर… मुझे तो तुझसे ज्यादा जल्दी है, रंडी… वो बोली – अच्छा, ऐसी बात है तो लो… और वो घोड़ी बन गई, मैं उसे पेलने लगा। वो बोली – थोड़ा तेज नहीं चोद सकता… ?? और मैंने झटके तेज कर दिए और उसे चोदने लगा!! थोड़ा धीरे !! उई माँ… मर गई साले! थोड़ा धीरे!! … मैंने कहा- अब पता चला साली रंडी, तेरी गाण्ड का तो आज मैं बुरा हाल बना कर छोड़ूंगा!! वो भी कहने लगी – हाँ कुत्ते… !! और मेरा साथ देने लगी… मैं उसकी चूत जोर जोर से चोदने लगा। अब वो मजे से चुदने लगी!!! !! बीस मिनट तक मैं उसे चोदता रहा… मैंने उसे अलग अलग ढंग से चोदा!! 20-25 मिनट बाद जब मेरी छूट होने को आई तो मैंने लण्ड बाहर कर उसके मुँह पर पिचकारी मारी और उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और सारा वीर्य चाट गई… !! फिर मैं उससे चिपक गया। हम दोनों एक दूसरे के साथ देर तक चिपके रहे। इतने में मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया और मैंने कहा – मिनाक्षी, एक बार और हो जाये… ?? वो बोली – हाँ हाँ!! क्यों नहीं? नेकी और पूछ पूछ !! … आजा मेरे राजा, फाड़ दे अपनी मिनाक्षी की चूत!! उस दिन मैंने मिनाक्षी को पाँच बार चोदा… नए नए स्टाइल में!!! और उसके बाद हमारे बीच सिलसिला चल पडा। उसे जब भी मौका मिलता, वो मेरे घर आ जाती या फिर मुझे मौका मिलता तो मैं उसके घर… हम जमकर चुदाई करते, फिर एक दिन पूजा ने हमे रगें हाथों पकड लिया और फिर क्या हुआ यह अगली कहानी में…

पड़ोस की लड़की की कुँवारी चूत ली - Pados Ki Ladki Ki Chut Li

पड़ोस की लड़की की कुँवारी चूत ली - Pados Ki Ladki Ki Chut Li


साल से! मैंने यहाँ बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं मगर आज पहली बार मैं अपनी आपबीती ‘पड़ोस की लड़की की कुँवारी चूत ली’ आप सबके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ। उम्मीद करता हूँ कि आप सबको पसंद आएगी। मेरा नाम मनीष शर्मा है, उज्जैन का रहने वाला हूँ मगर अभी जयपुर में हूँ। मेरी उम्र 21 वर्ष, मेरा कद 6 फीट है और दिखने में ठीकठाक हूँ, मेरे लंड की लंबाई सात इन्च है। जिस भी लड़की ने मेरा लंड देखा है, वो मेरे लंड की दीवानी हो गई है। आप सबने शालिनी राठौर और सुरभि तिवारी की कहानियाँ पढ़ी होंगी, सुरभि तिवारी जी ने मेरे लंड की तस्वीरें भी देखी हैं, वो भी मेरे लंड की दीवानी हो गई और मेरा लंड लेना चाहती हैं। अब ज्यादा बोर न करते हुए मैं अपनी बात पर आता हूँ। बात तब की है जब मैं अपने इंजीनियरिंग के दूसरे वर्ष में था। तब हमारे घर के पास नये किरायेदार रहने आये। उनके घर में तीन लोग थे माँ, पापा, और उनकी लड़की जिसका नाम लक्ष्मी था। लक्ष्मी की उम्र 19 वर्ष थी। जब उसे पहली बार मैंने देखा तो देखता ही रह गया। मस्त माल थी… सांवला रंग और फिगर 32-28-34 क्या मस्त चूतड़ थे उसके ! जब भी वो घर के बाहर आती थी तो मैं केवल उसके कूल्हे ही देखता रहता था। मुझे उसे पटाना था ताकि मैं उसे चोद सकूँ। मगर उसकी माँ उसे कभी अकेली नहीं छोड़ती और उसके पापा तो ऑफिस के लिए सुबह जल्दी निकल जाते और शाम तक आते थे। फिर एक दिन क़िस्मत ने मेरा साथ दिया और उसकी माँ को किसी काम से बाहर जाना पड़ा। उस दिन मैंने उससे बात की और दोस्ती का आग्रह किया। उसने हाँ कह दी और कुछ दिन बाद हमने अपने फ़ोन नंबर एक्सचेंज किये। तब से फोन पर हमारी बात होने लग गई। यह सिलसिला कुछ दिन चला और एक दिन मैंने उससे अपने प्यार का इज़हार किया और उसने मुझसे कहा- वो भी मुझसे प्यार करती है। मुझे अपना सपना सच होते हुए दिखा। बस अब मैं उससे अकेले मिलकर उसे चोदना चाहता था। मगर मौका नहीं मिल रहा था। कहते हैं ना कि सब्र का फल मीठा होता है, वही हुआ मेरे साथ हुआ! उसके मम्मी पापा को किसी काम से शहर से बाहर जाना पड़ा 8-10 दिन के लिए। मैंने उसे मिलने के लिए कहा तो उसने अपने घर मिलने के लिए बुलाया। मैं जब उसके घर गया तो उसने लाल रंग की नाइटी पहनी हुई थी। उसमें वो हॉट लग रही थी। उसे देखते ही मेरा लंड खड़ा होने लग गया। मैं उसके पास गया। हम दोनों ने थोड़ी देर तो बात की फिर में उसके एकदम पास गया, उसके होंठों को चूमने लग गया। थोड़ी देर बाद वो भी मेरा साथ देने लग गई। फिर मैं धीरे से किस करते हुए उसके बूब्स को दबाने लग गया। वो आ-ह-ह-हुह करने लग गई। फिर मैंने उसकी नाइटी के अंदर हाथ डालकर उसके निप्पल को पकड़कर मसलने लगा। फिर मैंने उसकी नाईटी उतार दी। जैसे ही मैंने उसकी नाईटी उतारी, उसने काले रंग की ब्रा-पेंटी पहन रखी थी, उसमें वो एकदम हॉट और सेक्सी लग रही थी। मैंने देर न करते हुए उसकी ब्रा खोलकर उसको लेटा दिया और उसके बूब्स को दबाने और निप्पल को एक-एक करके चूसने लग गया। मैं अपने साथ चोकलेट लेकर गया था जो पिंघल चुकी थी। मैंने चोकलेट को उसके निप्पलों पर लगाया और निप्पल को एक-एक करके चाटने लग गया। वो पूरी तरह से पागल होकर हुह… आह… हआ…आहह करने लग गई। फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए, केवल अंडरवियर में रह गया और वो पेंटी में ! मुझे अंडरवियर में देखकर उसने अपनी आँखें बंद कर ली। फिर मैंने उसके होंठों को चूसते हुए उसके पूरे बदन को चाटते हुए उसकी पेंटी तक पहुँचा, फिर मैंने उसकी पेंटी उतार दी। एकदम गीली और चिकनी कुँवारी चूत देखकर मैं और मेरा लंड दोनों पागल हो गये। मैं उसकी चूत को चाटने लग गया। दोस्तो, क्या बताऊँ कितना बढ़िया स्वाद था! फिर मैंने चोकलेट को उसकी कुँवारी चूत पर लगाकर खूब चाटा उसकी चूत को ! इस बीच वो एक बार झड़ गई और मैं उसका सारा पानी पी गया। फिर मैंने अपनी अंडरवियर उतारकर उसे अपना लंड चूसने को कहा। मगर उसने मना कर दिया तो मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया। उसके बाद मैंने उसकी गीली कुँवारी चूत पर अपना लंड रखा और अंदर डालने की कोशिश की तो मेरा लंड फिसलकर बाहर आ गया। उसकी चूत टाइट थी। मैंने रूककर अच्छे से सेट करके जोर लगाकर लंड डाला तो लंड थोडा ही अंदर गया होगा, उसे दर्द हुआ मगर वो चिल्लाई नहीं। मैंने एक शॉट और मारा और उसके ऊपर गिर गया। उसे इतना दर्द हुआ कि उसने अपने नाख़ून मेरी पीठ पर गड़ा दिए और धीरे से कहा- बहुत दर्द हो रहा है। मगर उसकी हिम्मत थी कि वो चिल्लाई नहीं, पूरा दर्द सहन कर लिया। फिर थोड़ी देर हम ऐसे ही पड़े रहे, फिर मैंने धीरे धीरे अपनी कमर चलाना शुरू कर दी। वो आह… आह… ह…हुहह… करने लगी। थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ तो अपने लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद वो भी अपने चूतड़ हिलाकर मेरा साथ देने लगी। दस मिनट मैंने उसे चोदा। फिर मैं झड़ने वाला था तो उसने कहा- अंदर मत झड़ना। मैंने सारा माल उसके पेट पर निकाल दिया। उसके बाद हमारा दूसरा राउंड 25 मिनट चला। उसमें मैंने उसे अलग अलग पोजीशन में चोदा। उस दिन दो घंटे तक हमारा कार्यक्रम चला। अगले 7-8 दिन तक हम दोनों ने मिलकर खूब मजे किये। मैंने उसे उसके घर के हर एक कोने में चोदा। तो दोस्तो, यह थी मेरी आपबीती ! आप सब लोगों को कैसी लगी, मेल करके बताइयेगा जरूर!

आंटी के साथ मेरी पहली चुदाई - Aunty Ke sath Meri Pahle Chudai

आंटी के साथ मेरी पहली चुदाई - Aunty Ke sath Meri Pahle Chudai

ये स्टोरी आज से कुछ महिना पहले की हे बात एसी हे की में रोज़ जब भी घर से निकल क्र अपने जॉब पर जाता हूँ. मेरे घर के थोडा फासले पर एक स्कूल हे वही मेरा रोज़ आना जाना रहता हे और जेसे ही में स्कूल के पास पहोंचता हूँ तो एक आंटी अपने चाइल्ड को स्कूल ड्राप करने आती हे और रोज़ रोज़ मेरा और उनका फेस देखते थे और वो अक्सर मुझे देख क्र स्माइल भी देती थी. वो स्कूटी पे आती थी और जब वो गाडी खड़ी करके अपने बच्चे को स्कूल में ले जाती तो में वही पर खड़े हो कर उनका वेट करता और कई दिन एसे ही गुज़र गए और मुझे आंटी की गांड देखने में बहोत मज़ा आता था. आंटी की गांड मस्त बड़ी थी थी और बूब्स भी बड़े बड़े थे. तो मेने उनको कई बार प्यासी नजरो से देखता था तो इसी लिए में उनको चोदने का प्लान बनाने लगा. और अब में रोज़ उनके आने से पहले ही स्कूल के पास पहोंच कर उनका वेट करता था और कई बार मेने उनसे बात करनी चाही लेकिन हिम्मत नहीं होती थी. फिर एक दिन में अच्छी तरह ड्रेसिंग मार के स्कूल के पास जाकर खड़ा हो गया और उनका वेट करने लगा. और जेसे ही आंटी आई तो मेने उनको घुर घुर कर देखने लगा वो अपने चाइल्ड को स्कूल में ड्राप करके वापस आई और अपनी स्कूटी स्टार्ट करने लगी लेकिन कई बार किक मारने के बाद भी स्टार्ट नहीं हो रही थी. फिर आंटी थक कर इधर उधर देखने लगी और फिर मुझे उन्होंने इशारा किया. में: क्या हुआ आंटी…? आंटी: पता नहीं. क्यू गाडी स्टार्ट नहीं हो रही हे ज़रा तुम देखो. में: ओके और मेने अच्छी तरह गाड़ी के प्लग को साफ़ किया और फिर किक मारी चोक भी दिया मगर गाडी स्टार्ट नहीं हुई. फिर मेने पूछा आप कहा रहती हो वो बोली में केम्प में रहती हूँ. जो की काफी दूर हे तो मेने कहा आओ मेरा घर पास में ही हे आप वही रुक जाओ में आपकी गाडी गेरेज में ठीक करवाकर ला देता हूँ. तो वो बोली ठीक हे और फिर गाडी को साइड में खड़ी करके में आंटी को ले कर अपने घर ले आया. और अपनी मोम से मिलवाया की ये मेरे फ्रेंड की मोम हे जूठ बोल दिया और आंटी ने मुझे देख कर बस स्माइल दे कर रह गयी फिर में उनकी गाडी गेरेज में ले गया और उसने चेक किया और बताया की इंजिन में प्रॉब्लम हे आज नहीं हो पायेगा. तो मेने आंटी को बताया घर जाकर. तो वो बोली ठीक हे तो फिर मोम ने कहा जा आंटी को उनके घर ड्राप कर दे. तो में अपनी बाइक पर आंटी को बिठाया और उनके घर की तरफ चल दिया. और रास्ते में आंटी बार बार अपने बूब्स मेरी पीठ पर टच कर रही थी. और मुझे बहोत मज़ा आ रहा था. घर पहोंच कर आंटी ने चाय ऑफर की तो में जानबुज कर नाटक करने लगा. तो आंटी ने मेरा हाथ पकड़ कर अन्दर चलने को कहने लगी. एंटी का घर बहोत बड़ा और बहोत खुबसूरत था तो मेने तारीफ की तो उन्होंने थैंक्स कहा और किचन में चाय लेने चली गयी और में एक सोफे पर बेठ गया और जब आंटी चाय लेकर आई तो मेने पूछा घर में तुम अकेली रहती हो क्या..? आंटी: हां एसे ही समजो.. मेरे हसबंड हर दुसरे दिन आउट औफ सिटी जाते हे वो एक कम्पनी चलाते हे और इसी वजह से वो अक्सर सिटी से बहार ही रहते हे. और जब आंटी ये सब बोल रही थी मेरी नजर उनके बूब्स पर थी क्यूकी पहली बार बहोत पास से देख रहा था. जो की बिलकुल गोल गोल थे. और ये आंटी ने नोटिस कर लिया था. फिर वो स्माइल देते हुए बोली क्या देख रहे हो…? तो में सर्मिन्दा होकर मुस्किराने लगा. पर आंटी ने फिर पूछा क्या देख रहे थे. तो में बोला जो देख रहा था. आंटी बोली छूना चाहोगे..? मेने खुस होकर उनकी जांग पर हाथ रख दिया. आंटी ने अपने लिप्स मेरे लिप्स पर रख दिया और हम समुच करने लगे. और में अपना हाथ अपने बूब्स पर रख कर जोर जोर से मसल ने लगा. और आंटी ने अपनी जीभ मेरे मुह के अन्दर तक चुस्वाने लगी. और मेरे लंड को मसलने लगी और मेरा लंड जो के ७.५ इंच का हे जो जो फुल जोस में आ गया और अब तक मेने आंटी के सारे कपडे रिमूव कर चूका था. वो बोली चलो बेडरूम में चलते हे और बेडरूम जाकर मुझे आंटी ने बोला जस्ट मिनट अ वेट में अभी आई और वो अपनी गांड मल्कती हुई किचन में चली गयी. और चोकलेट ले आई और नुजे बब्गा करके मेरे लंड पर आधी गिराकर चूसने लगी याआआ येस्स्स्स बहुत मज़ा आ रहा था और फिर में उनके मुह में ही झड़ गया. और वो सब चाट गयी और फिर वो मुझे उठाकर एक लम्बी किस करते हुए बेड पर लेट गयी और टाँगे फेला कर अपनी चूत पर चोकलेट लगाकर मेरा सर अपनी चूत पर रख दिया और में खूब जोर जोर से चाटने लगा और उनकी जी पॉइंट को जुबान से मसलने लगा. और वो भी अपनी गांड उठा उठा के चुस्वाने लगी और फिर झड गयी तो मेने भी उनका पूरा पानी चाट लिया फिर आंटी ने बोला प्लीज् अब लंड चूत में डाल दो. तो मेने अपने लंड को उनकी चूत पर रख कर गिसने लगा तो वो नागिन की तरह मचलने लगी और बोली अब डाल भी दो तो मेने लंड चूत में सटा कर एक झोरदार झटका मारा. और आंटी की चीख निकल गयी. आआआह्ह्ह्हह्ह आआअह्ह्ह्हह्ह मर गयी जरा धीरे से तेरा लंड हे हथोडा. बहोत तेज धक्का दे दिया. रे तूने और फिर में धक्के पूरी स्पीड में मारने लगा. और वो भी अब मजे ले कर अपनी गांड उछल उछल कर चुदवाने लगी और बोल भी रही थी. और तेज़ और तेज़ य्य्य्यीआ य्य्य्यीस कम ओंन फ़क में हार्ड यययइस एसी आवाज़े निकल रही थी. फिर उन्होंने मुझे निचे गिरा कर अपनी चूत मेरे लंड पर रख कर उछलने लगी और में उनके बूब्स जो बहोत मजे से झूल रहे थे पकड़ कर मसलने लगा. और फिर उन्हें में डोग्गी स्टाइल में चोदने लगा. अब तक आंटी का दो बार पानी निकल चूका था. और अब में भी झड़ने वाला था तो आंटी को बोला तो वो हफ्ते हुए मेंरे लंड मुह में ले कर चूसने लगी और बोलती जा रही थी. ये लंड नहीं हथोडा हे अन्दर सब दिवार तोड़ दी इसने और में उनके मुह में झड गया और आंटी ने चाट चाट कर चमका दिया तो ये थी मेरी सबसे यादगार चुदाई.

