Friday 1 April 2016

आंटी को खुश किया - Aunty Ko Kush Kiya

आंटी को खुश किया - Aunty Ko Kush Kiya

हेलो दोस्तों मेरा नाम समीर है और में दिल्ली का रहने वाला हूँ। ये मेरे पहली कहानी है लेकिन ये कहानी आपको बहुत गरम कर देगी। ये मेरी जिन्दगी की असली कहानी है। ये उस समय की बात है जब मै बाहरवीं मे पढ़ता था। हमारे घर के पास मे एक लेडी टेलर की शॉप थी जो घर मे ही खोल रखी थी ओर मेरी आंटी जिनका नाम रूबी है उनके परिवार मे उसका पति उनकी लड़की ओर एक छोटा लड़का था। मेरे साइड वाली आंटी बहुत ही खुबसूरत औरत थी। शादी के इतने दिनों बाद भी उसकी खूबसूरती वैसी ही थी। वो बहुत गोरी पतली कमर चूचियों का 34 साइज़ के और उन्हें देखते ही किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। पर उसका पति एक काला आदमी था और वो अपने पति से खुश नही थी ओर हमेशा लड़ती रहती थी। मेरा उनके घर काफ़ी आना जाना था ओर हमेशा दिमाग मे उसको चोदने का ख़याल रहता था। जब भी में शॉप पर जाता उनकी गोरी चूचियाँ उनके सूट मे से साफ दिखाई देती ओर मेरा लंड उसको चोदने के सपने देखने लग जाता था। पर में उसे मुठ मार कर शांत कर देता था। एक दिन जब में उनके घर गया तो घर सुनसान सा था मैने सोचा की घर पर कोई भी नहीं है पर मुझे आखरी वाले रूम से कुछ अवाज़ आई तब मैने जाकर देखा तो रूबी आंटी रो रही थी। में अंदर गया तब वो मुझे देख कर आँसू पोंछने लग गई मैने पूछा आंटी क्या हुआ? वो बोली कुछ नहीं मैने कहा प्लीज आप मुझे बता सकती हो में किसी को नहीं बताऊंगा। तब वो फूट फूट कर रोने लगी ओर मुझे कहा की में तुम्हारे अंकल से बहुत परेशान हूँ। मैने कहा क्या हुआ वो बोली की वो मुझे कोई सुख नहीं दे सकते। मैने पूछा कैसा सुख आंटी। मै समझ गया था। लेकिन मैने आंटी को ओर पूछ लिया वो अपने होश मे नहीं थी और रोते हुए बोली मुझे उनके साथ सेक्स करना पसंद नही। पर में सेक्स करना चाहती हूँ। मेरा बहुत मन करता है सेक्स करवाने का। ये बात कहते ही वो एक दम चुप होकर मेरी और देखने लगी ओर बोली। ये मैने क्या बोल दिया तुम्हारे सामने समीर। प्लीज तुम ये बात किसे को मत कहना। मैने कहा नहीं आंटी में किसे को नहीं कहूँगा। आप चिंता ना करो। में उनसे बोला आप फिर किसी ओर के साथ सेक्स क्यों नहीं कर लेती। वो बोली किस पर इतना विश्वास कर सकती हूँ की वो मेरे साथ सेक्स कर ले ओर किसी को ना बताए। मैने कहा आंटी विश्वास तो अभी अभी किया हे अपने मुझ पर। ये बात सुनते ही उनकी आँखों मे एक चमक आ गई। ओर उन्होने मेरा हाथ पकड़ लिया हाथ पकड़ते ही मानो मेरे शरीर मे करंट सा लग गया हो मुझे मेरे सपने पूरे होते नज़र आ रहे थे। ओर उन्होने मुझे किस कर लिया में उनकी गर्दन को चूमने लगा ओर जेसे ही किस खत्म हुआ हमारे होंठ एक दूसरे के होठों मे समा गए। हम दोनो एक दूसरे की होठों को पागलों की तरह चूसने लगे ओर उन्होने अपनी जीभ मेरे मुह मे डाल दी ओर में उनकी जीभ को चूसने लगा। हमारे बदन मे जैसे आग लग गई थी। में एक हाथ से उनकी चूचियाँ दबाने लगा ओर किस करना बंद करके मैने उनका कुर्ता उतार दिया ओर झटके से उसके काले रंग की ब्रा को उनकी चूचियों से दूर करके उनकी चूचियाँ चूसने लगा ओर वो आहे भरने लगी। में एक चूची को चूसता वो दूसरी चूची को हाथ से दबाती कुछ देर ऐसा ही चलता रहा ओर फिर मैने उनकी सलवार उतार दी ओर उनकी पिंक रंग की पेंटी को उनकी चूत से अलग कर दिया। क्या कमाल की चूत थी। छोटे छोटे बालों के बीच से मानो मुझे बुला रही हो। ओर मैने अपनी उंगली उनकी चूत में डाल दी रूबी आंटी एक दम से चीख उठी आअनह। में धीरे से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा ओर फिर मैने 2 उंगलियों से ऐसा ही किया ओर फिर मेंने उनकी चूत पर अपना मूह रख कर अपनी जीभ से उसे चाटने लगा। रूबी आंटी बोली ये सुख मुझे आज तक नहीं मिला था समीर जो तुमने आज मुझे दिया है करो और ज़ोर से चाटो। तकरीबन 10 मिनट तक चाटने के बाद उनकी चूत बिलकुल गीले हो गई थी। ओर मैने अपने कपड़े उतारे मेरे लंड देख कर वो बोली ये कितना अच्छा है कितना लम्बा है बस अब रहा नहीं जाता समीर डाल दो इसे ओर बुझा दो मेरी चूत की आग ओर ये सुनते ही में उन पर टूट पड़ा ओर मैने धीरे से सरकाते हुए अपना लंड उनकी चूत मे डाल दिया। ओर उन्होने मुझे कस कर पकड़ लिया ओर में धीरे से अंदर बाहर करके उन्हे चोदने लगा ओर वो अपने होठों को अपने दातों के बीच दबाते हुए आनह समीरररर चोदो ओर ज़ोर से आह कितना अच्चा लग रहा है। आअहह ऊऊहह समीरररर आ करो ओर ज़ोर से करो बुझा दो आज इसकी आग कर दो इसे शांत ओर में ये सुनते ही मै और ज़ोर जोर से चोदने लगा ओर साथ मे उनकी चुचियों को दबाता रहा तकरीबन 20 मिनट चोदने के बाद आंटी ओर में दोनो झड गए ओर एक दूसरे के उपर लेट कर किस करने लगे हम एक दूसरे के होठ और जीभ को बहुत देर चूसते रहे ओर मेरा लंड दुबारा खड़ा हो गया ओर वो बोली अब दुबारा चोदो इतना मज़ा मुझे कभी नहीं आया जितना तुमसे आज चुद कर आया है ओर मैने दुबारा चोदा अब जब भी अक्सर वो घर पर अकेली होती हैं हम एक दूसरे की प्यास बुझा देते हैं। धन्यवाद …

No comments:

Post a Comment