मामी ने दिखाया स्वर्ग का दरवाजा - Mami Ni Dhikaya Sawarg Ka Darwaja

मामी ने दिखाया स्वर्ग का दरवाजा - Mami Ni Dhikaya Sawarg Ka Darwaja
हैल्लो दोस्तों मेरा नाम देव है और में दिल्ली का रहने वाला हूँ.. मेरी उम्र 25 साल की है। दोस्तों में आज ये स्टोरी लिख रहा हूँ.. ये मेरे और मेरी एक मामी ज़ी के साथ हुए सेक्स अनुभव के बारे में है। दोस्तों मेरे मामा की शादी 2005 में हुई और मेरी मामी बहुत अच्छी हैं और देखने में बहुत सुंदर हैं। उनका साईज़ है 36-25-34 और उनकी उम्र 28 साल की है। मामा की शादी के वक़्त जब वो पहली बार ससुराल आई तभी से मैंने उनसे दोस्ती कर ली थी वैसे भी आप जानते हैं कि जब नई दुल्हन आती है तो उसका ख़ास ध्यान रखा जाता है.. तो यहाँ भी वही होने लगा था। फिर में भी इस काम में सभी का साथ देता था क्योंकि मुझे मामी के साथ वक़्त बिताने का मौका मिलता था और मामी भी मुझसे बातें करके पूरे दिन टाईम पास कर लेती थी। फिर ऐसे ही हमारी दोस्ती हो गयी और हम लोग खाना भी साथ खाने पीने लगे। फिर बाद में क्योंकि मेरे कॉलेज की पढ़ाई का चक्कर था तो मुझे एक सप्ताह के बाद वहाँ से दिल्ली वापस आना पड़ा मेरी फेमिली यहीं दिल्ली में ही है और मामा जी का घर कानपुर में है। फिर यहाँ से में मामी जी से अक्सर फोन पर बातें किया करता था और फिर धीरे धीरे मैंने उनसे एक अच्छे दोस्त का रिश्ता बना लिया था। फिर उनकी शादी में मुझे उनकी एक दोस्त भी बहुत पसंद आई और में अक्सर मामी से कहता था कि प्लीज मेरी उससे शादी करा दो। तभी वो भी कहती थी कि हाँ करा देंगे जब सही समय आएगा। तभी इन सब बातों को करते करते हम बहुत अच्छे दोस्त हो गये थे। फिर में अक्सर उनकी शादीशुदा लाईफ की फेमिली प्लानिंग के बारे में भी बातें कर लिया करता था। उन बातों पर कभी वो शरमाती तो कभी सीधा सा जवाब देती और मजाक़ में कहती थी कि तुम्हारी शादी होने दो.. फिर देखेंगे तुम क्या क्या प्लानिंग करते हो। फिर ऐसे ही वक़्त गुज़रता गया और फिर करीब 8-10 महीने के बाद मैंने छुट्टियों पर एक प्लान बनाया और फिर मामा जी के घर पर पहुँच गया। इस बार मेरे पास बहुत टाईम था वहाँ पर रुकने और उनसे बातें करने का और फिर घर पहुँच कर सभी फेमिली सदस्य से मिला.. नानी, मामा, कज़िन्स, सभी बहुत खुश हुए मुझे अचानक देखकर और में भी लेकिन मुझे ज़्यादा खुशी थी मामी जी से मिलने की और उनके साथ वक़्त बिताने की। मेरे मामा स्कूल टीचर हैं। तो वो सुबह जल्दी जाते और शाम को आते और जब खाली समय मिलता तो कभी खेती बाड़ी में भी टाईम दिया करते थे। फिर मामा मामी की शादीशुदा लाईफ बहुत अच्छी चल रही थी और वो दोनों एक दूसरे के साथ खुश थे और आज भी हैं नानी, मौसी और सभी फेमिली सदस्य वहीं पर एक ही मकान में रहते थे और खेती के काम में लगे रहते थे और गावं में वैसे भी कोई ना कोई काम रहता ही है.. मामी भी घर के काम करती हैं लेकिन ज़्यादा नहीं.. वो सीधे काम करती थी। फिर वो अक्सर अपने रूम में ही समय बिताती हैं और में भी ऐसे ही समय का इंतज़ार करता था कभी किचन में उनके साथ बातें करता जब वो खाना बना रही होती या फिर बाद में उनके रूम के आस पास मंडराता रहता और इसी बीच वो मुझसे बातें करने के लिए रूम में बुला लेती। फिर कभी कभी तो लंच हम साथ में ही करते थे और वो भी एक पड़ी लिखी लड़की हैं और में भी ठीक ठाक हूँ तो अन्य लोगों की तुलना में हमारी बहुत अच्छी बनती थी। फिर हम उनके बेड पर ही बैठकर लंच करते थे और कई बार उन्होंने मुझे अपने हाथों से खाना खिलाया हैं और मुझे बहुत मज़ा आता था। फिर ऐसे ही एक दिन लंच टाईम में मामी नहाने के बाद तैयार हुई.. वही डेली की तरह तैयार होना। उन्होंने हरे रंग की साड़ी पहनी.. बाल खुले हुए जिनसे हल्का हल्का पानी टपक रहा था.. ब्लाउज जो ठीक ठाक ही था लेकिन इनकी हेल्थ बहुत अच्छी होने की वजह से और चार चाँद लगा रहा था.. उनका गोरा और चिकना पेट देखकर मेरे मन में हलचल मच गयी। फिर में भी नहाकर आया और मामी के कमरे में ही ड्रेसिंग टेबल के सामने तैयार हो रहा था। तभी उस समय मामी किचन में थी और में तैयार होते समय अकेला रहना पसंद करता हूँ ये बात मामी जानती है लेकिन उसी समय वो रूम में आ गयी और मुझे अपनी ब्यूटी प्रॉडक्ट्स की कीट में से क्रीम और कोई भी समान जो मुझे चाहिए हो.. ऑफर किया। तभी मैंने कहा कि मामी में तो सांवला हूँ मुझ पर इन ब्यूटी प्रॉडक्ट्स का कोई असर नहीं होता ये तो आप जैसे गोरी और सुंदर लडकियों के लिए बहुत अच्छी है। तभी वो बोली तुम किससे बुरे हो.. गोरा रंग ही सब कुछ नहीं होता बातचीत का भी तो फर्क होता है और तुम्हारी सोच बहुत अच्छी हैं। फिर मैंने उन्हे मुस्कुराते हुए थेंक्स कहा। फिर उन्होंने कहा कि तुम तैयार हो जाओ फिर हम साथ में लंच करेंगे। फिर लंच करते हुए वो मेरे सामने ही बेड पर बैठी थी उनकी साड़ी, लिपस्टिक, ब्लाउज के अंदर बूब्स, और चिकना पेट देखकर मेरी भूख तो वैसे ही खत्म हो जाती थी और मेरा तो दिल कर रहा था की इन्हें ही खा जाऊं। फिर मुझे ठीक से खाना ना खाते देख उन्होंने पूछा कि क्या हुआ? बताओ ना खाना क्यों नहीं खा रहे? तभी मैंने कहा कि मन नहीं है। फिर उन्होंने मुझे बहुत पूछा लेकिन में उन्हे क्या बता सकता था? फिर थोड़ी देर के बाद उन्होंने मुझे अपने हाथ से खिलाना शुरू किया। फिर उनके मुलायम हाथों से खाने में बहुत अच्छा लग रहा था.. कई बार तो मैंने उनकी उंगलियों को भी होंठो के बीच में दबा लिया और वो मुस्कुराती हुई कहती ऑश.. बदमाश खाना खाओ मेरी उंगलियाँ नहीं। में : खाना तो मुझे खाना नहीं.. बस आपकी उंगलियों की वजह से ही में खाने की इच्छा जाता रहा हूँ। मामी : अच्छा जी तो खाने में नहीं.. तुम्हारी इन उंगलियों में रूचि है। में : मुझे तो आपकी हर बात में रूचि है.. आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो। में तो आपको खा सकता हूँ लेकिन खाना नहीं। मामी : ओह हो तो ये बात है इतनी हिम्मत है.. लगता है अब तो जल्दी ही एक अच्छी लड़की ढूंढकर तुम्हारी शादी करवानी ही पड़ेगी। में : में तो कब से कह रहा हूँ लेकिन आप बात ही आगे नहीं बढाती। फिर इस बात पर मामी मुस्कुराई और खाना ख़त्म किया। फिर मुझे पानी पीना था.. तभी मैंने मामी के बालों से टपकते हुए पानी को देखा जो उनके ब्लाउज के ऊपर गिर रहा था। तभी मैंने कहा कि मामी पानी.. फिर वो ग्लास देने लगी। फिर मैंने ब्लाउज की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ग्लास से नहीं वहाँ से पीना है। फिर उन्होंने मुझे मजाक में आकर मेरे गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारा और कहा सुधर जाओ वरना मार पड़ेगी। फिर बाद में हम लोग वहीं बेड पर ही लेट गये और दोपहर का टाईम था तो वहीँ हल्की नींद लेने का प्लान था लेकिन हम अभी बातों में ही व्यस्त थे। फिर बातें करते करते में उनका पेट देख रहा था और पेट पर गहरी नाभि थी क्या कमाल लग रही थी मुझे गहरी नाभि बहुत पसंद हैं। फिर बातों के समय ही में उनके और करीब चला गया और फिर उनके भीगे बालों को छूने लगा। फिर मामी के लाल होंठ मुझे न्योता दे रहे थे और जब वो हँसती तो मन करता कि उनके होंठो को चूम लूँ। फिर इसके बाद मैंने अपना एक हाथ मामी के हाथ पर रखा और हल्के से सहलाया मामी ने मेरी तरफ देखा और फिर मैंने उनकी तरफ.. मेरी साँसें भारी हो रही थी और फिर इतने में हिम्मत करके मैंने उनके पेट पर एक हाथ रखा और उसे सहलाया तो मामी मना करने लगी। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है। फिर उन्होंने कहा कि हम दोस्त हैं लेकिन ऐसा मत करो ये सब ठीक नहीं.. लेकिन में कामुक हो गया और फिर उन्होंने मुझे सीने से लगा लिया.. उनके बदन की खुश्बू और टच ने मेरे पहले से तने हुए लंड को और खड़ा कर दिया और मैंने उन्हें बाहों में भर लिया और फिर बेड पर एक दूसरे से लिपटे हुए ही बेड के एक हस्से से दूसरे हिस्से पर रोल होने लगा। फिर मामी मुझे प्यार से सहला रही थी और मेरा साथ दे रही थी। तभी में उठा और मामी को सीधा करते हुए उनके होंठो पर अपने होंठ रख दिए ओह वाह क्या अहसास था। फिर मैंने उन्हें तब तक चूसा जब तक कि उनकी लिपस्टिक साफ नहीं हो गयी। तभी मामी मुस्कुराते हुई बोली बदमाश किस तो ज़बरदस्त है इससे पहले कितनों को कर चुके हो? तभी में मुस्कुराया और कहा कि आगे- आगे देखिए में क्या- क्या करता हूँ।फिर मैंने उन्हें लेटाया और उनका ब्लाउज अपने हाथों से खोला और ब्रा खोलने से पहले मैंने उनकी चिकनी पीठ को बहुत चाटा। फिर ब्रा खुलने के बाद उनके शरीर के ऊपर का हिस्सा देखकर में सिहर उठा सारे बदन में एक अहसास जाग उठा.. ऐसा लगा जैसे मेरे सामने स्वर्ग का दरवाजा खुल गया हो। फिर उनके निप्पल को बहुत चूसा और चाटा मामी गरम होने की वजह से बड़बड़ा रही थी उह्ह अहह देव तुम कितने अच्छे हो आहह मजा आ गया और करो अहहउ। फिर इसके बाद में पेट की तरफ बढ़ा.. चिकने पेट पर मेरी नियत कब से खराब थी.. उस पर पहले तो जी भरकर हाथ फिराया और फिर उसे चूमा मैंने अपनी जीभ से उसे चाट चाटकर लाल कर दिया और साथ ही साथ मैंने उनका पेटिकोट भी खोल दिया और अब बारी थी गहरी नाभि की.. वाह क्या गजब चीज़ थी। फिर मैंने वहीं पास से पानी लिया और पानी नाभि में भरा और फिर उसे पिया मामी सिसकीयाँ भर रही थी उन्हें जैसे जन्नत के मिल गई हो.. वो कहने लगी है देव तुमने कैसा नशा घोल दिया है मुझे गुदगुदी हो रही है ऑफ उहह। फिर वो मेरे बालों पर उंगलियाँ घुमा रही थी और मुझे अपने पेट पर कसकर जकड़े हुए थी फिर मैंने अपनी शर्ट खोल दी और लोवर अलग फेंक दिया इतने में मामी बोली, ओह देव प्लीज़ अंडरवियर मुझे उतारने दो और मुझे अपनी तरफ खींचकर मेरी अंडरवियर को धीरे धीरे उतारने लगी बहुत ही धीरे धीरे आराम से उतार रही थी। फिर जैसे ही मेरे लंड के दर्शन हुए तो उन्होंने एकदम से अंडरवियर उतार फेंका और लंड हाथ में लेकर उसे किस करने लगी और में सातवें आसमान पर था। फिर मैंने उनकी पानी से भीगी हुई चूत में साईड से हाथ डालते हुए उनकी टाँगों को फैला दिया.. एकदम शेव्ड चूत थी। फिर उनके पेट और चूत का रंग एक जैसा था एकदम गोरा लेकिन मेरा लंड मेरी तरह सांवला है और 6 इंच लम्बा है। फिर में उनकी चूत में ऊँगली डाल रहा था और वो मेरे लंड को किस कर रही थी। फिर हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और फिर आँखों में ही इशारा करते हुए सीधे लेट गये। फिर मामी बहुत गीली हो चुकी थी और फिर मैंने अपनी जीभ से एक बार जैसे ही चूत को छुआ मानो उसे एक करंट का झटका लगा वो पूरी की पूरी हिल गई। फिर मैंने करीब दस मिनट जीभ से चूत की चुदाई की और फिर मैंने अपना लंड चूत के मुहं पर रख कर सेट किया और एक जोर के झटके में आधा लंड चूत में डाल दिया। तभी मामी दर्द से चीख उठी.. शईईई डियर अह्ह्ह मज़ा आ गया। फिर मैंने इसके बाद दूसरे झटके में पूरा का पूरा लंड चूत की गहराइयों में डाल दिया और फिर थोड़ी देर वैसे ही पड़ा रहा.. साथ ही साथ मामी के होठों को चूसता रहा और कभी उनके बूब्स को अपने दोनों हाथों से दबाता। फिर जब मामी ने नीचे से झटके देना शुरू किया तब मैंने स्पीड बड़ाई और फिर ताबड़तोड़ झटको के साथ लंड को अंदर- बाहर करने लगा और मामी भी नीचे से अपनी गांड हिलाकर मेरा साथ दे रही थी और वो कहे जा रही थी। मामी : वाह जानू में तुमसे से बहुत प्यार करती हूँ तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो और अंदर घुसाओ ना अपनी मामी को खा जाओ उईईई उह्ह्ह अहह चोद दो आज अपनी मामी को और जोर से चोदो। फिर बीच बीच में में कभी नाभि को चाटता, कभी बूब्स, कभी होंठ। फिर थोड़ी देर बाद मैंने उनकी कमर को पकड़कर पूरे जोश के साथ धक्के देंने शुरू किये। ऐसा करते करते 10-15 मिनट बाद हम दोनों एक साथ झड़ गये। मैंने उनकी चूत में पूरा वीर्य जोरदार धक्को के साथ डाल दिया और फिर हम थक कर उसी पोज़िशन में बहुत देर पड़े रहे। फिर उसके बाद मामी ने मुझे बहुत किस किया और प्यार किया। फिर कुछ देर बाद मैंने ही मामी को सारे कपड़े पहनाए और ऐसा करते हुए उनका चिकना पेट मैंने बहुत चाटा। मुझे उनका चिकना पेट बहुत अच्छा लगता था। मैं उनकी नाभि में कभी शहद भरकर चाटता हूँ तो कभी दूध और आईसक्रीम। मामी मुझे बहुत प्यार करती है और वो मामा से भी अपना रिश्ता बखूबी निभा रही है। कहीं कोई समस्या नहीं है.. सब जगह प्यार ही प्यार है। तो दोस्तों ये थी मेरी मामी की चुदाई की कहानी ।।

Monday 28 March 2016

ससुर जी ने किया काम तमाम - Sasur Ne Choda

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भैया गये दुबई, भाभी ने मुझसे चुत चुदवाई

भैया गये दुबई, भाभी ने मुझसे चुत चुदवाई 

मस्कार मेरा नाम प्रथम सोनी है, मैं जमशेदपुर का रहने वाला हूँ मैं हैदराबाद में रहकर DBA कर रहा हूँ। यह स्टोरी पिछले महीने मेरे बर्थडे के बाद की है। मैं अपने बर्थडे से कुछ दिन पहले ही हैदराबाद से जमशेदपुर वापस आया था। सब कुछ अच्छा ही चल रहा था। जब मैं वहाँ से आया, तो हमारे बगल वाले फ्लैट में कोई नया परिवार आया हुआ था, उसमें पति (जो दुबई में है), पत्नी और दो बेटियाँ हैं। दोनों बेटियाँ छोटी हैं और भाभी अकेले रहने की वजह से हमेशा गुस्से में रहती थी, किसी से बात भी नहीं करती थी। जब मैं जमशेदपुर से आया तो मैंने उन्हें देखा, दिखने में ठीक-ठाक ही थी, गोरी, स्लिम, छोटे-छोटे स्तन, गोल चूतड़… मेरा तो बाबू (लंड) खड़ा हो जाता था जब कभी उनको देखता था, हमेशा सोचता था कि वो अकेली रहती है.. काश मेरे से पट जाए, तो मज़ा ही आ जाए! ऐसे ही एक दिन वो कहीं मार्किट से आ रही थी अकेली, मैं नीचे ही खड़ा था, जब वो लिफ्ट के पास पहुँची, तो मैंने देखा.. वो बहुत सारा सामान लिए हुए थी जिसे उठाने में उनको तकलीफ हो रही थी। मैंने सोचा कि हेल्प कर दूँ, फिर सोचा कि कहीं वो गलत ना समझे तो मैंने अनदेखा कर दिया पर उन्होंने मुझे खुद ही कहा- प्लीज थोड़ी हेल्प कर दीजिये सामान पहुँचाने में! मैंने हेल्प कर दी, सामान लेकर हम दोनों लिफ्ट में चले गये, तब तक कोई बात नहीं हुई थी हमारे बीच! जब हम लोग उनके घर पहुँचे और जब वो फ्लैट का लॉक खोल रही थी तो मेरा ध्यान सिर्फ उनके चूतड़ों पर था और मेरा लंड खड़ा हो चुका था। मेरी एक आदत है, जब भी मैं घर पर होता हूँ तो सिर्फ शॉर्ट्स ही पहनता हूँ बिना अंडरवियर के… तो मेरा लंड साफ़ खड़ा महसूस हो रहा था। उन्होंने उस वक्त तो ध्यान नहीं दिया और हम लोग अन्दर चले गये। उन्होंने कहा- अन्दर वाले रूम में रख दो! तो मैं सामान अन्दर वाले रूम में रखकर वापस आ रहा था पॉकेट में हाथ डाल कर ताकि उनको मेरा लंड ना दिखे। मैं जब घर जाने लगा तो उन्होंने मुझे कहा– प्लीज रुको, मैं अभी आई! मुझे लगा कि उन्हें कुछ काम होगा तो मैं रुक गया, वहीं ड्राइंगरूम में सोफे पर बैठ गया। 5–7 मिनट के बाद वो आई और हाथ में दो ग्लास थे, वो कोल्ड ड्रिंक लेकर आई थी। फिर उन्होंने पूछा कि तुम क्या कर रहे थे हैदराबाद में? मैं शॉक हो गया कि इनको कैसे पता कि मैं हैदराबाद में था जबकि मैंने कभी इन्हें किसी से बात करते हुए नहीं सुना था और ना ही कभी उनको किसी के घर जाते हुए या किसी को उनके घर आते हुए नहीं देखा था। मैंने कहा- डी बी ए करने गया था। मैंने उनको पूछा- आपको कैसे मालूम कि मैं हैदराबाद में था? तो वो बोली- मैंने तुम्हारी मम्मी को बात करते सुना था कि तुम आ रहे हो हैदराबाद से! फिर उन्होंने डी बी ए की डिटेल्स पूछे कि कितने महीने का कोर्स है एंड आल! फिर पूछा- आगे का प्लान क्या है? मुझे लगा कि कहाँ भाभी मेरा कान चोदे जा रही हैं, मैं तो उन्होंने चोदना चाहता था और वो मेरी कान चोद रही थी।फिर उन्होंने कहा- वहाँ गर्लफ्रेंड बनाई होगी! तो मैंने स्माइल कर दी, मुझे देखकर वो बोली– बोलो ना… कुछ किया भी था या नहीं? मैंने फिर से स्माइल कर दी. मेरी स्माइल देखकर वो जिद करने लगी कि मेरी गर्लफ्रेंड कौन थी, कैसी थी और मैंने क्या क्या किया? मैं सोचने लगा कि ये तो ज्यादा फ्रेंक हो रही हैं, अगर मैं इसे डिटेल में बता दूँ तो हो सकता है ये गरम हो जाएँ और मुझे कुछ मिल जाए। मैं थोड़ा नाटक करने लगा कि भाभी ऐसा कुछ भी नहीं है और शर्माने लगा, वो मुझे बोली– ज्यादा झूठ मत बोलो, मुझे तुम्हारी स्माइल को देखकर ही पता चल गया था। तो मैंने कहा– भाभी, अगर आपको बताया तो आप मुझे एक बुरा लड़का समझोगे और मैं नहीं चाहता कि आपके सामने मेरी इमेज ख़राब हो। उन्होंने कहा- ऐसा नहीं होगा, तुम बस बताओ! मैंने उनसे वादा लिया और बताया कि वहाँ एक मैरिड लेडी को उसके हस्बैंड के सामने चोदा था। वो शॉक हो गई और मुझे ऊपर से नीचे तक देखने लगी। फिर वो बोली- तुम शक्ल से शरीफ लगते हो और तुम इतने बड़े…!! यह बोलकर वो चुप हो गई तो मुझे लगा कि अब थोड़ा इमोशनल अत्याचार का यूज़ करूँ… तो मैंने कहा- मैंने पहले ही कहा था कि आप मुझे बहुत बुरा लड़का समझोगी! यह बोलकर मैं बाहर चला गया। उन्होंने एक–दो आवाज़ दी पर मैंने उन्हें अनसुना कर दिया और उनके घर से निकल गया। फिर दो दिन बाद उनसे फिर से लिफ्ट में मिला, मैं ट्यूशन से आ रहा था और वो कुछ काम से नीचे आई थी, हम लोग साथ में लिफ्ट में गये, उन्होंने मुझे सॉरी कहा और फिर मुझसे अपने घर चलने को कहा। मैंने कहा- आप चलो, मैं घर पर अपना बैग रखकर आता हूँ। जब मैं उनके घर पर गया तो उन्होंने मुझे बैठाया और मुझे पूरी डिटेल्स बताने के लिए मनाने लगी कि किस तरह से मैंने उस लेडी को चोदा था। मैंने भी सारी डिटेल्स उनको बता दी कि किस तरह से मैंने उनकी चूत चाटी और अपने लंड को चुसवाया और फिर उनको चोदा। वो गरम होने लगी थी और मेरा लंड भी खड़ा होने लगा था। उन्होंने मुझे कहा- तुम्हारा शेर तो अभी भी उसके बारे में याद करके खड़ा हो गया, अब तुम क्या करोगे? मैंने कहा– कुछ नहीं, जब हाथ सलामत तो अरमान यूँ ही निकल जायेंगे। तो वो हंसते हुए कहने लगी- और अगर कोई मिल जाए तुम्हें, तो तुम क्या करोगे? मैंने झट से कहा- आफत कर दूंगा, उस लेडी को खुश कर दूंगा। अब वो चुपचाप उठी, मेरे पास आई और बिना कुछ बोले मेरी गोद में बैठकर मुझे चूमने लगी। मैंने तुरंत उन्हें हटाया और पूछा- आपकी बेटियाँ हैं, वो कहाँ हैं? वो बोली– उनको मैं उनकी नानी के घर छोड़ आई हूँ उनकी वेकेशन के लिए! तो मैं खुश होकर उन्हें जोर जोर से किस करने लगा और फिर आहिस्ते – आहिस्ते चूमते हुए उनके बूब्स दबाने लगा। मैंने उनका कुरता उतार दिया और ब्रा भी… मैं उनके नंगे बूब्स को चूसने लगा।वो मुझसे बोली- अन्दर रूम में चलते हैं। हम लोग रूम में आ गये और वहाँ जाते ही वो मेरे पर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी। ऐसा लगा रहा था कि मैं उन्हें नहीं, वो मुझे चोद देंगी, मेरे लबों पर, कान पर, गले पर और छाती पर लव बाईट्स भर दिए उन्होंने… फिर मुझे पूरा नंगा कर दिया और अपनी भी सलवार और पेंटी उतारकर पूरी नंगी हो गई और सीधे ही लंड को अपने अन्दर डालने लगी। मैंने उन्हें रोका और कहा– रुको भाभी, इतनी भी क्या जल्दी है? और उन्हें बेड पर पटक कर उनके ऊपर आया और अपनी एक उंगली उनकी चूत में डाल कर चूची चूसने लगा। वो मस्ती में सीत्कारें भर रही थी- उम्म्म्हह्ह हम्म मम्म अम्म मम्मह… प्लीज जोर से सक करो.. और तेजी से .. ओह्ह्ह हऊऊईईइमा.. जोर तेज उंगली करो.. मुझे तुम ऐसे ही चोदो, जैसे तुमने उस औरत को चोदा था. मैं बहुत दिनों से नहीं चुदी हूँ, पागल हुई जा रही हूँ… अहहहः आआ प्लीज प्लीज ह्म्म्म मम्म ऊऊऊईईइमा हम्मम्मम्म! मैंने फिर उन्हें अपने ऊपर लेकर अपना लंड चूसने को कहा, तो पहले वो थोड़ा नाटक करने लगी लेकिन बाद में मान गई, वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उनकी चूत चाटने लगा, मैंने अपनी जीभ उनकी चूत में डाल दी और उन्हें जीभ से चोदने लगा। थोड़ी ही देर में वो अकड़ने लगी तो मुझे लगा कि अब वो झड़ने वाली हैं, तो मैंने अपना मुँह हटा लिया और मेरा भी झड़ गया था उनके मुख में, वो थूकने चली गई, बाथरूम में वो थोड़ा कुल्ला वगैरह करने लगी और फिर ब्रश करके वो आई। वो जब तक ब्रश कर रही थी, मैंने उन्हें पीछे से पकड़ कर उनके बूब्स से खेल रहा था और अपना सोया हुआ लंड उनके चूतड़ों पर रगड़ने लगा था। मेरा लंड फिर से तैयार हो गया था, मैंने उन्हें कहा – अब मैं तुम्हें चोदूँगा, तुम तैयार हो ना? वो कहने लगी– आई ऍम रेडी, तुम मुझे जितना चोदना चाहते हो.. चोदो! हम लोग फिर बेड पर आये और मैंने मिशनरी पोजीशन में उन्हें चोदना चालू किया, मैंने जब उनकी चूत में लंड डाला तो उनकी चूत थोड़ी टाइट थी, बहुत दिनों से ना चुदने की वजह से! मैंने उनसे अपना लंड फिर से चुसवाया और फिर से अपना गीला लंड उनकी चूत में डाला। उन्होंने कहा– प्लीज आराम से करो… तुम्हारा लंड मेरे हब्बी से थोड़ा मोटा है, प्लीज! तो मैंने कहा– भाभी, आराम से ही करूँगा। तुम टेंशन मत लो, बस मेरा साथ दो. फिर देखो.. तुम्हे कैसा मज़ा आता है! वो बोली– ठीक है। फिर मैं लंड को चूत पर रगड़ने लगा और वो सिसकारियाँ भरने लगी। मैंने मौका देखते ही हल्का सा झटका लगाया और लंड आधा अन्दर चला गया, वो थोड़ा सा चीखी और फिर खुद से ही अपना हाथ अपने मुँह पर रख लिया और मुझे इशारा किया कि ‘तुम चोदो।’ मैं भी इशारा पाते ही लग गया फुल स्पीड से चोदने में… मैं उन्हें चोदे जा रहा था अन्दर-बाहर! थोड़ी देर बाद वो मज़े लेने लगी, कुछ कह नहीं रही थी। मैंने उनको पूछा– कैसा लग रहा है? वो बोली– बहुत अच्छा लग रहा है, प्लीज करते रहो, रुकना मत, प्लीज मुझे चोदते रहो! 5 मिनट मिशनरी पोजीशन में चोदने के बाद मैंने पोजीशन चेंज की और उन्हें खड़े होकर अपनी गोद में ले लिया, मैंने अपना लंड नीचे से उनकी चूत में डाल दिया और चोदने लगा। दस मिनट हुए होंगे चुदाई करते हुए, मेरा तो निकलने वाला था, मैंने उनसे पूछा- कहाँ निकालूँ? उन्होंने कहा- मेरी बॉडी पर कहीं भी गिरा दो, पर अन्दर मत गिराना! मैंने उन्हें अपनी गोद से उतारा और लंड हिलाने लगा, जैसे ही गिरने वाला था तो मैंने उनका चेहरा पकड़कर, उनके फेस पर स्प्रे सा छोड़ दिया, पूरा स्पर्म उनके फेस पर लग गया। क्या सेक्सी रंडी लग रही थी वो उस वक्त… उनका फेस पूरा स्पर्म के साथ!फिर वो बाथरूम गई और फ्रेश होकर आई, तब तक मैं भी कपड़े पहनकर तैयार हो गया था, उनसे पूछा- नेक्स्ट कब? उन्होंने कहा- जब भी तुम्हारा मन करे! फिर मैं अपने घर आ गया और चुदाई के बाद इतनी अच्छी नींद आई और मैं मस्त सोया और अब जब भी मुझे मन होता है तब मैं उन्हें चोद आता हूँ। फिर मैंने उनकी छोटी बहन तथा कई प्यासी सहेलियों को चोदा जिससे मुझे काफी अनुभव मिला। अब तो मैं चुदासी से चुदासी औरत को सन्तुष्ट कर देता हूँ।
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मौसी के बेटी - Mausi ki beti ko jordar chudai

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गाँव मैं चुदाई - Gaon me Chudai

गाँव मैं चुदाई  - Gaon me Chudai

तो दोस्तों मैं सुनाता हूं आपको अपनी सच्ची कहानी। बात उन दिनों की है जब मैं १२ क्लास पास करके छुट्टियों में गांव गया था जहां मेरे चाची चाचा रहते है तो मैं पहुंच गया चाची के घर। ४ -५ दिन तक तो मैं ठीक ठाक ही रहा। एक दिन मैं शाम को सड़क पर घूम रहा था तभी मुझे एक औरत दिखी। वो बहुत खूबसूरत थी। वो हमारे घर की तरफ़ ही जा रही थी। तभी मैं उसका पीछा करने लगा। और उसके घर पहुंचा तो चाची उनके घर पे बैठी थी। उन्होंने मुझे देखा और मुझे बुला लिया और मेरा परिचय उन लोगों से कराने लगी तो मुझे पता चला कि वो हमारी दूर की भाभी लगती है। उसी दिन से मेरा उनके घर आना जाना शुरू हो गया। बस यों समझिए कि सारा दिन उनके यहां ही गुजरता था्। रोज की मैं तरह उनके यहाँ गया देखा कि भाभी बाथरूम से नहा के केवल एक टॉवेल में बाहर निकली क्योंकि उनके घर में उस वक्त कोई भी नही था इस लिए तभी उनकी नज़र मुझ पे पड़ी और वो वापस बाथरूम में चली गई और बोली कि सुमित तुम कब आए तो मैंने कहा कि बस अभी -२ वो फ़िर पूरे कपड़ो के साथ बाथरूम से बाहर निकली तभी मुझे ऐसी नजरो से देखा कि कुछ भी नहीं हुआ हो मैंने भी ऐसा ही नाटक किया तभी भाभी कुछ देर में चाय ले कर आ गई और टेबल पर चाय रख कर बोली कि तुम कहीं पर घूमने नहीं गए पूरी छुट्टियाँ यही घर में बिता दी l तभी मैं बोला चलो न हम सब लोग कहीं घूमने चलते है मैं जानता था कि उनके घर में कोई भी नहीं था तभी वो बोली कि यहाँ तो कोई भी नहीं है तभी वो बोली कल चलेंगे मैं उनके साथ घूमने चाहता था और इसी लिए मेरा चेहरा उदास हो गया और भाभी को भी शायद ये अहसास हो गया था की मैं ना खुश हूं तभी वो बोली चलो हम दोनो ही घूमने चलते हैतभी हम लोग सबसे पहले सिनेमा देखने गए और वहां पे मूवी लगी थी ऐतराज़ हमने मूवी का पूरा एन्जॉय किया जब भी उस फ़िल्म में सेक्सी सीन आता था तो मैं और भाभी एक दूसरे को देखने लगते थे मुझे ये महसूस हुआ कि भाभी और मेरे मन में कुछ न कुछ तो था तभी हम लोग सिनेमा हॉल से बाहर निकले और तभी बारिश शुरू हो गयी हम लोग वहीं पर अटक गए बारिश रुकने का नाम भी नहीं ले रही थी और हमे शाम हो गई अभी भी बारिश रूकी नहीं थी तभी भैया का फ़ोन आया और भाभी ने बहाना बनाया कि वो अपनी सहेलियों के साथ है और अगर बारिश नहीं रुकी तो वो कल सुबह घर आयेंगी मैं समझ गया कि भाभी के मन में क्या है और भाभी ने मेरी तरफ़ देखा और हंसने लगी। हम दोनो ने एक कमरा किराये पर ले लिया और हमने उस कमरे में ही रात गुजारने की सोची। भाभी बोली कि तुम्हें मेरे साथ एक कमरे में सोने में कोई ऐतराज़ तो नहीं तभी मैं बोला कि नहीं भाभी. वो बोली तो ठीक है जो खाना है ओर्डर कर दो रात बहुत हो गयी है हमें सोना है और जल्दी से घर पहुंचना है हम दोनो ने खाना खाया और भाभी सो गयी या सोने का नाटक कर रही थी। उन्होंने सोते समय अपनी साड़ी घुटनों से ऊपर कर रखी थी और टांगें खोल रखी थी। तभी मुझे यह देख कर मेरा लन्ड खड़ा हो गया और भाभी अभी भी ऐसी लगती थी कि उनकी अभी भी शादी नहीं हुई ह। उनका फ़ीगर ३६ २६ ३८ होगा और बहुत सेक्सी थी। तभी मैं उनको देख कर मुठ मारने लगा कि तभी भाभी ने उठ कर मुझ से कहा कि अकेले अकेले ही मज़ा ले रहे हो मैं जो ये किराये का कमरा लेकर तुम्हारे साथ रुकी हुई हूं, इसका क्या होगा? मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूं मैने ऐसा भाभी से कहा। तभी भाभी ने कहा कि जब से मेरी शादी हुई है मेरी आग अभी तक एक बार ही बुझी है और वो भी मेरे भाई ने बुझाई है ये जो मेरा बच्चा है वो मेरे भाई का है मेरे पति का तो लन्ड खड़ा भी नहीं होता और खड़ा भी होता है तो झड़ता ही नहीं वो तो मेरे पति नाम के ही हैतभी भाभी मुझसे चिपक कर रोने लगी और कहने लगी मैं अपनी आग को शान्त करना चाहती हूं और कहने लगी जब तुम मेरे घर आ रहे थे तब मैंने तुम्हें आते हुए देख लिया था और मैंने नहाने का बहाना किया था जबकी मैं कब की नहा चुकी थी और ये सब प्लान बनाये और इत्तेफ़ाक से आज बारिश भी हो गयी। फ़िर कहने लगी की अब बाकी बातें बाद में पहले अपने काम को अंजाम देते हैं। भाभी ने मुझे बेड पर पटक दिया और मेरे ऊपर आ कर मुझे पूरा नंगा कर दिया और खुद भी पूरी नंगी हो गयी और मेरे ऊपर चढ कर मेरा लन्ड सहलाने लगी। वो मेरे ऊपर ६९ की पोजीशन में लेट गयी, मेरा लन्ड अपने मुंह में ले लिया और कहने लगी- बुझा दो मेरी आग, एक साल से लगी आग आज बुझा दो मैं भी जोश में आ गया और उन्हें चूमने लगा। आधे घन्टे तक हम चूमा चाटी करते रहे और फ़िर मैं झड़ गया। भाभी बोली- जब तक मैं तुम्हे दोबारा तैयार करती हूं तब तक तुम मेरी चूत का पानी अपने मुंह से निकालो। मैंने अपने मुंह से चोद चोस के भाभी का पानी निकाल दिया। तब तक मेरा लन्ड तैयार हो चुका था।अब भाभी ने मुझ से कहा कि अब सहा नहीं जाता, प्लीज मुझे चोदो। मैंने भाभी को पीठ के बल लिटाया और दोनो टांगें फ़ैला कर अपना लन्ड उनकी चूत पे रगड़ने लगा तभी भाभी ने कहा कि अब बर्दाशत नहीं होता, अब चोद दो, मैने एक जोर का झटका लगाया और पूरा लन्ड भाभी की चूत में डाल दिया। भाभी को बड़े लन्ड की आदत नहीं थी। लन्ड उनकी चूत को फ़ाड़ता हुआ अन्दर चला गया भाभी के मुंह से चीख निकल गयी और वो रोने लगी। मैंने पूछा तो भाभी कहने लगी- कुछ नहीं, तुम चोदते रहो। मैंने भाभी को आधे घन्टे तक चोदा और हम दोनो एक साथ झड़ गये। उस दिन मैंने भाभी की गान्ड भी मारी और पूरी छुट्टियों में कई बार जब भी मौका मिलता, चोदा। और अब जब भी छुट्टी होती है तब मैं भाभी के पास जरूर जाता हूं भाभी भी मेरा इन्तजार करती है और बेसबरी से इन्तजार करती हैं.तभी भाभी मुझसे चिपक कर रोने लगी और कहने लगी मैं अपनी आग को शान्त करना चाहती हूं और कहने लगी जब तुम मेरे घर आ रहे थे तब मैंने तुम्हें आते हुए देख लिया था और मैंने नहाने का बहाना किया था जबकी मैं कब की नहा चुकी थी और ये सब प्लान बनाये और इत्तेफ़ाक से आज बारिश भी हो गयी। फ़िर कहने लगी की अब बाकी बातें बाद में पहले अपने काम को अंजाम देते हैं। भाभी ने मुझे बेड पर पटक दिया और मेरे ऊपर आ कर मुझे पूरा नंगा कर दिया और खुद भी पूरी नंगी हो गयी और मेरे ऊपर चढ कर मेरा लन्ड सहलाने लगी। वो मेरे ऊपर ६९ की पोजीशन में लेट गयी, मेरा लन्ड अपने मुंह में ले लिया और कहने लगी- बुझा दो मेरी आग, एक साल से लगी आग आज बुझा दो मैं भी जोश में आ गया और उन्हें चूमने लगा। आधे घन्टे तक हम चूमा चाटी करते रहे और फ़िर मैं झड़ गया। भाभी बोली- जब तक मैं तुम्हे दोबारा तैयार करती हूं तब तक तुम मेरी चूत का पानी अपने मुंह से निकालो। मैंने अपने मुंह से चोद चोस के भाभी का पानी निकाल दिया। तब तक मेरा लन्ड तैयार हो चुका था। अब भाभी ने मुझ से कहा कि अब सहा नहीं जाता, प्लीज मुझे चोदो। मैंने भाभी को पीठ के बल लिटाया और दोनो टांगें फ़ैला कर अपना लन्ड उनकी चूत पे रगड़ने लगा तभी भाभी ने कहा कि अब बर्दाशत नहीं होता, अब चोद दो, मैने एक जोर का झटका लगाया और पूरा लन्ड भाभी की चूत में डाल दिया। भाभी को बड़े लन्ड की आदत नहीं थी। लन्ड उनकी चूत को फ़ाड़ता हुआ अन्दर चला गया भाभी के मुंह से चीख निकल गयी और वो रोने लगी। मैंने पूछा तो भाभी कहने लगी- कुछ नहीं, तुम चोदते रहो। मैंने भाभी को आधे घन्टे तक चोदा और हम दोनो एक साथ झड़ गये। उस दिन मैंने भाभी की गान्ड भी मारी और पूरी छुट्टियों में कई बार जब भी मौका मिलता, चोदा। और अब जब भी छुट्टी होती है तब मैं भाभी के पास जरूर जाता हूं भाभी भी मेरा इन्तजार करती है और बेसबरी से इन्तजार करती हैं.

भाई की साली को जन्नत दिखाई - Bhai ki Sali ki Chudai

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सीमा को चोदा - Seema ko Choda

सीमा को चोदा - Seema ko Choda

हैल्लो दोस्तों.. मेंरा नाम रेनेश ठाकुर है और यह तब की घटना है.. जब में भिंड में रहने के लिए चला गया था और वहाँ पर रहकर एक कॉलेज से बी.कॉम कर रहा था और अपने दोस्तों के पास कभी कभी मेरा ग्वालियर आना होता था और में अक्सर अपनी मुहं बोली दीदी के घर पर ही रुकता था। उनकी दो बहन और थी.. एक का नाम रेणु और दूसरी का नाम सीमा था। सीमा रेणु से छोटी थी लेकिन वो बहुत कामुक जिस्म की मालकिन थी और उनके पूरे मोहल्ले के लड़के तो तब से ही उसके पीछे थे.. जब से में ग्वालियार में रहता था। दोस्तों एक बार की बात है.. मेरी दीदी ने मज़ाक में मेरी मम्मी से सीमा के साथ मेरी शादी की बात चलाई थी तो मुझे भी ऐसा लगने लगा था कि वो मेरी बीवी है और इसलिए में जब भी ग्वालियर में रहता तो अक्सर अपने दोस्तों से उसके बारे में कुछ भी गलत शब्द सुनकर उनसे झगड़ा कर लेता था और अब दोस्तों सीधे कहानी पर आते है। एक बार में ग्वालियर गया हुआ था और मेरा रुकना दीदी के यहाँ पर ही हुआ तो रात को जब हम खाना खाकर बैठे हुए थे। तभी कुछ देर के बाद दीदी और जीजा जी दूसरे रूम में सोने चले गये लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैंने सोचा कि क्यों ना फिल्म ही देख ली जाए। मेरे रूम में मेरे साथ सीमा और दीदी के दोनों लड़के लेटे थे और हमने धीरे से टीवी सेट चालू किया तो मैंने देखा कि टीवी पर अच्छी रोमेंटिक फिल्म आ रही थी और हम सब लोग एक साथ लेटकर फिल्म का मज़ा लेने लगे और करीब आधी फिल्म खत्म होते होते वो दोनों बच्चे सो गये तो मैंने धीरे से सीमा की तरफ देखा और मुझे एहसास हुआ कि वो भी सो गयी है लेकिन इतनी रोमेंटिक फिल्म को देखकर मुझे नींद कहाँ आने वाली थी। फिर मेरा हथियार तो खड़ा होकर टेंट बना रहा था तो में सीमा की तरफ जाकर लेट गया और धीरे से सीमा के पेट पर अपने हाथ को रख दिया। पहले तो सीमा हड़बड़ा गई लेकिन जब उसने मुझे महसूस किया तो वो बोली कि इधर कब आए तो मैंने कहा कि बस अभी ही आया हूँ तो उसने फिर से पूछा कि और इधर क्यों आए तो मैंने धीरे से कहा कि थोड़ा ध्यान से सुन जीजी के रोने की आवाज़ आ रही है.. पता नहीं शायद जीजाजी उनको मार रहे है। तभी वो धीरे से उठी और पास वाले रूम की खिड़की में झाँककर देखा और जल्दी से अपने मुहं पर हाथ लगाकर मेरे पास आई और बोली कि हाय राम कितना गंदा काम हो रहा है तो में झटके से उठकर बैठ गया और कहा कि क्या में भी देखूं अंदर क्या हो रहा है तो वो मुझसे मना करने लगी लेकिन मैंने फिर भी उठकर खिड़की से देखा तो जीजाजी दीदी के ऊपर चड़े हुए थे और ज़ोर ज़ोर से दीदी की चूत पर अपने लंड को ठोक रहे थे। फिर मैंने बहुत धीमी आवाज़ से सीमा से कहा कि तू भाग क्यों गयी.. इधर आना तो लेकिन उसने आने से मना कर दिया और कुछ देर बाद वो आवाज़ आनी बंद हो गयी और मैंने कमरे में देखा तो दीदी जीजाजी की छाती पर सर रखकर लेट रही थी तो मैंने सीमा के पास आकर उसका हाथ पकड़ लिया और बोला कि क्या तुम भी ऐसे मज़े लेना चाहती हो तो उसने मुझे जकड़ लिया और फिर मैंने भी उसकी गर्दन को ज़ोर से पकड़ लिया और उसके गुलाबी रंगीन होंठो पर अपने होंठ रख दिए और अपनी जीभ से उसका मुहं चोदने लगा.. थोड़ी देर बाद मुझे एहसास हुआ कि वो भी मेरे मुहं में अपनी जीभ को देकर मुझसे चुसवाना चाहती है तो मैंने भी उसका आमंत्रण स्वीकार कर लिया और उसके मुहं का स्वाद लेने लगा। मेरा तो अब बुरा हाल हुए जा रहा था लेकिन धीरे-धीरे उसकी पकड़ भी ढीली हो चुकी थी तो मैंने इसी बीच धीरे से उसकी स्कर्ट का हुक खोल दिया और उसकी स्कर्ट को सरकाकर नीचे कर दिया। फिर मैंने अपने एक पैर को उठाकर धीरे से उसकी पेंटी को भी नीचे खिसका दिया और अपने पैर का अंगूठा उसकी चूत पर रगड़ने लगा और कुछ देर बाद मैंने अपना एक हाथ उसकी चूत पर रखा तो मुझे कुछ गीला सा महसूस हुआ और इस दौरान उसने भी मेरे पजामे को धीरे से नीचे सरकाकर मुझे नंगा कर दिया था।फिर मैंने धीरे से उसके कान में कहा कि टीवी और लाईट को बंद कर दो तो हुकुम की गुलाम की तरह उसने टीवी और लाईट को बंद कर दिया। फिर में और सीमा 69 पोज़िशन में आकर एक दूसरे के मुहं की चुदाई करने लगे। फिर मैंने अपना मुहं उसकी चूत पर रखा और उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा लेकिन कुछ ही देर बाद मुझे अहसास हुआ कि वो हल्के-हल्के झटके ले रही है तो मुझे समझने में ज्यादा वक्त नहीं लगा कि वो गरम हो चुकी है और में जीभ से उसको ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा और कुछ ही पलों में वो खामोश होने लगी और उसने मेरे मुहं में ढेर सारा पानी उडेल दिया और में तो उसका पानी पीकर निढाल हो गया था लेकिन अब मेरी बारी थी तो मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रखा और जोश में आकर एक जोरदार धक्का देकर पूरे लंड को चूत की गहराइयों में पहुंचा दिया तो उसके मुहं से बहुत ज़ोर की चीख निकली और मैंने उसके मुहं पर हाथ रखकर उस आवाज़ को दबा दिया।फिर में धीरे-धीरे धक्के देकर चोदने लगा और जब मुझे महसूस हुआ कि उसका दर्द कम हो गया है तो मैंने अपने धक्के तेज कर दिए लेकिन में बहुत ही जल्दी झड़ गया.. क्योंकि में पहले से ही बहुत गरम था और जैसे ही में झड़ने वाला था तो उसने मेरे लंड को बाहर निकालकर अपने पेट पर सारा वीर्य गिरा दिया लेकिन मुझे अफ़सोस था कि में उसकी अच्छे से चुदाई नहीं कर सका और हम दोनों एक दूसरे से ज़ोर से चिपक गये। में फिर से उसके बूब्स को दबाकर, सहलाकर उसको गरम करने लगा तो वो मना करने लगी लेकिन में कहाँ मानने वाला था? मैंने अब उसके बूब्स को चूसना शुरू किया और दस मिनट के बाद उसके मुहं से सिसकियाँ निकलने लगी तो मैंने अपने हाथ से उसका मुहं बंद कर दिया और दूसरे हाथ से उसकी चूत में फिर से उंगली करने लगा और कुछ ही देर में वो फिर से पूरी तरह गरम हो गयी और इतनी ही देर में मेरा लंड भी फिर से खड़ा हो चुका था लेकिन इस बार मैंने ज्यादा देर नहीं की और तुरंत ही नीचे आकर उसके दोनों पैरों को फैलाकर उसकी चूत पर अपने लंड को रखकर एक धक्का लगाया तो में तो डर ही गया। वो बहुत ज़ोर से चीख पड़ी तो मैंने ज़ोर से उसके मुहं पर अपने होंठ रख दिए और दोबारा से उसकी चूत पर अपना लंड टिकाकर धीरे-धीरे अंदर करने की कोशिश करने लगा और मुझे पता चल चुका था कि वो अब तक पूरी तरह से कुँवारी है.. कुछ देर पहले ही एक बार लंड लेने के बाद भी उसकी चूत बहुत टाईट थी और वो मेरे लंड को बहुत मुश्किल से झेल रही थी। मैंने एक ज़ोर का झटका मारा और लंड अंदर चला गया लेकिन इस बार में तैयार था। मैंने उसके होंठो को अपने होंठो से दबा रखा था। इस कारण वो चीख नहीं सकी लेकिन उसकी आखों से निकलते आंसू इस बात की गवाही दे रहे थे कि उसको कितना दर्द हुआ होगा। फिर में कुछ देर तक रुका रहा और जब वो ठीक हो गयी तो मैंने धीरे-धीरे से अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू किया और अब मुझे महसूस हुआ कि वो भी मुझे धीर-धीरे से नीचे से अपनी चुदाई की सहमति प्रदान कर रही थी। मैंने फिर से एक तेज झटका मारा तो मेरा 6 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड उसकी चूत को फाड़कर उसकी बच्चेदानी से चिपक गया और उसकी गले से अहह आह्ह की ज़ोर से आवाज़े आने लगी। मुझे भी कुछ गीला गीला लगा लेकिन मुझे पता था कि क्या हुआ होगा तो में उसका मुहं दबाकर उसके ऊपर ही थोड़ी देर के लिए लेट गया और धीरे-धीरे अपने लंड को आगे पीछे करने लगा और जब 5 मिनट बाद सब कुछ शांत हुआ तो मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ानी शुरू कर दी और फिर वो समझ चुकी थी कि मुझे इस बार झड़ने में थोड़ा समय लगेगा और नीचे से मुझे सीमा का साथ भी मिलने लगा। फिर उसका साथ मिलते ही मैंने अपने इंजन की रफ़्तार बड़ानी शुरू की और मेरा इंजन राजधानी एक्सप्रेस बन गया। करीब 10 मिनट के बाद मुझे सीमा के शरीर में अकड़न महसूस हुई और में समझ गया कि वो अब झड़ने वाली है। फिर उसने ज़ोर से मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और मुझसे इस तरह चिपक गयी.. जैसे हम दो नहीं सिर्फ एक जिस्म हो लेकिन में अभी भी नहीं झड़ा था तो मैंने अपनी राजधानी को पैसेंजर ट्रेन नहीं बनने दिया लेकिन कुछ देर के बाद मुझे ऐसा लगा कि अब मेरे इंजन को सीमा कंट्रोल करना चाहती है तो में सीमा के नीचे आ गया और सीमा मेरे लंड पर अपनी चूत रखकर मेरे लंड की सवारी करने लगी और कुछ समय बाद वो फिर से झड़ गयी। फिर मैंने तुरंत ही उसको फिर से नीचे किया और इस बार उसको डोगी स्टाईल में बैठाया और अपने लंड को उसकी चूत में ज़ोर-ज़ोर से डालने लगा।फिर में अपने दोनों हाथों से उसके बूब्स को पकड़कर ज़ोर से दबा रहा था और वो अपने दातों से अपने होंठो को दबाए हुए थी। मैंने अपने धक्को की स्पीड बड़ा दी और अब में अपनी चरम सीमा पर पहुंचने वाला था और मेरी स्पीड को बड़ा हुआ देख वो भी अब समझ गयी थी तो वो भी फिर अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी और 15-20 झटको बाद मेरा सारा वीर्य उसकी चूत में चला गया। फिर जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो खून की तेज धार बह निकली तो रोते हुए उसने मुझसे पूछा कि यह तुमने क्या किया तो मैंने हंसकर जवाब दिया कि पगली यह तो तेरी चुदाई का इनाम था.. जिसकी तू हकदार थी और इतना कहकर में सो गया लेकिन शायद वो नहीं सोई थी.. क्योंकि सुबह जब मैंने उसकी आखें देखी तो वो सूजी हुई थी। फिर मैंने अकेले में उससे बात करने की कोशिश की तो उसने मुझे किसी तरह का मौका नहीं दिया। में फिर दोस्तों के घर चला गया और शाम को वापस भिंड लौट आया ।। धन्यवाद …

भाभी ने चोदना सिखाया - Bhabhi ne Chodana Sikhaya

भाभी ने चोदना सिखाया - Bhabhi ne Chodana Sikhaya

हैल्लो दोस्तों.. मेरा नाम पंकज है और में पंजाब का रहने वाला हूँ औरमेरी उम्र 22 साल है और में इस साईट पर बहुत समय से सेक्सी कहानियाँ पढ़ता आ रहा हूँ और मुझे यह कहानियाँ पढ़ना बहुत अच्छा लगता है और आज मे अपनी भी एक सच्ची कहानी लेकर आप सभी के सामने आया हूँ। दोस्तों मेरे भैया दुबई में रहते थे और वहीं पर ही एक प्राईवेट कम्पनी में नौकरी करते थे और वो शादीशुदा भी है और उनको बहुत कम छुट्टियाँ मिलने की वजह से वो एक दो साल में कभी कभी घर पर आते थे। मेरी भाभी जिसका नाम आरती है.. वो हमारे घर से थोड़ी दूरी पर ही रहती है और यह बात तब की है.. जब में 19 साल का था। मेरी भाभी बहुत सुंदर थी.. उनका रंग गोरा और फिगर 36-32-30 था लेकिन वो सेक्स की बहुत भूखी थी.. क्योंकि उनका पति तो उनसे बहुत दूर रहता था। दोस्तों मेरे घरवाले मुझे रोज रात को सोने के लिए उनके घर पर भेज देते थे और में भी वहाँ पर बहुत ज्यादा खुश रहता था.. क्योंकि वहाँ पर हमारे अलावा कोई नहीं होता था और मुझे मेरी पढ़ाई करने में कोई भी रुकावट नहीं होती थी तो में अपनी किताबे लेकर वहाँ पर शाम को चला जाता और हम रात को अलग अलग कमरों में सोते थे और फिर ऐसे कई महीने गुज़र गए। फिर एक दिन मैंने भाभी से कहा कि मुझे भी एक मोबाईल लेना है तो उन्होंने दूसरे ही दिन मुझे बाजार से एक नया मोबाईल लाकर दिया और में उसे लेकर बहुत खुश था और मैंने उसमे बहुत सारी ब्लूफिल्म डाल रखी थी और में हर रात को ब्लूफिल्म देखकर मुठ मारा करता था। फिर अगली रात को भाभी ने मुझसे कहा कि तुम रात को मेरे साथ सोया करो.. मेरा भी दिल लगा रहेगा। फिर हम साथ सोने चले गए और में हर रात को पहले पढ़ाई करता और फिर एक बेड पर बातें करते करते सो जाता और ऐसे ही कुछ समय बीत गया तो रात को गहरी नींद में मैंने अपना एक हाथ भाभी के बूब्स पर रख दिया और जब मुझे नींद में उनके बड़े बड़े बूब्स का अहसास हुआ तो मैंने अपना हाथ झट से हटा लिया लेकिन भाभी को सब कुछ पता होते हुए भी उन्होंने मुझे कुछ भी नहीं कहा और फिर में सब कुछ भूलकर सोने की कोशिश करने लगा। फिर कुछ देर बाद मुझे नींद आने लगी ही थी कि भाभी ने मेरे लंड को निक्कर के ऊपर से अपना एक हाथ रखकर सहलाना शुरू किया और में उस समय सोने का नाटक कर रहा था। फिर ऐसा उन्होंने बहुत देर तक किया और जब उन्हे लगा कि में सो चुका हूँ तो उनकी हिम्मत ओर बड़ गई और उन्होंने मुझे सोया हुआ समझकर मेरे लंड को आराम से निक्कर से बाहर निकाला और चूसने लगी। फिर जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि आरती भाभी मेरा लंड बड़े अच्छे से चूस रही है। पहले तो मुझे बहुत अच्छा लगा.. क्योंकि किसी ने आज तक मेरा लंड कभी नहीं चूसा था और किसी से पहली बार लंड को चूसवाने में बड़ा आनंद आ रहा था। मैंने कई बार ब्लूफिल्म में ऐसा करते हुए तो देखा था लेकिन ऐसा कभी मेरे साथ भी होगा.. मैंने सोचा नहीं था और में बहुत खुश तो था लेकिन में डर गया और फिर आंख बंद करके सो गया तो दो तीन दिन तक ऐसा ही चलता रहा.. वो हर रात मेरे सोने का इंतजार करती और मेरे सोने के बाद लंड को चूसने लगती। दोस्तों तब मुझे सेक्स के बारे में इतना कुछ पता नहीं था.. मैंने मोबाईल पर ही सिर्फ़ ब्लूफिल्म देखी थी। फिर मैंने उनके हर रात मुझे ऐसे ही परेशान करने की वजह से उनके घर पर जाना बंद कर दिया और करना ही था.. क्योंकि एक तो मुझे डर था और दूसरा वो मेरी भाभी है और तीसरा मुझे अपनी इज्जत भी बचानी थी। फिर एक दिन आरती भाभी हमारे घर पर आई और मेरी मम्मी से बोली कि आप पंकज को घर पर सोने के लिए क्यों नहीं भेजते। तब मम्मी ने कहा कि हमने तो कभी उसे नहीं रोका.. आप खुद ही उससे पूछ लो। तब आरती ने मुझसे कहा कि तुम आज कल मेरे घर पर आते क्यों नहीं और अगर तुम कल नहीं आए तो में उनको मोबाईल के बारे में बता दूंगी कि तुमने मोबाईल कहाँ से लिया है। जो कि आरती ने मुझे खरीद के लाकर दिया था तो वो मुझे यह कहकर चली गई और में बहुत डर गया.. में दूसरे दिन रात को उनके घर पर गया और वहाँ पर होना क्या था। फिर रात को वही सब कुछ में देखता रहा और एक रात जब वो मेरे लंड को चूस रही थी.. तब में उठ गया और मैंने कहा कि यह सब ठीक नहीं है तो आरती ने कहा कि एक तो तुम्हारे भैया यहाँ पर नहीं है और ऊपर से यह भूख.. अब मुझसे रहा नहीं जाता है। फिर मैंने कहा कि मुझे यह मोबाईल बेचकर दूसरा मोबाइल लेना है.. आप मुझे और पैसे दोगी। तब आरती ने कहा कि लेकिन में जैसा कहूँ तुम्हे वैसा ही करना होगा।तो मैंने हाँ कर दी और फिर क्या था। आरती ने मेरे सामने ही अपने पूरे कपड़े उतार दिए और मेरे भी.. दोस्तों उसके बूब्स बहुत बड़े थे और फिर से वो मेरे लंड को चूसने लगी। फिर में उनके बूब्स को हाथ से मसलने लगा और उन्होंने मेरा पूरा लंड अपने मुहं में ले लिया.. तब मेरा लंड 5.5 इंच का था। फिर उन्होंने मुझे अपनी चूत चाटने को कहा और में चाटने लगा और 12-13 मिनट के बाद आरती ने अपना सारा पानी मेरे मुहं में छोड़ दिया उसकी चूत का पानी नमकीन था और में उसे पी गया। फिर आरती ने कहा कि अब ज्यादा देर मत करो और मेरी प्यास बुझाओ तो मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंघे पर रखकर अपना लंड चूत के ऊपर रख दिया और आरती ने अपने हाथ से थोड़ा सा लंड को अपनी चूत के अंदर किया और सिसकियां भरने लगी उह्ह्ह आईईईइ कितने दिनों के बाद कोई लंड चूत में गया है। फिर में लंड को धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लगा लेकिन उनकी चूत बहुत टाईट थी.. जिससे मुझे भी लंड को घुसाने में थोड़ा बहुत दर्द हो रहा था और शायद वो बहुत दिनों से चुदी नहीं थी.. इसलिए मेरा लंड रगड़ता हुआ अंदर बाहर हो रहा था.. सच कहूँ में तो उस वक़्त जन्नत में था। फिर आरती ने अपनी पोजिशन बदली और वो डोगी स्टाईल में हो गई और में उनके पीछे जाकर लंड को चूत में डालकर चोदने लगा और वो सिसकियां भरती रही आहह उफफफफफफ्फ़ हाँ और ज़ोर से धक्के दो.. वाह आज तो मज़ा आ गया तो में ज़ोर-ज़ोर से अपने लंड को धक्के लगाता रहा और वो मचलती रही। फिर मैंने उसे अपने ऊपर बैठने को कहा और वो उठकर मेरे ऊपर आ गई.. उसकी नरम गांड मेरे ऊपर ऐसे उछल रही थी जैसे कोई स्प्रिंग बंद होकर खुलता है और वो ज़ोर-ज़ोर से ऊपर नीचे हो रही और वो इस बीच दो बार झड़ चुकी थी.. मैंने उसकी चूत के पानी से चिकनाई को महसूस किया था। फिर उसके कुछ देर बाद ही में भी झड़ने वाला था और मैंने आरती से कहा कि अब मेरा भी निकलने वाला है और यह बात सुनते ही आरती ने मेरे लंड को अपनी चूत से बाहर निकालकर अपने मुहं में ले लिया और लंड को चूसने लगी। फिर में उसके मुहं में पूरे जोश से धक्के देने लगा और कुछ धक्को के बाद ही उसके मुहं में ही झड़ गया और वो मेरे लंड से निकले हुए वीर्य को पी गई और लंड को चाटकर साफ कर दिया। दोस्तों उसके बाद में थककर लेट गया और आराम करने लगा.. वो भी मेरे पास ही लेटी हुई थी और उस रात मैंने उसे तीन बार चोदा। दोस्तों लेकिन अब में 22 साल का हूँ और अब में उसे हर कभी चोदता हूँ.. भाभी के दो बच्चे है और जब दोनों बच्चे स्कूल गये होते है.. तब में दिन में अपनी गर्लफ्रेंड को आरती भाभी के घर पर लाकर चोदता हूँ और रात को आरती भाभी को चोदता हूँ ।। धन्यवाद

सोनिया मेडम से सोनिया डार्लिंग - Sonia Madam Se Sonia Darling

सोनिया मेडम से सोनिया डार्लिंग - Sonia Madam Se Sonia Darling

 सोनिया मेडम से सोनिया डार्लिंगमेडम ने प्यार से मुझे एक चमाट लगाईं और मैंने कमर के पास से उनकी नाइटी को पकड के ऊपर उठा दिया. मेडम ने ब्रा पहनी नहीं थी और निचे पेंटी भी नहीं थी. सिर्फ नाइटी के अन्दर बदन को ढंक के आई थी वो. मेरे सामने यह मांसल मेडम थी जो बड़ी ही सेक्सी लग रही थी. मेडम की चूत पर छोटे छोटे घुंघरिले बाल थे और उसकी चूत के अन्दर का भाग काला था. मैंने अपनी ऊँगली उनकी निपल्स पर रख दी और धीरे से उन्हें दबाने लगा. मेडम ने एक सिसकी ली और मेरे माथे को पकड के अपनी और खिंचा. मेरे मुह में मेडम की चुन्ची का थोडा हिस्सा निपल के साथ आ गया. मैं कुत्ते की तरह अपनी जबान उसके ऊपर लगा के चाटने लगा. मेडम की ऊँगली उसकी चूत पर थी और वो अपनी दो उंगलियों से चूत के होंठो को दबा रही थी. मेरे से मेडम की प्यास देखि नहीं गई और उसके चुंचे चूसते हुए अपनी ऊँगली मैंने मेडम के भोसड़े पर रख दी. फिर चुन्ची से मुह हटा के मैं बोला, सोनिया डार्लिंग तुम उँगलियाँ हटा लो मैं मसाज कर देता हूँ तुम्हारी मुनिया का. मेडम हंसी और बोली, जरुर डार्लिंग. मैं वापस मेडम के मम्मे चाटने लगा और ऊँगली से मेडम के मुनिया के दाने को दबाने लगा. मेडम जोर जोर से सिसकियाँ ले रही थी और अपने बूब्स को दबा रही थी. मैंने ऊँगली को अब धीरे से मेडम की चूत के छेद में डाली और अन्दर बहार करने लगा. मेडम आह आह आह अरुणह्ह्ह्हह अआः आह्ह्ह्ह करने लगी! मेरी ऊँगली अब भोसड़े में पूरी घुसी हुई थी जिसे मैं अन्दर बहार कर रहा था. जब ऊँगली बहार आती थी तो मुझे चूत के पानी की चिकनाहट मेरी ऊँगली पर महसूस होती थी. मेरा मन किया की उस चूत के पानी को पी लूँ. सोनिया डार्लिंग, मुझे तुम्हारी चूत चाटनी हैं! और मैं भी तुम्हारा लंड के स्वाद को चखना चाहती हूँ. चलो मेरे बेडरूम में चलते हैं. मेडम ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी बड़ी गांड को मटकाते हुए मुझे बगल वाले कमरे में ले चली. बिस्तर पर नर्म गद्दा था और पास ही में एयर कूलर था. मेडम ने कूलर चालू किया और मुझे गद्दे के ऊपर धक्का दिया. मैं गद्दे पर गिरा और मेडम मेरे ऊपर. हम दोनों ६९ पोजीशन में आ गए. मैंने पहले मेडम की चूत और गांड के छेद को सुंघा. उसमे से हलकी सी गंध आ रही थी जो मुझे मादक करने के लिए काफी थी. मैंने अपनी जबान जैसे ही चूत पर लगाईं मेडम कराह उठी. उसने मेरे लोडे को मुहं में रखा और उसे कोकोकोला की बोतल की तरह होंठो से दबाने लगी. इधर मैंने चूत में जबान रगड़ी और उधर मेडम ने लंड को आधा अपने मुहं में भर लिया. मैंने अपनी एक ऊँगली मेडम की गांड के छेद पर रख दी और उसे दबाते हुए चूत को चाटने लगा. मेडम ने अब लोडे को तल भाग से पकड़ा हुआ था और वो जोर जोर से चुस्सा लगा रही थी. मेरे तो होश उड़े हुए थे. सोनिया मेडम को चोदने का सपना साकार जो हुआ था! मेडम कुछ देर चुस्सा लगाती रही और मैंने उसकी चूत को चाट के पूरी लाल कर दिया था. मैंने मेडम की गांड को भी उत्तेजित कर दिया था ऊँगली चला चला के. अब हम दोनों ही रीयल सेक्स के लिए रेडी थे. मेडम ने लंड को मुहं से बहार निकाला और बोली, चलो अरुण डार्लिंग अब दे दो मुझे असली स्वर्ग का आनंद. मैं उठा और मेडम ने अपनी दोनों टाँगे खोली और चूत का फाटक मेरे सामने खोल के रख दिया. मेडम की काली चूत ,मेरे सामने थी जिसके ऊपर का हिस्सा मेरे चाटने से पूरा लाल हुआ था. मेडम ने अपने हाथ से मेरा लंड अपने छेद पर सेट किया. मैं निचे झुका और मेडम के होंठो को अपने होंठो पर लगा दिया. मेडम की हलकी लिपस्टिक खाते हुए मैंने एक झटका दिया. लोडा बिना किसी मुश्किल से अन्दर आधा घुस गया. मेडम की तजुर्बे वाली गरम और ढीली थी. मेडम की चूत में लंड घुसते ही वो मुझे और भी सेक्सी तरीके से किस देने लगी. हम दोनों की जबान एक दुसरे से लड़ने लगी थी और दुसरे एक झटके में लंड पूरा मेडम की चूत में था. मैंने एक मिनिट तक लोडे को ऐसे ही रहने दिया. मेडम ने अब किस छुड़ा ली थी और वो मुझे कंधे के ऊपर और गले में छोटी छोटी किस दे रही थी. ऐसा करने से मुझे बड़ा मजा आ रहा था. अब मैं धीरे धीरे से अपने लोडे को चूत के अन्दर बहार करने लगा. मेडम की हॉट चूत के अन्दर लंड हिलाना बड़ा मजेदार था. मेडम सिसकियाँ ले रही थी और कराहरही थी. चोदो जोर जोर से मेरी प्यासी चूत को मेरे राजा. आह आह, जोर जोर जोर से डार्लिंग! बहुत मजा आ रहा है. ये ले ये ले, देता हूँ तुझे पूरा मजा, ये ले अन्दर तक. मैं भी कस कस के अपना लंड मेडम की चूत में थोक रहा था. कमरे में फच फच के आवाज दीवारों से टकरा रहे थे जो मेडम के चुदासी आवाज से मिक्स हो रहे थे.अरुण चोदो जोर से मैं झड़ने वाली हूँ,, आह्ह्हह्ह अह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊ अह्ह्ह्हह्ह आआआआआ….मेडम की चुदास बढ़ रही थी. मैंने मेडम के मांसल कंधो को जकड़ लिया और जोर से अपने लोडे को झटकार ने लगा. मेडम की साँसे उखड़ चुकी थी और उसने तभी मेरे लोडे पर चूत के होंठो का दबाव बना दिया. एक लम्बी सांस के साथ मैंने भी अपना पानी चूत में निकाल दिया. मेडम ने लोडे पर ग्रिप बनाये रखी और वो भी मेरे साथ झड़ गई! मेरे वीर्य की एक एक बूंद मेडम की चूत में निकल गई और फिर उसने लोडे को अपनी चूत की गिरफ्त से आजाद किया. मैंने लंड बहार निकाला और लौड़े के ऊपर की चिकनाहट को मेडम के चुन्चो पर पोंछ ली. मेडम की आँखों में संतोष के भाव थे और मैं भी खुश हो गया था इस चोदमपट्टी से. मेडम खड़ी हुई और हम दोनों के लिए संतरे का ज्यूस ले आई. मेडम के संतरों (बूब्स) और तरबुच (गांड) को चोदने की कहानी फिर कभी सुनाऊंगा…!

ममेरी बहन की जबरदस्त चुदाई - mama ki ladki ki chudai

ममेरी बहन की जबरदस्त चुदाई - mama ki ladki ki chudai

मैं राहुल पटना का रहने वाला हूँ और मेरी उम्र लगभग 25 साल है। मैं दिखने में जरूर कुछ तो मस्त लगता ही होऊँगा तभी मुझ पर बहुत सारी लड़कियाँ मरती हैं। बात उन दिनों की है जब मैं 18 साल का था और सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं जानता था। मैं बारहवीं की परीक्षा दे चुका था और घर पर ऐसे ही टाईम पास कर रहा था। मेरा मन भी नहीं लग रहा था.. लेकिन करूँ तो क्या करूँ। इस बात की जानकारी मेरी माँ को भी थी.. इसलिए वो मुझसे एक दिन बोलीं- अगर तेरा मन नहीं लग रहा है.. तो नानी के घर कुछ दिनों के लिए चला जा.. तेरा मन भी लग जाएगा और सबसे मिल भी लेगा। मैंने भी हामी भर दी और जाने की तैयारी करने लगा। अगले ही दिन मैं अपने नाना नानी के घर लगभग दोपहर में पहुँच गया। वहाँ पहुँचने के बाद सब के सब बहुत खुश हुए और मैं तो खुश ही था। मेरी नानी के घर में लगभग 10-12 सदस्य हैं जिसमें 3 मामी.. 3 मामा और कुछ भाई बहन.. सब मिल-जुल कर एक साथ ही रहते हैं। बड़े मामा की 2 बेटियाँ हैं और दोनों लगभग मेरी ही उम्र की हैं। एक ही उम्र के होने के कारण हम तीनों में खूब पटती थी.. लेकिन हम कभी गलत नज़र से किसी को नहीं देखते थे.. पर नियति के अनुसार कुछ और ही होना था। दोपहर को खाना खाने के बाद सब आराम करने लगे.. लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी.. इसलिए मैंने पूजा के कमरे में जाने का सोचा और चला गया। पूजा पढ़ाई कर रही थी.. तो मैं भी उसके पास जा कर बैठ गया और हम दोनों बातें करने लगे। उस समय तो बस इधर-उधर की बातें हुईं और कुछ देर बाद बातें खत्म भी हो गई थीं.. मैं वहाँ से चला गया। शाम का समय था.. इसीलिए अपने एक मामा के साथ चौक पर घूमने चला गया। वापस जब आया तो देखा कि सबके सब टीवी पर ‘शोले’ फिल्म देख रहे थे.. फिल्म अच्छी थी.. इसलिए मैं भी बैठ कर देखने लगा। वहाँ पर नानी और एक मामी भी और पूजा भी थे। मैं मामी के बगल में बैठा था। मैं सबसे बातें भी कर रहा था और फिल्म भी देख रहा था। कुछ देर के बाद बिजली चली गई.. जिसके कारण पूरे घर में अंधेरा हो गया.. जिसके कारण हम लोग एक-दूसरे को देख भी नहीं पा रहे थे। इसी बीच मैं अपना मोबाइल खोजने लगा.. ताकि उसकी टॉर्च की रोशनी से सहायता कर सकूँ.. लेकिन मोबाइल खोजने के चक्कर में मैं पूजा से टकरा गया। हम दोनों आमने-सामने से ही टकरा गए थे.. जिससे उसके मम्मे मेरे छाती से टकरा गए। लेकिन उस वक़्त मैंने ध्यान नहीं दिया फिर भी उसके मम्मों के स्पर्श का ख्याल मेरे दिमाग में बैठ गया। खैर.. मोबाइल मिला और मैंने लाईट जला कर पूजा को मोबाइल दे दिया और उसके बाद पूजा ने दो लैम्प जलाईं। उसने एक.. हम लोगों के पास रख दी और दूसरी अपने साथ ले कर पढ़ने चली गई। अब मैं नानी से बात करने लगा और मामी खाना बनाने चली गई। कुछ देर के बाद पूजा ने मुझे आवाज़ दी- भाई.. एक सवाल समझ में नहीं आ रहा प्लीज़ बता दो ना.. मैंने ‘हाँ’ में जबाब दिया और उसके कमरे में चला गया। सवाल गणित का था.. जो मैंने उसे बता दिया और वापस आने लगा.. लेकिन उसने मुझे रोक लिया और कहने लगी- क्या भाई.. एक तो इतने दिनों के बाद आए हो और हमसे ज्यादा बात भी नहीं करते हो.. क्या हुआ.. कुछ नाराज हो? तो मैंने झट से कह दिया- पूजा.. उस बात के लिए सॉरी जब मैं तुमसे टकरा गया था। तो उसने कहा- क्या भाई.. तुम भी ना.. छोड़ो उस बात को.. और यह बताओ कि तुम्हारी पढ़ाई कैसे चल रही है। मैंने कहा- अच्छी चल रही है.. लेकिन पूजा प्लीज़ मुझे माफ कर दे। उसने कहा- माफ़ तो नहीं करूँगी.. मैं भी तुमसे बदला लूँगी.. बोल.. मैं भी तुम्हें टक्कर मार दूँ। उसने एकदम से उठ कर अपने सीने से मेरे सीने पर एक जोरदार टक्कर मार दी।मुझे बहुत बुरा लगा.. लेकिन कुछ कर भी नहीं सकता था। उस टक्कर से मुझे तो कुछ नहीं हुआ लेकिन शायद पूजा को कुछ तकलीफ हुई। मैंने पूछा- क्या हुआ? तो उसने कुछ भी नहीं बताया। मैंने बार-बार पूछा.. तब उसने बताया कि चोट लग गई है.. दर्द हो रहा है। लेकिन कहाँ दर्द हो रहा है ये उसने नहीं बताया। मेरे बार-बार पूछने पर बोली- गरदन के नीचे.. तो मैंने बोला- लाओ मैं दबा देता हूँ। उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया.. अब मैं उसकी गरदन के थोड़ा नीचे दबाने लगा और वो भी आराम से लेटी हुई थी। लेकिन मेरा हाथ उसके मम्मों से हर बार टकरा जाता था.. मुझे बुरा भी लग रहा था और अच्छा भी। इसी बीच पूजा बोली- और जोर से दबाओ ना भाई.. मुझे अच्छा लग रहा है। लेकिन मैंने हाथ हटा लिया। ;प्लीज़ भाई.. दबाओ ना..’ मैंने भी जानबूझ कर एकदम से मम्मों पर हाथ रख कर उसकी चूचियों को दबाने लगा.. जिसके कारण वो जोर-जोर से साँस लेने लगी थी। इसी बीच मामी ने आवाज़ लगाई- खाना तैयार है.. आ जाओ.. मैं खाना खाने चला गया.. कुछ देर के बाद पूजा भी आई और खाना खा कर सोने चली गई। मैंने भी खाना खाया और वापस उसी कमरे के बरामदे में चले गए.. जिस कमरे में पूजा सोई हुई थी। रात तो हो ही चुकी थी.. सब के सब सो चुके थे.. और मुझे भी नींद लगभग आ चुकी थी.. लेकिन मुझे लगा कि शायद मेरे पास कोई है। मैंने पूछा- कौन? तो पूजा ने झट से मेरा मुँह दाब दिया और बोली- भाई.. मैं पूजा.. भाई जब से तुमने मेरे मम्मों को दबाया है.. तब से पता नहीं.. मुझे कुछ हो रहा है.. प्लीज़ कुछ करो ना.. उसने मुझे जोर से पकड़ लिया। पता नहीं क्या हुआ.. हम दोनों के होंठ एक-दूसरे से मिल गए और हम दोनों पागलों की तरह चुम्बन करने लगे। इस बीच हम दोनों कब बिना कपड़े के हो गए.. पता भी नहीं चला। मैं अपना एक हाथ उसके चूचों पर रख कर दबाने लगा और दूसरा पता नहीं कब उसके पैंटी में चला गया। इसी बीच पूजा मेरे लंड को पकड़ कर हिला रही थी.. जिसके कारण मेरा जोश बढ़ रहा था। मैं चूमते-चूमते नीचे उसकी बुर तक आ चुका था और क्या बताऊँ यार.. क्या स्वाद था.. बस इतना ही लिख सकता हूँ कि उसके सामने सारे स्वाद फीके पड़ जाते हैं। ‘भाई.. प्लीज़.. मेरी बुर में कुछ हो रहा है.. अपना लंड डाल दो ना..’ मैं अपना लंड उसकी बुर के छेद पर लगा कर घुसाने लगा.. लेकिन छिटक कर लंड अलग हो गया। ‘भाई प्लीज़.. जल्दी करो.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी।’ फिर प्रयास किया.. तो इस बार थोड़ा लंड अन्दर गया.. लेकिन मेरा लंड अन्दर जाते ही वो छटपटाने लगी। अब मैं रुका नहीं और एक जोर का धक्का लगा कर पूरा लंड बुर में घुसेड़ दिया। पूजा रोने लगी.. लेकिन मैंने कहा- अब चोदने वाला हूँ.. चुप रहो.. मजा लो। कुछ देर में वो भी साथ देने लगी और लगभग 20 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ ही झड़ गए। फिर हम दोनों ने उस रात 3 बार जबरदस्त चुदाई का मजा लिया। उसके बाद वो कुछ देर रह कर.. अपने कमरे में चली गई और मैं भी सो गया। उसके बाद हम दोनों को जब भी मौका मिलता.. हम दोनों चुदाई का मजा लेते। अब तो मुझे बुर चोदने का लत लग गई थी.. जिसके कारण पता नहीं कितनी बार उसकी चूत को चोदा होगा.. मैं तो गिनती भी भूल गया।कुछ दिनों के बाद पूजा की छोटी बहन को भी चोदा.. लेकिन कैसे? वो अगली कहानी में लिखूँगा। मेरी कहानी कैसी लगी.. जरूर बताइएगा। आपके ईमेल का इंतजार रहेगा।

पांच भाईयों की द्रोपती - Pach lodo se chudai

पांच भाईयों की द्रोपती - Pach lodo se chudai

हैल्लो दोस्तों.. मेरा नाम विशाखा है लेकिन मेरे सभी दोस्त और फेमिली के सदस्य मुझे प्यार से शिखा कहते हैं। मेरी उम्र 30 साल हैं और में शादीशुदा हूँ। मेरी शादी को 4 साल हो गये है.. लेकिन स्कूल के समय बुरी संगत में पड़ जाने की वजह से मेरी आदतें खराब हो गई थी। फिर हमेशा ब्लूफिल्म देखना और अपनी चूत में ऊँगली करना, सिगरेट पीना, लड़को के साथ घूमना फिरना यह सब मैंने शुरू कर दिया था और धीरे धीरे मुझ पर ब्लूफ़िल्मो का नशा इतना चड़ रहा था कि 18 साल की उम्र में ही मैंने अपने सगे जीजाजी से अपनी पहली चुदाई करवाई थी और अपनी फुदकती हुई चूत को थोड़ा शांत किया.. लेकिन उसके बाद कॉलेज में भी मेरे कई सारे बॉयफ्रेंड रहे.. जिनमे से बहुत के साथ मैंने कई बार चुदाई का खेल खेला था और लड़को के साथ ज़्यादातर घूमने फिरने की वजह से में अपने मोहल्ले की सबसे बदनाम लड़कियों में से एक मानी जाने लगी और इसी वजह से आगे चलकर मेरी शादी में समस्याए हो रही थी। फिर जब में 26 साल की हुई तब मेरी शादी के लिए एक रिश्ता आया.. उनका परिवार बहुत बड़ा था और उनके परिवार में उनकी माँ यानी मेरी सासू जी और 5 भाई थे और मेरे ससुर जी का बरसों पहले ही देहांत हो गया था। वो लोग काफ़ी आमिर थे.. लेकिन वो सभी लोग एक ही घर में रहते थे। वैसे उनका घर बहुत बड़ा था.. लेकिन उन सभी के एक ही घर में रहने से मुझे अच्छा नहीं लगता था.. लेकिन में इस रिश्ते से मना नहीं कर सकती थी क्योंकि मेरे मम्मी, पापा को यह रिश्ता बहुत ही पसंद था। तो उन पाँचो भाइयों में से मेरी शादी तीन नंबर वाले भाई से हुई थी और मेरे पति का नाम अशोक था। मेरे पति और उनके दोनों बड़े भाई एक साथ अपना फैमिली बिजनेस सम्भालते थे और दोनों छोटे भाईयों में से सबसे छोटा भाई अभी कॉलेज में था और उससे बड़े वाले ने अभी पढ़ाई पूरी की थी और वो अपना कोई दूसरा बिजनेस शुरू करना चाहता था। फिर जब यह रिश्ता आया तो पहले तो में बहुत उदास थी.. लेकिन जब मैंने अपने पति को देखा तब में बहुत खुश हो गई.. क्योंकि वो दिखने में बहुत ही अच्छे थे और रिश्ता आने के एक महीने बाद ही बहुत धूमधाम से मेरी शादी हुई और में अपने ससुराल आ गई। फिर मैंने वहाँ पर आकर देखा तो मेरा ससुराल बहुत ही अच्छा था और वहाँ पर खूब सारे नौकर चाकर भी थे और ऐश आराम की हर चीज़ मौजूद थी और में वहाँ पर बहुत ही खुश थी.. लेकिन उस घर में मेरे और मेरी सास के अलावा दूसरी कोई औरत नहीं थी.. क्योंकि मेरे बड़े जेठ जी का एक साल पहले ही तलाक हो गया था और छोटे जेठ ने तो कह दिया था कि वो कभी भी शादी नहीं करेंगे और ऊपर से जितने भी नौकर थे.. वो भी सारे मर्द थे। सिर्फ़ एक कामवाली थी जो झाडू पोछा करती थी.. लेकिन वो भी हर शाम को अपना काम खत्म करके चली जाती थी। घर में कोई दूसरी औरत ना होने की वजह से मुझे शुरू में बहुत खाली खाली सा लगा.. लेकिन बाद में इसकी आदत पड़ गई और फिर एक रात जब सबका खाना हो चुका था तब सासू माँ ने मुझसे कहा कि बहू तेरे बड़े जेठ तो अब तक आए ही नहीं और मैंने उसके लिए खीर बनाई थी उसे यह बहुत पसंद है। तू एक काम करना जब वो आए तो उसे यह दे देना.. मेरे सर में बहुत दर्द हो रहा है और अब में सोने जा रही हूँ। तो मैंने कहा कि ठीक है माँ जी आप थोड़ा आराम करिए में यह खीर जेठ जी को दे दूँगी और इतना कहकर में अपने कमरे में चली गई और में अपने धुले हुए कपड़ो को समेटकर अलमारी में रखने लगी और मेरे पति उस वक़्त टीवी देख रहे थे। तभी मैंने अपने कमरे की खिड़की से बाहर देखा तो मुझे बड़े जेठ जी की कार आती हुई दिखाई दी और फिर मैंने सोचा कि पहले में अपने कपड़े ठीक से रख दूँ.. फिर उसके बाद जेठ जी को खीर दे आऊँगी। फिर लगभग 20 मिनट के बाद में बड़े जेठ जी के लिए खीर ले गई.. उनके रूम का दरवाजा खुला हुआ था और में बिना दरवाजा बजाए ही कमरे में सीधी अंदर चली गई। तभी मैंने देखा कि जेठ जी बिस्तर पर सीधे लेटे हुए अपने लंड को सहला रहे थे और मुझे देखते ही उन्होंने घबराते हुए बेडशीट से खुद को ढक लिया। तो मैंने खीर का कटोरा टेबल पर रखते हुए उनसे पूछा कि यह आप क्या कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि बस में अपनी बीवी को याद कर रहा हूँ। तो मैंने कहा कि यह सब ठीक नहीं और कोई दूसरी क्यों नहीं ले आते? तभी उन्होंने झट से मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा कि क्यों तुम ही आ जाओ ना? इतना कहकर उन्होंने खींचकर मुझे अपने पास बैठा लिया और में बिल्कुल उनकी गोद में जा गिरी.. वैसे में चाहती तो उसी वक़्त उनको मना कर सकती थी क्योंकि हिम्मत की मेरे पास कोई कमी नहीं थी.. लेकिन स्वभाव से में थोड़ी बेशर्म सी थी और उनकी गोद में गिरी तो गिरी ही रह गई और फिर मेरी खामोशी को उन्होंने मेरी सहमति मान लिया और मेरे दोनों हाथों के बीच में हाथ डालते हुए मेरे बूब्स को दबाने लगे। दोस्तों वैसे में तो तो हर वक़्त गरम ही रहती थी.. ऊपर से जेठ जी ने मुझे और भी गरम कर दिया था। में थोड़ी देर तक वैसे ही बैठे उनसे अपने बूब्स दबवाने का मज़ा लेती रही.. लेकिन तभी मुझे ख्याल आया कि मेरे पति मेरा इंतजार कर रहे होंगे और में ज़्यादा देर तक उनके पास नहीं गई तो उन्हे शक़ हो सकता हैं। फिर मैंने उनसे कहा कि जाने दीजिए ना नहीं तो उन्हे शक़ हो जाएगा। तो उन्होंने कहा कि नहीं तुम्हे अभी जाने दिया तो तुम वापस नहीं आओगी। तो मैंने कहा कि नहीं में जरुर आउंगी.. में आपसे वादा करती हूँ। जब रात को सब सो जाएँगे तब में ज़रूर आउंगी.. लेकिन प्लीज़ फिलहाल मुझे अभी जाने दो और फिर जेठ जी मेरी बात मान गए.. लेकिन उन्होंने मुझे छोड़ने से पहले थोड़ी देर मेरे बूब्स को अच्छी तरह से दबाया और मेरे होठों को अच्छी तरह से चूसा। उसके बाद ही उन्होंने मुझे जाने दिया। फिर में जेठ जी के रूम से निकलते वक़्त बहुत जोश में थी क्योंकि शादी के बाद से मुझे किसी दूसरे मर्द ने नहीं छुआ था और अलग अलग मर्दो से रिश्ता रखना मेरी पुरानी आदत थी और जेठ जी की वजह से अब में अपनी पुरानी ज़िंदगी फिर से जी सकूँगी.. यही सोच सोचकर में अंदर ही अंदर बहुत खुश थी और जब में अपने रूम में पहुंची तो मेरे पति ने मुझे पकड़कर अच्छी तरह से मेरी चुदाई की। फिर उस रात की चुदाई से में इतनी थक गई कि में रात को जेठ जी के कमरे में जा ही नहीं पाई। कुछ दिन इसी तरह बीत गए और मुझे मौका ही नहीं मिला कि में जेठ जी से अकेले में मिल सकूँ। फिर एक दिन दोपहर को घर का हर कोई सदस्य अपने अपने काम से बाहर था और सासू जी भी मंदिर गई हुई थी और में उस वक़्त कमरे में अकेली थी.. में नहाकर अपने बाल हेयर ड्रायर से सुखा रही थी और उस वक़्त मैंने अपने पूरे बदन पर सिर्फ़ एक टावल बांध रखा था। तभी अचानक से किसी ने मुझे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया और जब मैंने घबराकर पीछे मुड़कर देखा तो वो और कोई नहीं बल्कि बड़े जेठ जी थे और उन्होंने मुझे बाहों में भरते हुए कहा कि क्यों उस रात वादा करके भी नहीं आई ना? तो मैंने कहा कि में आना तो चाहती थी.. लेकिन उन्होंने मुझे मौका ही नहीं दिया। तो जेठ जी ने मेरे गालों को सहलाते हुए कहा कि क्यों अब तो कोई प्राब्लम नहीं हैं ना? तो मैंने मुस्कुराते हुए कहा कि हाँ आज कोई भी प्राब्लम नहीं हैं और मेरे इतना कहते ही जेठ जी ने मेरा टावल पकड़ा और एक ही झटके से उसे खोल दिया और अब में एक ही झटके में पूरी तरह नंगी हो गई और मुझे अचानक से बहुत शरम आ गई। तो मैंने एक हाथ से अपनी चूत को और दूसरे हाथ से अपने बूब्स को ढक लिया.. तो जेठ जी ने मेरे दोनों हाथों को हटाते हुए कहा कि मुझसे शरमाओ मत जानू.. आज से तुम मुझे भी अपना पति ही समझो। तो मैंने कहा कि वो तो मैंने उसी रात को समझ लिया था.. लेकिन आज पहली बार है.. इसलिए मुझे आपसे इतनी शरम आ रही हैं। फिर जेठ जी ने मेरे गालों को चूमते हुए कहा कि अब शरमाना बंद करो और मेरी प्यास बुझाओ और इतना कहकर जेठ जी ने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया। फिर उन्होंने अपना एक हाथ मेरे बूब्स पर रख दिया और दूसरे हाथ से मेरी चूत को सहलाने लगे और उनके इतना करते ही मेरे अंदर की हवस फिर जाग गई। में भी उनका सर पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ने लगी। तो जेठ जी ने थोड़ी देर मेरी चूत को चाटने के बाद अपनी पेंट और शर्ट उतार दी और अब वो भी मेरे सामने पूरी तरह नंगे खडे थे और उन्होंने अपना लंड मेरे मुहं के पास लाते हुए कहा कि इसे किसी औरत से चुसवाने का सपना आज तक अधूरा हैं.. तुम आज मेरे इस सपने को पूरा कर दो ना मेरी रानी।फिर मैंने एक हाथ से उनका लंड पकड़ते हुए कहा कि इसका मतलब जेठानी जी ने कभी इसे मुहं में.. तभी मेरी बात को बीच में ही काटकर उन्होंने कहा कि नहीं लिया.. कभी नहीं लिया। इसी बात पर तो हमारे झगड़े होते थे और हमारे झगड़े बड़ते बड़ते बात तलाक तक पहुंच गई। तो उनका उदास चेहरा देखकर मुझे उन पर बहुत दया आई और मैंने कहा कि जेठ जी आप फ़िक्र मत कीजिए.. में आपके सारे सपने पूरे कर दूँगी और इतना कहकर मैंने उनका लंड अपने मुहं में ले लिया.. उनका लंड मेरे पति के जितना ही बड़ा था और वैसे भी मुझे लंड चूसने की आदत बहुत पहले से ही थी। में उनके लंड को मज़े से चूसने लगी। जेठ जी भी मेरे सर के बालों को पकड़कर मेरे मुहं के अंदर अपना लंड ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगे। तभी थोड़ी देर बाद उन्होंने अपना सारा वीर्य मेरे मुहं के अंदर ही खाली कर दिया और मेरा पूरा मुहं उनके वीर्य से भर चुका था। वो धम्म से बिस्तर पर गिर गये और में बाथरूम जाकर अच्छी तरह कुल्ला करके वापस आ गई और जब में वापस आई तो मैंने देखा कि वो उसी तरह पड़े हुए थे और मुझे देखकर कहने लगे.. ओह शिखा आज तुमने मेरा बरसों पुराना ख्वाब पूरा कर दिया। फिर मैंने उनके पास में लेटते हुए कहा कि मैंने तो आपका ख्वाब पूरा कर दिया.. लेकिन अब जो आग आपने मेरे अंदर लगाई है उसे तो बुझाईए और इतना कहकर में जेठ जी के लंड को सहलाने लगी और उनके होंठो को चूसने लगी.. वो भी मेरे होंठो को चूसते हुए मेरे बूब्स को दबाने लगे। तभी थोड़ी ही देर में उनका लंड फिर से खड़ा हो गया और उन्होंने मुझे बिस्तर पर सीधा लेटा दिया और मेरी चूत को फिर से थोड़ी देर चाटा.. चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी.. उनके चाटने से और भी गीली हो गई थोड़ी देर चाटने के बाद उन्होंने अपना लंड मेरी चूत में रगड़ा और एक ही झटके में पूरा का पूरा अंदर कर दिया। मेरे मुहं से चीख निकल गई अहह उह्ह्ह जेठ जी बीवी छोड़कर क्या चली गई आप चुदाई करना ही भूल गए? थोड़ा धीरे धीरे करो ना.. में कहाँ भागी जा रही हूँ? तो उन्होंने माफी माँगते हुए कहा कि सॉरी शिखा ज़्यादा जोश की वजह से यह ग़लती हो गई.. लेकिन में आगे से ध्यान रखूँगा। इतना कहकर वो बड़े आराम से धीरे धीरे मेरी चुदाई करने लगे और अब मुझे भी पूरा मज़ा आ रहा था और में अपने सर के बालों को नोचते हुए अहह उह्ह्ह्ह चिल्ला रही थी और नीचे से कमर हिला हिलाकर जेठ जी को जोश दिला रही थी। जेठ जी भी पूरे जोश में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहे थे। फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों ही एक साथ झड़ गये और इसके बाद मेरा और बड़े जेठ जी का रिश्ता इसी तरह बना रहा। फिर कुछ दिनों बाद में शाम को में अपने लिए चाय बना रही थी। तभी मेरा बड़ा देवर मेरे पास उदास सा मुहं लेकर आया तो मैंने पूछा कि क्या हुआ? यह मुहं क्यों लटकाया हुआ हैं? तो उसने कहा कि भाभी आज मेरे फ्रेंड की सगाई हो गई और मुझे देखो मेरे पास तो एक गर्लफ्रेंड भी नहीं हैं। तो मैंने कहा कि तो इसमे उदास होने की कौन सी बात हैं तू भी एक गर्लफ्रेंड बना ले.. अच्छा ख़ासा सुंदर जवान लड़का है। तेरी तो एक नहीं दो तीन गर्लफ्रेंड्स बन जाएगी। तो उसने मुस्कुराते हुए कहा कि भाभी तुम हो तो मुझे गर्लफ्रेंड की क्या ज़रूरत? मैंने उसकी और देखा तो उसकी आखों में शरारत भरी हुई थी। फिर मैंने पूछा कि अच्छा में क्या तुझे इतनी पसंद हूँ? उसने कहा कि क्या बताऊँ भाभी आपसे हसीन औरत मैंने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखी। तो मैंने हसंते हुए कहा कि चल अब जा यहाँ से.. मुझे काम करने दे और मेरा मुहं घूमते ही उसने मुझे पीछे से पकड़ा और कहने लगा कि भाभी में सच कह रहा हूँ में आपको बहुत प्यार करता हूँ.. आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो भाभी। तो मैंने कहा कि यह क्या कर रहे हो छोड़ दो मुझे.. कोई आ जाएगा। उसने कहा कि कोई नहीं आएगा भाभी.. घर के सारे नौकर तो आज छुट्टी पर हैं और मम्मी भी सो रही हैं और उसकी यह बात सुनकर मुझे थोड़ी तसल्ली हुई। फिर उसने वहीं पर खड़े खड़े ही मुझे गरम कर दिया और अब में भी उसका साथ देने लगी। मेरे मन में अभी भी थोड़ा डर था इसलिए मैंने उसे अपने सारे कपड़े उतारने से मना कर दिया। तो उसने मेरी साड़ी को थोड़ा ऊपर कर दिया और मुझे वहीं पर दीवार के सहारे खड़ा कर दिया और पहले मेरी चूत को जी भरकर चाटा और फिर मेरी चुदाई करने लगा.. लेकिन मैंने महसूस किया कि उसका लंड उसके दोनों बड़े भाईयों से ज़्यादा बड़ा था और उसने सिर्फ़ 10 मिनट में ही मेरी हालत खराब कर दी और वो चुदाई ख़त्म करने बाद वहाँ से चला गया। फिर उसके जाने के बाद में सोचने लगी कि तीन भाईयों से तो चुदवा ही चुकी हूँ तो एक और सही। अब मेरा मन छोटे जेठ की तरफ बड़ने लगा जिन्होंने शादी ना करने की कसम खा रखी थी।वो सभी भाईयों में सबसे ज़्यादा सुंदर थे और उनका शरीर भी बहुत फिट था बिल्कुल किसी फिल्मी हीरो की तरह और अब मैंने उनके ऊपर डोरे डालने शुरू कर दिए थे और उनको लगातार अपनी और आकर्षित होने के मौके देने लगी और आख़िर वो भी कब तक कंट्रोल करते। आख़िरकार उन्होंने भी एक दिन मुझे अकेले में पकड़ ही लिया.. लेकिन उनके सेक्स करने का तरीका एकदम लाजवाब था। वो बिल्कुल विदेशी स्टाईल में सेक्स करते थे और एक दिन इसी तरह में अपने छोटे जेठ की गोद में बैठी चुदाई का मज़ा ले रही थी और तभी मेरा ध्यान दरवाजे की तरफ गया तो वो ग़लती से खुला ही रह गया था। मैंने देखा कि छोटा देवर वहाँ पर खड़ा मेरी और छोटे जेठ की चुदाई देख रहा था और जैसे ही मैंने उसकी तरफ देखा तो वो चुपचाप वहाँ से चला गया.. लेकिन में बहुत घबरा गई कि कहीं वो किसी को यह बात बता ना दे और मैंने जेठ जी से जल्दी अपनी चुदाई पूरी करवाई और अपने कमरे में आ गई और मैंने सोच लिया कि अब छोटे देवर को भी अपने खेल में शामिल करना पड़ेगा। तभी मेरे मन में यह ख्याल आया कि अगर मैंने सबसे छोटे देवर को भी अपने साथ मिला लिया तो में भी महाभारत की द्रोपती की तरह बन जाउंगी। यह ख्याल आते ही मेरे अंदर एक अजीब सा जोश आ गया और मैंने अपने देवर को अपनी और आकर्षित करने के लिए एक जाली वाली मेक्सी पहनी और अंदर ब्रा भी नहीं पहनी ताकि मेरे बूब्स साफ नज़र आए। मेरे छोटे देवर का नाम प्रवीण था.. लेकिन घर में सभी लोग उसे प्यार से छोटू कहकर बुलाते थे और में जब उसके कमरे में गई तो वो अपने सोफे पर बैठा कुछ सोच रहा था और में जाकर एकदम उसके सामने खड़ी हो गई। उसने मेरी और देखा तो देखता ही रह गया उसकी आँखे मेरे बूब्स पर ही रुक गई थी। मैंने कहा कि देवर जी आज जो तुमने देखा उसे किसी को मत बताना.. में तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ। उसके बदले में तुम्हे जो भी चाहिए में देने को तैयार हूँ। तो उसने मेरी आँखो में देखते हुए कहा कि मुझे तो बहुत कुछ चाहिए और फिर में उसका यह इशारा समझ गई और कहा कि में जानती हूँ तुम्हे क्या चाहिए? चलो में देखूं तो हमारा छोटू कितना बड़ा हो गया हैं और इतना कहकर में उसके सामने घुटनों के बल बैठ गई और उसे खड़ा होने को कहा.. तो उसके खड़े होते ही मैंने उसकी पेंट को उतार दिया। उसने अंडरवियर नहीं पहना था इसलिए पेंट को उतारते ही उसका तना हुआ लंड मेरे सामने आकर खड़ा हो गया.. लेकिन उसका लंड उसके बाकी भाईयों के मुक़ाबले थोड़ा छोटा था.. लेकिन मैंने उसका जोश बड़ाने के लिए कहा कि अरे वाह हमारा छोटू तो बहुत बड़ा हो गया। तो अपनी तारीफ सुनकर वो शरमा गया और मैंने उसकी झिझक मिटाने के लिए उसका लंड अपने मुहं में ले लिया और चूसने लगी। थोड़ी देर बाद वो इतने जोश में आ गया कि उसने खुद मेरी मेक्सी को उतार दिया और मेरे बूब्स को मसलने और चूसने लगा और मैंने खुद ही अपनी पेंटी को उतार दिया। तो मुझे अपने सामने पूरी तरह नंगी देखकर वो तो जैसे पागल ही हो गया और मेरे बदन को चूमने और चाटने लगा। उसने मुझे वहीं सोफे पर लेटा दिया और अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। उसका लंड बड़े आराम से अंदर घुस गया और उसका लंड भले ही छोटा था.. लेकिन उसके धक्को की स्पीड बहुत ज़्यादा थी। वो अपने पूरे जोश में धक्के लगा रहा था और साथ ही मेरे बूब्स भी मसल रहा था। तभी थोड़ी देर बाद वो मेरी चूत के अंदर ही झड़ गया और उस दिन के बाद से में उन पाँचो भाईयों की बीवी बन गई और मेरे पति को भी धीरे धीरे इन बातों का पता चलने लगा.. लेकिन अगर वो मुझे कुछ बोलते तो उनके परिवार की ही बदनामी होती। इसी वजह से वो और मेरी सास सब कुछ जानते हुए भी अंजान बने रहे। दोस्तों फिलहाल में एक बच्ची की माँ हूँ जो सिर्फ़ दो साल की हैं.. लेकिन मुझे खुद ही नहीं पता की मेरी बच्ची का बाप कौन हैं और मुझे इस बात का कोई गम नहीं.. क्योंकि पाँचो भाई मेरी बेटी को बिल्कुल पिता जैसा प्यार देते है और में उन पाँचो की बीवी बनकर बहुत ही खुश हूँ.. क्योंकि अब में वही जिंदगी जी रही हूँ जैसा कि हमेशा मैंने सोचा था ।। धन्यवाद …